उत्तर बंगाल के समग्र विकास के लिए एक अलग राज्य जरूरी : निखिल रॉय

उत्तर बंगाल के समग्र विकास के लिए एक अलग राज्य जरूरी : निखिल रॉय
सिलीगुड़ी: उत्तरी बंगाल को अलग राज्य की मांग के लिए यूनाइटेड फोरम फॉर सेपरेट स्टेट नामक एक नया मंच बनाया गया था। इस नए मंच में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, कामतापुर प्रोग्रेसिव पार्टी, कामतापुर पीपुल्स पार्टी, नॉर्थ बंगाल पीपुल्स पार्टी समेत करीब 15 राजनीतिक दल और संगठन शामिल हैं। फोरम की बैठक सोमवार को सिलीगुड़ी के डागापुर स्थित एक मनोरंजन पार्क में हुई। वहीं, कामतापुर पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष निखिल रॉय और गोजमुमो प्रमुख विमल गुरुंग ने कहा कि , ‘उत्तर बंगाल के समग्र विकास के लिए एक अलग राज्य होना चाहिए। गोरखा, आदिवासी, राजवंशी अलग-अलग लड़कर राज्य नहीं जीत सकते। इसलिए हम एक संयुक्त आंदोलन चाहते हैं। इस बैठक में उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों से गोरखा, राजबंशी, आदिवासी नेता शामिल हुए हैं। दुर्गापूजा बाद आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का टेंशन बढ़ गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी राज्य में चुनाव हारने के बाद इसे बांटने की साजिश कर रही है लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।एक बार फिर पश्चिम बंगाल के बंटवारे और उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल में हड़कंप मचा हुआ है। इस मुद्दे को लेकर समय-समय पर आवाजें उठती रही हैं। इस उत्तर बंगाल में गंगा के दूसरी ओर स्थित मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार और कूच बिहार के मौजूदा ज़िलों के भौगोलिक क्षेत्र शामिल हैं। राजधानी शहर और राज्य के आर्थिक और राजनीतिक केंद्र कोलकाता से दूर इस क्षेत्र का अपना ही सौंदर्य है और यह सौंदर्य है- पहाड़ियां, दुआर (तराई क्षेत्र) और मैदानी इलाक़ों के मामले में इसके प्राकृतिक संसाधन, अनूठी प्रकृति वाली नदियां, मानसून के दौरान मूसलाधार बारिश और गर्मी के आस-पास करीब-करीब सूखा। बहुत
ज्यादा वर्षा वाली इन जलवायु परिस्थितियों ने वनस्पतियों और जंगलों के प्रचूर विकास में योगदान दिया है, ऊपर-नीचे लहरें बनाती और ढलान वाली भूमि ने यहां की पहाड़ियों और दुआर में चाय बाग़ानों के विकास में मदद पहुंचायी है। चाय के बाग़ानों का विस्तार अब उन मैदानी इलाको तक भी हो गया है, जहां पहले धान और जूट की फ़सल की खेती की जाती थी। जलवायु परिस्थितियों से जुड़े पहाड़ियों, चाय बागानों और जंगलों की प्राकृतिक सुंदरता ने इस क्षेत्र में पर्यटन उद्योग के विकास में भी योगदान दिया है। पर्यटकों को घर पर ही ठहराने का चलन हाल के वर्षों में लोकप्रिय हो गया है। इस तरह, उत्तर बंगाल अपने क्षेत्र में तीन ‘T’,यानी टी (चाय), टिम्बर (इमारती लकड़ी) और टूरिज़्म (पर्यटन) के क्षेत्र में आजीविका के तीन अहम संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जनसांख्यिकीय संरचना भी काफ़ी मोहक है। ऑस्ट्रिक, तिब्बती-चीनी, द्रविड़ियन और इंडो-यूरोपीय नामक चार नृजातीय परिवारों के लोग इस क्षेत्र में रहते हैं। बेशक इनमें इंडो-चाइनीज़ परिवार के तहत आने वाला मंगोलॉयड वंश के राजबंशी सबसे बड़ा नृजातीय समूह है। इस क्षेत्र में रहने वाले अन्य विभिन्न नृजातीय समूह हैं- नेपाली (गोरखा), भूटानी, तमांग, लेपचा, लिंबू, मेच, राभा, उरांव, मुंडा, संथाल, मालपहाड़ी, खारिया, मधेसिया, जुगी, खेन, पान, पलिया, देसी, नस्य शेख़ (इस्लाम में धर्मांतरित राजबंशी) आदि हैं। इनमें से ज़्यादतर लोगों की अपनी-अपनी भाषायें हैं। इसके अलावा, सदरी या सादनी भाषा है, जो इस क्षेत्र के जनजातीय लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली संचार की भाषा है। उत्तर बंगाल में ऐसी व्यापक विविधता है। इन सभी की अवहेलना के कारण ही अगल राज्य की मांग जोड़ पकड़ती जा रही है।
क्या कहते हैं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता वह दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट का कहना है कि बंगाल का विभाजन होगा यह समय बताएगा। लेकिन जिस प्रकार देश के हाथों बंगाल फिसलता जा रहा है यह एक गंभीर विषय है। उन्होंने कहा कि मैं उत्तर बंगाल के लोगों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी ने दार्जिलिंग तराई डुवार्स क्षेत्र के स्थाई राजनीतिक समाधान पीपीपी का जो वादा किया है उसे जरूर पूरा करेगा। लोकसभा चुनाव पूर्व सबके सामने होगा।
राजनीति के गलियारे में बंगाल विभाजन की चर्चा तेज:;
भारतीय जनता पार्टी के साथी ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कांग्रेस तथा अन्य क्षेत्रीय संगठनों के बीच यह चर्चा तेज हो गई है कि हो ना हो बंगाल का विभाजन होगा?। चर्चा है कि जम्मू कश्मीर की तरह बंगाल को तीन हिस्सों में बांटने की तैयारी चल रही है। घुसपैठ बाहुल्य मालदा, मुर्शिदाबाद ,उत्तर दिनाजपुर दक्षिण दिनाजपुर को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश। तथा उत्तर बंगाल के अन्य 5 जिलों दार्जिलिंग, कालिमपोंग ,अलीपुरद्वार कुचविहार तथा जलपाईगुड़ी को मिलाकर अलग राज्य बनाया जा सकता है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री निसिथ प्रामाणिक ने कहा कि उत्तर बंगाल के लोगों को दशकों से उदासीनता का सामना करना पड़ा है और वे तय करेंगे कि क्या वे एक अलग राज्य चाहते हैं। “इस मांग में जायज या नाजायज जैसी कोई बात नहीं है। इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं इसके बारे में क्या सोचता हूं। बहुत सारे नेताओं की निजी राय हो सकती है। मैं उत्तर बंगाल के लोगों के साथ हूं। उन्हें तय करने दीजिए कि वे क्या चाहते हैं।
संविधान को जानने वाले यह भी कहते हैं कि राज्य विभाजन के लिए विधानसभा से प्रस्ताव पारित करना कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है। इस बात को सुप्रीम कोर्ट भी बता चुकी है।
देखना होगा कि असफल हो पता है या नहीं? क्योंकि संविधान मैं यह अधिकार अगर संसद के पास है तो बंगाल में इसको लेकर सड़कों पर लोगों को उतारने की कूबत बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को है। देखना दिलचस्प होगा कि 2024 के पहले अलग राज्य की मांग को लेकर बंगाल में क्या घमासान मचता है? @रिपोर्ट अशोक झा

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