इस भूमि में राक्षसी शक्तियां नष्ट हो जाएं और अच्छी शक्तियों को और अधिक ताकत मिले : जेपी नड्डा
सिलीगुड़ी:दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक पहचान ही नहीं बल्कि बंगाली भावनाओं का जीता जागता स्वरूप है। इसमें जन भागीदारी का कोई भी मौका राजनीतिक दल छोड़ना नहीं चाहते। इसी क्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कुछ घंटों के लिए शनिवार दोपहर कोलकोता पहुंचे। उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। उन्होंने पूजा पंडाल में पूजा अर्चना के बाद जेपी नड्डा ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग दुनिया को एक दृष्टिकोण देने में सबसे आगे हैं। प्रार्थना करता हूं कि इस भूमि में राक्षसी शक्तियां नष्ट हो जाएं और अच्छी शक्तियों को और अधिक ताकत मिले।भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा फिलहाल पश्चिम बंगाल के हावड़ा में हैं। उन्होंने पार्टी नेताओं सुकांत मजूमदार, सुवेन्दु अधिकारी और अग्निमित्रा पॉल के साथ हावड़ा में एक पूजा पंडाल में देवी दुर्गा की आरती की। जेपी नड्डा ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के लोग दुनिया को एक दृष्टिकोण देने में सबसे आगे हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि इस भूमि में राक्षसी शक्तियां नष्ट हो जाएं और अच्छी शक्तियों को और अधिक ताकत मिले। ताकि समाज मंगलमय हो करके सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ कर सके। वहां कुछ सामुदायिक पूजा पंडालों का दौरा करेंगे और आयोजकों के साथ-साथ वहां आने वाले लोगों से बातचीत करेंगे। नड्डा उस दिन तीन सामुदायिक पूजा समितियों के पंडालों का भ्रमण कर शाम नयी दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे। बंगाल में टीएमसी और बीजेपी
दोनों दल जनता से संपर्क साधने के लिए जुटे हैं और राज्य के चुनावी परिदृश्य में धर्म को विमर्श का विषय बनाने का प्रयास कर रहे हैं।दोनों दल वार्षिक पूजा समारोह को लोगों तक पहुंचने के लिए अवसर के रूप में देखते हैं और इसके दौरान उन्होंने लोगों तक अपने संदेश पहुंचाने के लिए व्यापक रणनीतियां तैयार की हैं। अपनी परंपरा को जारी रखते हुए सत्तारूढ़ तृणमूल ने 40,000 से अधिक सामुदायिक पूजा के लिए अनुदान की घोषणा की है, हालांकि पार्टी की यह कहते हुए आलोचना की गई है कि वह सरकारी खजाने की मदद से धार्मिक भावनाओं को भड़का रही है। तृणमूल ने जनता से जुड़ाव के लिए विभिन्न पूजा पंडालों में बुक स्टॉल, स्वास्थ्य शिविर स्थापित करने जैसे कदम भी उठाए हैं। दूसरी ओर भाजपा ने इस बार राज्य में कई सामुदायिक पूजा का उद्घाटन करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित कई वरिष्ठ नेताओं को आमंत्रित किया। इसने राज्य सरकार की मदद से वंचित 400 से अधिक पूजा समितियों को पहली बार वित्तीय सहायता भी दी है। पार्टी ने राज्य में मंदिर से जुड़ी राजनीति लाने की भी कोशिश की और भाजपा नेता सजल घोष अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर की प्रतिकृति संतोष मित्रा चौराहा पूजा समिति के पूजा स्थल पर लेकर आए। गृह मंत्री शाह ने पिछले हफ्ते इसका उद्घाटन किया था। तृणमूल नेता सौगत रॉय ने कहा कि पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा सिर्फ त्योहार ही नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव है, जिसे राजनीतिक और धार्मिक सीमाओं से परे हर कोई मनाता है। उन्होंने कहा कि इस त्योहार का उपयोग अपनी पार्टी के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचने के साधन के रूप में किया जाता है। भाजपा द्वारा की गई आलोचना को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में राय ने कहा, “दुर्गा पूजा कैसे मनाई जाए, इस बारे में हमें भाजपा से सीख लेने की आवश्यकता नहीं है। भाजपा को अभी बंगाल की संस्कृति और लोकाचार को समझना बाकी है।” त्योहार के साथ नेताओं की भागीदारी 1970 के दशक में शुरू हुई जब सोमेन मित्रा, सुब्रत मुखर्जी और प्रियरंजन दासमुंशी जैसे कांग्रेस नेताओं ने अपने क्षेत्रों में दुर्गा पूजा का आयोजन शुरू किया। यह परंपरा बाद में उन तृणमूल नेताओं ने जारी रखी, जो पहले कांग्रेस से जुड़े थे। वाम मोर्चा सीधे तौर पर किसी भी पूजा से जुड़ा नहीं था, लेकिन उसने राज्य भर में विभिन्न पूजा स्थल के बाहर अपने बांग्ला मुखपत्र ‘गणशक्ति’ के लिए स्टॉल लगाए। राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती के अनुसार तृणमूल द्वारा त्योहार का राजनीतिकरण 2011 में सत्ता में आने के बाद से शुरू हुआ। उन्होंने कहा, “अब भाजपा भी मैदान में आ गई है। चुनाव के दौरान बढ़त प्राप्त करने के लिए उन क्लबों पर नियंत्रण जरूरी है जो पूजा का आयोजन करते हैं। @रिपोर्ट अशोक झा