विजय शंकर मिश्र ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में चयनित होकर गोण्डा का बढाया गौरव

परिवार और क्षेत्र में खुशी की लहर,मिल रही बधाई

 

कर्नलगंज,गोण्डा। तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत बसालतपुर गांव के होनहार युवक विजय शंकर मिश्रा ने अपनी मेहनत और लगन से एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी), मुंबई में चयनित होकर अपने क्षेत्र और प्रदेश का नाम रोशन किया है। विजय ने ऑल इंडिया रैंक में 160वीं रैंक प्राप्त कर यह सफलता अर्जित की है। आपको बता दें कि विजय शंकर मिश्रा जो हरिशंकर मिश्रा के पुत्र हैं,ने अपने गांव बसालतपुर से शुरूआती शिक्षा प्राप्त की और आगे बढ़ते हुए अपनी पढ़ाई के लिए कड़ी मेहनत का सहारा लिया। उन्होंने कर्नलगंज स्थित श्री श्याम लाइब्रेरी में प्रतिदिन 8 से 10 घंटे पढ़ाई कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की तैयारी की। उनकी इस शानदार उपलब्धि पर न केवल परिवार,बल्कि पूरे क्षेत्र में खुशी और गर्व का माहौल है। आपको बता दें कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र,जो भारत का प्रमुख परमाणु अनुसंधान संस्थान है और ट्रॉम्बे, मुंबई में स्थित है। यह संस्थान भारत के परमाणु कार्यक्रम के लिए बेहद अहम है और इसकी स्थापना महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा ने की थी। इस संस्थान में चयनित होना लाखों छात्रों का सपना होता है,जिसे विजय ने अपने कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प से पूरा किया। विजय की इस सफलता पर श्याम लाइब्रेरी के संस्थापक सुधीर कुमार मिश्रा ने कहा कि विजय ने अपने लगन और मेहनत से यह सिद्ध किया है कि यदि सही दिशा में प्रयास किया जाए तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उनकी सफलता हम सभी के लिए गर्व की बात है।” उन्होंने विजय के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि यह उपलब्धि क्षेत्र के अन्य छात्रों को भी प्रेरणा देगी। अपनी सफलता पर विजय शंकर मिश्रा ने कहा कि यह सफर आसान नहीं था। सीमित संसाधनों और कठिनाइयों के बावजूद मैंने अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दी और कभी हार नहीं मानी। मेरा परिवार, मित्र, और लाइब्रेरी के संस्थापक सुधीर कुमार मिश्रा जी ने हमेशा मेरा साथ दिया और मुझे प्रोत्साहित किया। आज इस सफलता का श्रेय मैं उन्हें और अपनी मेहनत को देता हूं।

परिवार ही नहीं क्षेत्र में खुशी की लहर।

विजय की इस उपलब्धि से उनके परिवार,गांव और पूरे जिले में खुशी का माहौल है। विजय के पिता हरिशंकर मिश्रा ने कहा, विजय ने हमें गर्व करने का मौका दिया है। उसने यह साबित किया कि कठिन परिश्रम से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।

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