पोस्टिंग और पास कराने के मामले में लेता था कमिशन हुआ खुलासा
पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने सीबीआई के सामने सारी सच्चाई उगल दी
अशोक झा, कोलकोता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या मामले को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। इस बीच कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने सीबीआई के सामने सारी सच्चाई उगल दी है।रेप केस की जांच के साथ सीबीआई कॉलेज में भ्रष्टाचार के मामलों की भी जांच कर रही है. उसने दो सितंबर को भ्रष्टाचार के मामले में संदीप घोष को गिरफ्तार किया था. संदीप घोष से सीबीआई बीते करीब 15 दिनों से पूछताछ कर रही थी. गिरफ्तारी के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने भी संदीप घोष को निलंबित कर दिया था। अब संदीप घोष ने सीबीआई के सामने सारी सच्चाई उलग दी है। सीबीआई सूत्रों के हवाले से इस बारे में एक रिपोर्ट छापी है. इसमें कहा गया है कि संदीप घोष ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले में 40 फीसदी कमिशन लेते थे। फेल हो चुके मेडिकल स्टूडेंट्स को पास करवाने के लिए भी कमिशन तय था. यह एक पूरा रैकेट था. बाद के दिनों में उनका कमिशन घटकर 10 फीसदी पर आ गया. क्योंकि यह रैकेट काफी बढ़ गया. ये पैसे कई डॉक्टरों के बीच बांटे जाते थे।कई डॉक्टर और वेंटर शामिल
सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक उत्तरी बंगाल मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के एक डॉक्टर अभिक घोष की पहचान की गई है. अभिक घोष अवैध ट्रांसफर और पोस्टिंग मामले के सरगना हैं. सूत्रों के मुताबिक सीबीआई इस पूरे रैकेट में शामिल कई डॉक्टरों की तलाश कर रही है.
सूत्रों ने यह भी बताया कि संदीप घोष हर एक टेंडर पास करने में 20 से 30 फीसदी कमिशन लेते थे. इसी संबंध में सीबीआई ने बिप्लब सिंघा और सुमन हाजरा को गिरफ्तार किया है. सीबीआई सिंघा की कंपनी मां तारा ट्रेडर्स की भी कुंडली खंगाल रही है. हाजरा दवाइयों का कारोबार करते हैं. हावड़ा में उनकी दुकान पर भी सीबीआई की नजर है.
घोष ने टेंडर के नियम बदले
रिपोर्ट के मुताबिक घोष ने टेंडर आमंत्रित करने और टेंडर देने संबंधी कई नियमों में बदला किया था ताकि उनके अपने लोगों को फायदा पहुंचाया जा सके. सीबीआई का दावा है कि इस पूरे मामने में कई वेंटर्स भी लिप्त हैं. यह एक बहुत बड़ा रैकेट है जो करोड़ों रुपये का खेल कर रहा था।इसी बुधवार को संदीप घोष ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में बरती गई वित्तीय अनियमिताओं की जांच सीबीआई को देने के कोलाकात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. इस मामले पर 6 सितंबर को सुनवाई होगी. उन्होंने कहा है कि मामले को सीबीआई को सौंपने के दौरान उनका पक्ष नहीं सुना गया।सीबीआई इस मामले में संदीप घोष से कई बार पूछताछ कर चुकी है। आरजीकर में वित्तीय अनियमितता के आरोप में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया है। आरोप है कि जिस दिन सीबीआई ने केस अपने हाथ में लिया . उससे ठीक पहले ‘घटना स्थल’ यानी सेमिनार रूम के बगल वाले कमरे को रेनोवेशन के नाम पर तोड़ दिया गया। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के चार मंजिल पर स्थित सेमिनार में ही मृतका का शव मिला था।संदीप घोष द्वारा लिखा गया पत्र: लेकिन शव मिलने के दूसरे दिन ही उस कमरे और उसके बगल के कमरे (टॉयलेट) को तोड़ दिया गया. सेमिनार हॉल के बगल वाले कमरे यानी टॉयलेट में तोड़फोड़ की गयी। टॉयलेट का क्यों शुरू हुआ रेनोवेशन का काम?
अचानक टॉयलेट का रेनोवेशन क्यों हुआ? इसे तोड़ने का आदेश किसने दिया? ये सवाल उठ रहे हैं. TV9 हिंदी के हाथ एक दस्तावेज लगा है. यह दस्तावेज आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पत्र है।संदीप घोष ने लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखा था और टॉयलेट रेनोवेशन की अनुमति मांगी थी. संदीप घोष ने ऑन ड्यूटी डॉक्टरों को टॉयलेट रूम तोड़ने का आदेश दिया. उस निर्देश पर संदीप के हस्ताक्षर हैं. और निर्देश 10 अगस्त के हैं. ट्रेनी डॉक्टर की हत्या 8 अगस्त की आधी रात को कर दी गई थी. तो इतनी बड़ी घटना के बाद टॉयलेट तोड़ने के आदेश उन्होंने क्यों दिये? ये सवाल उठ रहे हैं।आरजी कर का सेमिनार रूम किसके आदेश पर तोड़ा गया, यह सवाल भी कोर्ट में उठा. निर्देश में दिख रहा है कि संदीप घोष ने लोकनिर्माण विभाग के सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर को निर्देश दिया था. जहां इतनी बड़ी घटना घटी तो फिर घटनास्थल को कैसे तोड़ दिया गया? सबूतों से छेड़छाड़ करने के लगे हैं आरोप: निर्देश में कहा गया है कि 10 अगस्त को प्लेटिनम जुबली बिल्डिंग में आयोजित बैठक में स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक कौस्ताब नाइक की उपस्थिति में यह निर्णय लिया गया. ऐसे निर्देश संदीप घोष ने दिये. यानी इस मामले में भी निर्देश का बयान इस तरह है कि संदीप घोष स्वास्थ्य विभाग की सहमति से आदेश दे रहे हैं।सीबीआई पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कह चुकी है कि घटनास्थल से सबूत गायब हो गए हैं. ऐसे में घटनास्थल तोड़ने का निर्देश भी प्रासंगिक है. सीबीआई पहले ही इस मामले का जिक्र कोर्ट में कर चुकी है। आंदोलनरत डॉक्टर सुवर्णा गोस्वामी ने कहा, ”घटना को छुपाने की कोशिश, सबूत छुपाने की कोशिश, संदीप घोष समेत पूरा सिंडिकेट कर रहा था. जो लोग स्वास्थ्य व्यवस्था पर राज कर रहे हैं, जो नाम सामने आ रहे हैं, वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं. हमने शुरू से मांग की, कॉलेज अधिकारियों, स्वास्थ्य अधिकारियों से बात करके संयुक्त रूप से निर्णय लिया गया।