सहयोगी जा रहे जेल, दीदी’ एकला चलो रे का मंत्र

सहयोगी जा रहे जेल, दीदी’ एकला चलो रे का मंत्र
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस की चीफ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी नेता एक-एक करके जांच के दायरे में घिरते जा रहे हैं। ऐसे हालात में ‘दीदी’ एकला चलो रे का मंत्र अलापती नजर आ रही हैं। बीते गुरुवार को उन्होंने अपने सहयोगियों के आवास पर छापे के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। इसके कुछ घंटों बाद ही उनके एक और भरोसेमंद ज्योतिप्रिया मल्लिक उर्फ ​​​​बालू को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया। इन तीन कंपनियों में अवैध तरीके से 20 करोड़ से ज्यादा रुपए आए और ये पैसा ज्यादातर कैश ही आया। बकीबुर रहमान ने बताया कि इन कंपनियों का पैसा लोन के रूप में फूड एंड सप्लाई मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक को जा रहा है और वो इसके लाभार्थी हैं क्योंकि लोन वापस नहीं लिया गया।
ईडी ने जिन शेल कंपनियों का पता लगाया उनके नाम हैं-
हनुमान रियलकॉन प्रा. लिमिटेड
ग्रेसियस इनोवेटिव प्रा. लिमिटेड
ग्रेसियस क्रिएशन प्रा. लिमिटेड
शेल कंपनियों में मंत्री की बेटी और पत्नी रहीं निदेशक
ईडी सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में आगे की जांच से पता चलता है कि तीन कंपनियों के पहले निदेशक और शेयर होल्डर ज्योतिप्रिया मल्लिक की पत्नी मनिदीपा मल्लिक और उनकी बेटी प्रियदर्शिनी मल्लिक थीं। इन कंपनियों में बोगस शेयर प्रीमियम और अनाज के व्यापार से मिले फायदे के नाम पर पैसा जमा किया गया। इन कंपनियों से 20 करोड़ से ज्यादा रुपया बकीबुर रहमान के साले के बैंक एकाउंट में गया। 26 अक्टूबर को छापेमारी के दौरान ऐसा 16 करोड़ रुपया सीज किया गया है।
मल्लिक के घर से बरामद हुए कम्पनियों के स्टांप
छापेमारी के दौरान ईडी ने ज्योतिप्रिया मल्लिक के घर से इन कम्पनियों के स्टांप बरामद किए थे। उनके घर में काम करने वालों के बयान दर्ज हुए। उन्होंने भी बताया कि इन कम्पनियों में डायरेक्टर मल्लिक के परिवार के लोग हैं। छापेमारी के दौरान एक शख्स ने एक नंबर MIC नाम से लिखा था, जिसको 68 लाख का पेमेंट दिया हुआ दिखाया गया। वो दरअसल मिनिस्टर ऑफ इंचार्ज था जो असल में फूड एंड सप्लाई मिनिस्टर थे। उसने बताया कि ये पैसे बकीबुर रहमान के कहने पर मंत्री को दिए गए। बकीपुर रहमान ने मल्लिक और उसके परिवार के लिए फ्लाइट के टिकट भी बुक कराए इसके भी सबूत मिले हैं।
एफिडेविट में दिखाए थे 45 हजार रुपये, अगले साल खाते में 6 करोड़
आगे की जांच के दौरान ईडी को यह भी पता चला कि नवंबर 2016 से मार्च 2017 के दौरान मोनादीपा मल्लिक के आईडीबीआई बैंक खाते में 6.03 करोड़ रुपये जमा किए गए थे। नवंबर 2016 के दौरान प्रियदर्शनी मल्लिक के आईडीबीआई बैंक खाते में 3.79 करोड़ रुपये जमा किए गए थे। 4 अप्रैल 2016 को ज्योतिप्रिया मल्लिक ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जो एफिडेविट फाइल किया था, उसमें अपनी पत्नी के खाते में केवल 45 हजार रुपए दिखाए थे, जबकि अगले ही साल उनके खाते में 6 करोड़ से ज्यादा रुपये आ गए।
मेहरून रंग की डायरी में क्या मिला?
इतना ही नहीं ज्योतिप्रिया मल्लिक के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान ईडी को एक मेहरून रंग की डायरी मिली, जिसमें सिलसिलेवार तरीके से कैश और रसीदों की पूरी जानकारी थी। इस डायरी में एमआईसी ज्योतिप्रिया मल्लिक को ‘बालूदा’ के नाम से जाना जाता है और तीन कंपनियों के नाम बताए गए हैं। इसमें एनपीजी का नाम था और लेनदेन के बारे में जानकारी थी। जब्त डायरी में दिखाया गया कि ‘बालुदा’ यानी एमआईसी को कैश कैसे मिला, जो ज्योतिप्रिया मल्लिक और उसकी तीन कंपनियों में जमा किया गया था। इस पैसे को पहले शारदा आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (ग्रेसियस क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड), शारदा फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड (ग्रेसियस इनोवेटिव प्राइवेट लिमिटेड) और हनुमान रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था।
कहां से हुई घोटाले की शुरुआत?
पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस घोटाले को लेकर 22 फरवरी 2020 से लेकर 2022 तक कई केस दर्ज किए थे। इसके बाद पीडीएस जो अवैध तरीके से राशन बेचते थे और उनके कई वितरक गिरफ्तार किए गए। ये राशन पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम के तहत वेस्ट बंगाल पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिए सप्लाई होना था। लेकिन इस राशन सप्लाई की जिम्मेदारी सरकार ने एनपीजी राइस मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को दी थी। इसका डायरेक्टर बकीबुर रहमान था। छापेमारी के दौरान एक शख्स के यहां से डायरी मिली जिसमें खरीद-फरोख्त की डिटेल्स थीं। उस शख्स ने बताया कि वो अवैध तौर पर पिछले 8-10 सालों से पीडीएस राशन की खरीद फरोख्त कर रहा है।
ओपन मार्केट में बेचते सरकारी राशन
इसी तरह एक और शख्स ने बताया कि उसके पास पीडीएस राशन बेचने का लाइसेंस है लेकिन वो इस राशन को ओपन मार्केट में बेचता है। ये पूरा राशन एनपीजी राइस मिल्स प्राइवेट लिमिटेड से आ रहा था, जो मिल मालिक की मिलीभगत से खुले बाजार में अवैध तरीके से बेचा जा रहा था। फ्लोर के मैनेजर ने अपने बयान में बताया कि वो सरकारी वितरकों को 20-40 प्रतिशत कम राशन सप्लाई करता है और ये राशन प्राइवेट दुकानदारों को जाता है। सबूत के तौर पर कई रजिस्टर जब्त किए गए, जिनमें पेमेंट और ऐसे वितरकों की पूरी जानकारी थी।
ईडी ने यहां से पश्चिम बंगाल सरकार के अलग-अलग विभागों के 100 से ज्यादा स्टांप बरामद किए। आरोपी बकीबुर रहमान ने भी माना कि वो कई साल से इस गोरखधंधे में लगा है। बकीबुर रहमान को 14 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार कर लिया गया था। वो ज्योतिप्रिया मल्लिक का बेहद करीबी है।2015 से ही ममता अपने आसपास के मजबूत पिलर्स को एक के बाद एक टूटते हुए देख रही हैं। पिछले 8 साल में उनकी करीबी मंडली के 11 भरोसेमंद लीडर्स जांच के दायरे में हैं। इनमें कैबिनेट मंत्री, सांसद, विधायक और संगठनात्मक दिग्गज शामिल हैं, जिन्हें सीबीआई और ईडी की ओर से विभिन्न भ्रष्टाचार के मामलों में गिरफ्तार किया गया है। सांसद सुदीप बनर्जी, पूर्व मंत्री मदन मित्रा और मंत्री-महापौर फिरहाद हकीम जमानत पर बाहर हैं। मगर, ये भी एक तरह से टूट चुके हैं। ममता के सबसे पुराने सहयोगी व गुरु सुब्रत मुखर्जी और पूर्व सांसद सुल्तान अहमद जैसे अन्य लोगों की जांच प्रक्रिया के दौरान मौत हो गई। दीदी इनकी मौत का ठीकरा केंद्रीय एजेंसियों और जांच पर फोड़ती रही हैं। अनुब्रत मंडल और ज्योतिप्रिया मल्लिक जैसे नेता टीएमसी के लिए बहुत अहम माने जाते रहे। ये अलग-अलग इलाकों का प्रबंधन, कैडर जुटाने और पार्टी के लिए फंड की देखभाल करने जैसे काम संभालते थे। लेकिन, अब ये सलाखों के पीछे हैं। मंडल का पश्चिमी क्षेत्र पर अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता रहा जिसमें बीरभूम, मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया शामिल हैं।।TMC के लिए अहम रहे हैं मंडल और मल्लिक
ज्योतिप्रिया मल्लिक बंगाल के सबसे बड़े जिले उत्तर 24 परगना में पार्टी के लिए सक्रिय रहे, जहां 5 लोकसभा क्षेत्र आते हैं। अगर मंडल की बात करें तो कम से कम 6 लोकसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी उनके ऊपर थी। पार्थ चटर्जी दीदी के पुराने सहयोगियों में रहे हैं। वह तृणमूल कांग्रेस की स्थापना के बाद से ही उनके साथ हैं। मगर, अब लगभग एक साल से जेल में हैं। टीएमसी चीफ के कई करीबी सहयोगी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। साथ ही पार्टी के पूर्व महासचिव मुकुल रॉय और सुवेंदु अधिकारी जैसे कुछ लोग भाजपा में शामिल हो गए। इसे लेकर ममता बनर्जी लगातार यह आरोप लगाती रही हैं कि केंद्र सरकार उनके खिलाफ बदले की भावना से काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि टीएमसी को तोड़ा जा रहा है और उनके नेताओं पर झूठे केस लगाए जा रहे हैं। ईडी की छापेमारी गंदा राजनीतिक खेल: ममता बनर्जीममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ ईडी की छापेमारी को गंदा राजनीतिक खेल करार दिया। बनर्जी ने कहा, ‘क्या अत्याचार, क्या अनाचार चल रहा है? लोकसभा चुनाव से पहले देशभर में विपक्षी नेताओं पर ईडी छापे के नाम पर भाजपा गंदा खेल खेल रही है। मैं पूछना चाहती हूं कि भाजपा के किसी नेता के आवास पर क्या ऐसी एक भी छापेमारी हुई है?’ मुख्यमंत्री ने मल्लिक के कोलकाता स्थित आवास पर छापेमारी के दौरान उन्हें कुछ भी होने पर भाजपा और ईडी के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज करने की धमकी भी दी। उन्होंने कहा कि मल्लिक अस्वस्थ हैं। अगर ईडी की छापेमारी के दौरान उन्हें कुछ हुआ तो मैं एफआईआर दर्ज कराऊंगी।टीएमसी से जुड़े 7 घोटालों में केंद्रीय एजेंसियों की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस 2015 से अब तक 7 घोटालों में केंद्रीय एजेंसियों की जांच का सामना कर रही है। इन मामलों ने एक तरह से बंगाल को हिलाकर रख दिया है। इन केंद्रीय एजेंसियों में ईडी और सीबीआई अहम हैं। ये दोनों फिलहाल सारदा-रोज वैली पोंजी स्कीम, नारदा स्टिंग ऑपरेशन से जुड़ा घोटाला, भर्ती घोटाला, राशन घोटाला, कोयला और पशु तस्करी घोटाले की जांच में जुटी हुई हैं। तृणमूल के सीनियर नेता ने कहा, ‘दीदी अकेली योद्धा की तरह लड़ रही हैं। हम जानते हैं कि वह कभी झुकने वाली नहीं हैं। पार्टी के कई भरोसेमंद नेताओं का एक तरह से पतन हो गया है। कुछ हमारे पास वापस आए हैं मगर टूटे हुए हैं। हालांकि, दीदी ही हमारी महाशक्ति हैं।@ रिपोर्ट अशोक झा

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