नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में डिप्टी मेयर समेत 154 लोगों की मौत

नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में डिप्टी मेयर समेत 154 लोगों की मौत
बढ़ सकता है मौत का आकड़ा, तलाश जारी, मोदी ने जताया दु:ख
सिलीगुड़ी: पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में एक बार फिर से विनाशकारी भूकंप आया है। नेपाल में शुक्रवार देर रात धरती इस कदर कांपी है कि न केवल इमारतें बल्कि कई लोग जमींदोज हो चुके हैं। नेपाल एक बार फिर भूकंप से दहल गया है. 6.4 की तीव्रता से आए भूकंप से नेपाल में भारी तबाही मची है। जिसमें कम से कम 158 लोगों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि इस भूकंप में सैकड़ों लोग घायल भी हुए हैं। एक दर्जन से ज्यादा घरों को नुकसान हुआ है। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड हालात का जायजा लेने जाजरकोट पहुंच चुके हैं।भूकंप का असर भारत में भी देखने को मिला। पश्चिमी नेपाल में आए इस तेज झटके में नालगड़ म्यूनिसिपलिटी की डिप्टी मेयर समेत 154 लोगों की मौत हो गई है। जाजरकोट और पश्चिमी रुकुम में सबसे ज्यादा तबाही मची है। नेपाल के साथ भारत का बेटी रोटी का संबंध है। शनिवार की सुबह से ही सिलीगुड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों से लोग नेपाल पहुंच अपनो की जानकारी लेने में जुट गए है। देर रात आए तेज झटके उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पटना, झारखंड और बिहार तक में महसूस किए गए। भूकंप के झटके महसूस करते ही लोग अपने घरों से निकलकर सड़क पर आ गए, अफरा-तफरी मच गई। जाजरकोट जिले के पुलिस उपाधीक्षक संतोष रोका ने कहा कि जाजरकोट में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। भूकंप का केंद्र काठमांडू से 331 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में 10 किमी जमीन के नीचे था। जाजरकोट और रुकुम पश्चिम जिले में भूकंप का असर सबसे ज्यादा देखा गया। दिल्ली-एनसीआर के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और बिहार की राजधानी पटना में झटके महसूस किए गए। हालांकि भारत में किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। बचाव दल पहाड़ी गांवों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं। इस विनाशकारी भूकंप में कई घर और इमारतें ढह गईं। माना जा रहा है कि नेपाल भूकंप में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ सकता है। नेपाल में आए इस भयंकर भूकंप ने एक बार फिर से 2015 के विनाशकारी भूकंप की याद दिला दी है, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था। पीएम मोदी ने कहा- मुश्किल घड़ी में हम नेपाल के साथ
नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने तीनों सिक्योरिटी एजेंसियों को रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटने के निर्देश दिए हैं। वहीं पीएम मोदी ने भी नेपाल के भूकंप मरने वाले लोगों के प्रति संवेदनाएं व्यक्ति की हैं। उन्होंने मुश्किल घड़ी में नेपाल की मदद करने का भरोसा जताया। 2015 में आए भूकंप से काठमांडू 10 फीट तक खिसक गया था नेपाल में साल 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। इस दौरान करीब 9 हजार लोग मारे गए थे। इस भूकंप ने देश के भूगोल को भी बिगाड़ दिया था। यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के टैक्टोनिक एक्सपर्ट जेम्स जैक्सन ने बताया कि भूकंप के बाद काठमांडू के नीचे की जमीन तीन मीटर यानी करीब 10 फीट दक्षिण की ओर खिसक गई। क्या आप जानते हैं कि बार-बार आखिर भूकंप क्यों आ जाते हैं. आइए समझते हैं कि भारत में कौन-कौन सी जगह ज्यादा संवेदनशील है।क्या है भूकंप आने का कारण: जब टैक्टोनिक प्लेट्स की स्थिति में परिवर्तन होता है। धरती में 12 टैक्टोनिक प्लेट्स होती हैं। इन प्लेट्स के आपस में टकराने पर जो ऊर्जा निकलती है, उसे ही भूकंप कहा जाता है। ये प्लेट्स बहुत धीमी रफ्तार से घूमती रहती हैं और हर साल अपनी जगह से 4 से 5 मिमी तक खिसक जाती हैं। ऐसे में कोई प्लेट किसी से दूर हो जाती है तो कोई किसी के नीचे से खिसक जाती है। इसी प्रक्रिया के दौरान प्लेट्स के टकराने से भूकंप आता है।
भारत में भूकंप के क्षेत्रों को जोन में बांटा गया : यहां जानना जरूरी है कि रिंग ऑफ फायर में होने के कारण दुनिया में सबसे ज्‍यादा भूकंप इं‍डो‍नेशिया देश में आते हैं। जावा और सुमात्रा भी इसी क्षेत्र में आते हैं। अब अगर भारत की बात करें तो पिछले कुछ दशकों में भारत भी भूकंप का केंद्र बनता जा रहा है। एक रिसर्च के मुताबिक, भूकंप का खतरा देश में हर जगह अलग-अलग है और इसी खतरे के हिसाब से देश को कई जोन में बांटा गया है. जैसे जोन- 1, जोन-2, जोन-3, जोन-4 और जोन-5. जोन-2 यानी सबसे कम खतरा और जोन-5 यानी सबसे ज्‍यादा खतरा है। भूकंप के लिहाज से सबसे खतरनाक इलाका जोन- 5 है।
भारत का जोन-5 सबसे ज्यादा खतरनाक : जोन-5 में पूरा पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड गुजरात में कच्छ का रन, उत्तर बिहार का कुछ हिस्सा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल है। इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते रहते हैं. जोन-4 में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग, सिंधु-गंगा थाला, बिहार और पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्से और पश्चिमी तट के समीप महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और राजस्थान शामिल है। जोन-3 : इसमें केरल, बिहार, पश्चिमी राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश पूर्वी गुजरात और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा आता है।जोन-2 : जोन-2 में राजस्थान, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा को शामिल किया गया है। जोन-1 : भूकंप के लिहाज से सबसे कम खतरे वाले जोन यानि जोन-1 में पश्चिमी मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक पूर्वी महाराष्ट्र और उड़ीसा के हिस्से आते हैं।भूकंप का केंद्र क्या होता है? धरती की सतह के नीचे की वह जगह, जहां पर चट्टानें आपस में टकराती हैंं या टूटती हैं, भूकंप का केंद्र या फोकस कहलाता है. इसे हाइपोसेंटर भी कहते हैं। इस केंद्र से ही ऊर्जा तरंगों के रूप में बतौर कंपन फैलती है और भूकंप आता है. यह कंपन एकदम उसी तरह होता है, जैसे शांत तालाब में पत्थर फेंकने पर तरंगें फैलती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह चिंता का विषय है। क्या टैक्टोनिक प्लेट्स की स्थिति में परिवर्तन तब भी होता है जब धरती के ऊपर कोई क्रिया होती है, इन सब सवालों के जवाब वैज्ञानिकों को परेशान करने वाले हैं। इस पर लगातार रिसर्च की जा रही है। रिपोर्ट अशोक झा

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