परंपरागत रीति रिवाज के साथ कामाख्या-कामेश्वरी का विवाह हुआ संपन्न
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गोहाटी: नीलाचल पहाड़ पर स्थित विश्व विख्यात शक्तिपीठ कामाख्या धाम में परंपरागत रीति रिवाज के साथ शुक्रवार को कामाख्या-कामेश्वरी का विवाह संपन्न हुआ। असमिया भाषा में इस विवाह को पौहन विवाह कहा जाता हैं। कामाख्या का विवाह उत्सव प्रत्येक वर्ष पौष महीने के द्वितीया/ तृतीया तिथि को मनाया जाता है। गुरुवार को विवाह के मौके पर शाम को अधिवास का आयोजन किया गया था। शुक्रवार को कामाख्या-कामेश्वर ने सात फेरे लिया। वहीं 30 दिसंबर यानी शनिवार को बसी विवाह संपन्न किया जाएगा। कामाख्या देवालय के दौले कवींद्र प्रसाद शर्मा ने बताया हैं कि बीते गुरुवार से तीन दिवसीय विशेष कार्यक्रम के साथ कामाख्या-कामेश्वर विवाह की प्रक्रिया शुरू हुई। कामाख्या धाम में पौहन बिया बहुत प्राचीन समय से होता चला आ रहा है। कामाख्या-कमारेश्वर का विवाह कामाख्या मंदिर प्रांगण में धूमधाम से मनाया गया। आज सुबह मंदिर प्रांगण से बारात निकलकर कामाख्या प्रांगण पहुंची। जहां रीति रिवाज के अनुसार कामाख्या-कामेश्वर ने साथ फेरे लिया, जिसके बाद विवाह संपन्न हुआ। इस विवाह को देखने के लिए कामाख्या धाम में आज हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी पड़ी। विवाह के अवसर पर कामाख्या धाम को सुंदर तरीके से सजाया गया था। उल्लेखनीय हैं की पौहान विवाह के दौरान पूरी तरह असमिया रीति रिवाज से शादी के सभी नियमों का पालन किया जाता है। जैसे अधिवास, शादी और बासी विवाह। देवी कामाख्या एवं कामेश्वर के विवाह की परंपरा बहुत पुरानी है। कामाख्या धाम अब ढोल, वाद्य से मुखरित हो उठा है। शनिवार वासी विवाह के बाद परंपरागत रूप से तीन दिवसीय पौहान विवाह सम्पन्न हो जाएगा। रिपोर्ट अशोक झा