उत्तर बंगाल के रास्ते बांग्ला देश हो रही मवेशी तस्करी, ऊपर से नीचे संगठित गिरोह कर रहा काम

सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल सीमा पर सिलीगुड़ी जिले में 176 बटालियन सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बीओपी फूलबाड़ी सीमा कर्मियों ने, उसी क्षेत्र में भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात, भैंसों से भरे एक ट्रक में दस भारतीय नागरिकों को रोका। गिरफ्तार भारतीयों के नाम सेनूर शेख (34), नूरनौबी मंडल (28), गुलजार अली (27), अब्दुल बखेर फैन (38), यूसुफ अली (42), अबू सलाम, प्रमाणिक (44) और अब्दुल बराक फैन हैं। (45). , सुहिदल होसैन (40), महीउद्दीन शेख (35), अनवर होसैन (27)। बीएसएफ ने एक प्रेस विज्ञप्ति में इसकी घोषणा की। प्राप्त जानकारी के आधार पर बीएसएफ को गोपनीय सूचना मिली कि भैंसों से भरा एक ट्रक बिना वैध दस्तावेजों के असम से बांग्लादेश जा रहा है. बाद में सीमा बल 176 बटालियन ने फुलबाड़ी एनएच-31 पर विशेष घात लगाकर हमला किया। इसके बाद बीएसएफ ने फूलबाड़ी टोल प्लाजा के पास ट्रक को रोका। मिल रही जानकारी के अनुसार मवेशी तस्करी में पुलिस की संलिप्तता केवल कूपन तक ही सीमित नहीं है। तस्करों की मदद के लिए पुलिस ने उन ट्रकों के नंबर भी बाकयदा मेंटेन किए हैं, जिनमें मवेशियों की तस्करी की जा रही है। पड़ताल के दौरान इन ट्रकों के भी नंबर मिले हैं। विभिन्न पुलिस थानों के पास इन ट्रकों के नंबर उपलब्ध होते हैं। इसके बाद ट्रकों के निकलने से पहले इन्हें पास और इंट्री कराने वाले पुलिसवालों तक इनके नंबर पहुंचा दिए जाते हैं, ताकि रास्ते में उन्हें कोई दिक्कत नहीं हो। हर चौक-चौराहे और इंट्री प्वाइंट पर मैनेज करने वाले लोग भी तैनात रहते हैं। कई जिले बने मवेशियों की तस्करी के डंपिंग जोन
बंगाल सीमावर्ती जिलों से मवेशियों की तस्करी बदस्तूर जारी है। मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिन दिनाजपुर,नक्सलबाड़ी, खोरीबाडी, सोनापुर, पंजीपाड़ा, फुलबाड़ी, जलपाईगुड़ी, शीतलकूची, फलाकाटा क्षेत्र में मवेशियों की तस्करी के डंपिंग स्टेशन बने हुए हैं। झारखंड के विभिन्न स्थानों पर लगे स्थानीय हाटों में खरीदे गए मवेशियों को पैदल चलाकर एक जगह इकट्ठा किया जाता है। फिर यहां से मवेशियों को बड़े-बड़े ट्रकों और कंटेनरों में भरकर सीमावर्ती क्षेत्रों में लाया जाता है। फिर इन ट्रकों की इंट्री माफिया द्वारा पास कराई जाती है। इंट्री माफिया की मिलीभगत स्थानीय पुलिस वालों से होती है। मवेशियों को बंगाल का उत्तर दिनाजपुर समेत अन्य इलाकों में भेजा जाता है। यह जिला बांग्लादेश की सीमा से लगता है, जिससे यहां डंप मवेशियों को रात्रि में बॉर्डर पार कराने में कोई दिक्कत नहीं होती है। ये मवेशी तस्कर अपराधी प्रवृत्ति हथियारों से लैस रहते हैं और हमला करने से भी नहीं चूकते।
तस्करी के नए-नए तरीके :मवेशी तस्कर तस्करी के लिए हमेशा नए-नए तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर ट्रक में मवेशियों को भरकर ले जाया जाता है तो इसके लिए ट्रक को पीछे से पूरी तरह से कवर कर दिया जाता है। इसके अलावा कई बार पीछे के हिस्से में सब्जी या अन्य सामान भी भर दिया जाता है, ताकि कुछ दिखे ही नहीं। कुछ दिनों पहले बंद ट्रक (बड़े वाहनों को लाने-जाने वाले) में मवेशी तस्करी का मामला पकड़ में आया था। तब पूछताछ में तस्करी के कई तरीके पुलिस को पता चले।
कई संगठित गिरोह हैं इसमें शामिल
पश्चिमबंगाल के फुलवाड़ी, मैनागुडी, माथाभंगा, कूचविहार रामगंज, कच्ची कली जैसे कई ऐसे स्थान हैं, जहां से मवेशियों को बांग्लादेश भेजा जा रहा है। मवेशी तस्करों को पुलिस के पास हर माह सुविधा शुल्क जमा कराना पड़ता है। हर थाने के लिए अलग-अलग रंग के कूपन दिए जाते हैं। राज्य में कई संगठित गिरोह इस धंधे में जुट गए हैं। रांची में एसके नाम का कोडवर्ड काफी फेमस है। इस थाने में तैनात पुलिसकर्मी पशु तस्करों से गाड़ी पास कराने का ठेका लेते हैं। उसके बाद रास्ते में पड़ने वाले सभी थाने, चौकियों और चौराहों से पास कराने का जिम्मा होता है। गाड़ी को पास कराने के लिए पुलिसकर्मी स्वयं आगे- आगे लग्जरी गाड़ी में चलते रहते हैं।
यह रहा ट्रक और नंबरों की सूची : एक दर्जन से अधिक ट्रक हैं, जो हर दिन मवेशियों को ढोते हैं। राज्य से प्रति सप्ताह 15 हजार मवेशियों की तस्करी की जाती है। इन ट्रकों के नंबर तस्करों से पास से ही बरामद किए गए हैं। रिपोर्ट अशोक झा

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