ईडी ने राशन घोटाला से संबंधित उन सभी मामलों को सीबीआई को सौंपने का किया अनुरोध
कोलकाता: केद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल में राशन घोटाला मामले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। ईडी ने हाईकोर्ट से राशन घोटाला से संबंधित उन सभी मामलों को सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया है, जिनकी जांच राज्य पुलिस द्वारा की जा रही है।
इसके अलावा कुछ मामलों में सबूत हाथ में होते हुए भी जांच बंद कर दी गई है। केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने शुक्रवार को इस संबंध में कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि राशन से संबंधित सभी मामले, जिनकी जांच राज्य पुलिस द्वारा की जा रही थी, उन्हें सीबीआई को सौंप दिया जाए। ईडी बंगाल में राशन से जुड़े वित्तीय भ्रष्टाचार की जांच कर रही है। उन्होंने जांच के बाद राज्य के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, मंत्री के करीबी माने जाने वाले व्यवसायी और चावल-गेहूं मिल के मालिक बकीबुर रहमान और बनगांव के पूर्व मेयर शंकर आध्या को भी गिरफ्तार किया गया है। राशन मामले में ईडी को संदेशखाली के तृणमूल के प्रभावशाली नेता शाहजहां शेख की भी तलाश है। हालांकि 2016 से 2023 के बीच राशन भ्रष्टाचार से संबंधित छह एफआईआर पुलिस में दर्ज की गईं, लेकिन उन्होंने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की। ईडी ने हाई कोर्ट से कहा, ””राज्य की ओर से राशन भ्रष्टाचार की जांच एकतरफा तरीके से आगे बढ़ी है क्योंकि राशन बांटने और धान खरीदी में राजनीतिक हस्तियां और मंत्री शामिल थे। लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उचित दस्तावेज़ और सबूत मौजूद होने के बावजूद जांच बंद कर दी गई। इतना ही नहीं, ईडी ने हाई कोर्ट को बताया कि उसे राशन संबंधी मामलों में राज्य पुलिस से कोई जवाब नहीं मिला है। राशन से जुड़े छह मामलों में से दो एफआईआर कोलकाता में दर्ज की गईं। शेष चार नादिया जिले में दायर किए गए थे। इसी एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की। उन्होंने शुक्रवार को उच्च न्यायालय को बताया, “उन्होंने राज्य पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर मामलों की प्रगति जानने की मांग की है। साथ ही इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीजीपी को पत्र भी भेजा था लेकिन किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया गया।”” तो केंद्रीय जांच एजेंसी ने हाई कोर्ट को बताया कि राज्य पुलिस राशन भ्रष्टाचार की जांच करने में विफल रही और इसी आधार पर उन्होंने राशन भ्रष्टाचार से जुड़े राज्य पुलिस के सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने को कहा है। हर माह चार हजार रुपये की दी गई रिश्वत सूत्रों के मुताबिक, राज्य की करीब 21,300 राशन दुकानों में से ज्यादातर के मालिकों (चाहे वह भ्रष्टाचार में शामिल हों या नहीं) को राज्य खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के उच्च अधिकारियों को प्रति माह बतौर रिश्वत 4,000 रुपये देने के लिए मजबूर किया गया था। इसके बदले उन्हें अपनी दुकान चालू रखने व खुले बाजार में राशन सामग्री बेचने की छूट मिली हुई थी।यह भुगतान 2011 के अंत तक शुरू हो गया था और 2021 की शुरुआत तक जारी रहा। इस अवधि के दौरान वसूली गई रकम 700 करोड़ रुपये से कम नहीं होगी। इस अवधि के दौरान ज्योतिप्रिय मल्लिक ने खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया था।राशन सामग्री बेचकर जुटाए गए करीब 200 करोड़ रुपये
जांचकर्ताओं का अनुमान है कि 300 से ज्यादा फर्जी राशन दुकानों के नाम पर खुले बाजार में राशन सामग्री बेचकर करीब 200 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। यह राशि सीधे आरोपितों के पास गई। धान खरीद के मामले में भी फर्जी किसानों के नाम पर बैंक खाते खोलकर सब्सिडी मूल्य के कम से कम 100 करोड़ रुपये निकाले गए हैं। रिपोर्ट अशोक झा