नोएडा की मासंती देवी को इंडिया गेट पर दिखता है राष्ट्र तीर्थ

तमाम बुजुर्गो के प्रति बच्चों को बुरे बर्ताव देख दुखी मासंती देवी अपने बेटे को मानती है आज का श्रवण कुमार

नईदिल्ली। मन चंगा तो कठौती में गंगा। संत रैदास की इन दो लाइनों में जिंदगी का सार ही नहीं बहुत कुछ सीख भरी है। ऐसी ही सीख की एक जीती-जागती गवाह है 87 साल की मासंती देवी। जिनको इंडिया गेट पर राष्ट्र तीर्थ नजर आता है। हिंदुस्तान के हर राज्य के लोगों को बोलचाल से लेकर खानपान के साथ पहनावा देखकर उनको अलग आनंद महसूस होता है। मासंती देवी की इंडिया गेट घूमने की इच्छा पूरा करने के लिए उनके इकलौते बेटे डीएस विष्ट हर रविवार को ले जाते हैं। इंडिया गेट पहुंचकर उनको एक अलग अनूभूति महसूस होती है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के रहने वाली मासंती देवी देश की आजादी से लेकर अमृत महोत्सव की गवाह है। देश जब आजाद हुआ तो 12 साल की थी। पंदह साल में शादी हो गयी। कुछ साल बाद पति के साथ दिल्ली आ गयी है। दिल्ली के तमाम इलाकों में रह चुकी मासंती घूमने को दिल्ली की सभी प्रमुख जगहों के देश के प्रमुख शहरों में जा चुकी हैं लेकिन इंडिया गेट पर आने के लिए इनका दिल अक्सर धड़कता रहता है। मासंती का इकलौता बेटा डीएस विष्ट गृह मंत्रालय में नौकरी करने के बाद रिटायर हो चुके हैं। मासंती बताती है बेटा जब नौकरी करता था तब भी उसको लेकर इंडिया गेट आती थी। बेटे के उनके बच्चों संग मासंती पिछले पांच दशक से इंडिया गेट पर आती रही है। बेटे ने नोएडा के सेक्टर 34 में मकान बनवा लिया है। दिल्ली से नोएडा आने के बाद भी उनके दिल में इंडिया गेट के प्रति प्रेम को कोई कमी नहीं आयी। आज भी वह बेटे-बहू संग संडे को इंडिया गेट आती है। मासंती देवी का कहना है इंडिया गेट पर देशभर के लोग जिस तरह आते हैं,उनके अंदर देश प्रेम की भावना को लेकर दिल खुश हो जाता है।

तांगे से लेकर मेट्रो रेल की सफर की हैं गवाह
मासंती देवी ने बताया कि जब पहली बार पति के साथ इंडिया गेट आयी थी तो चार आना यानी पचीस पैसा किराया दिया था। तांगे से इंडिया गेट के साथ लालकिला, कुतुबमीनार सहित प्रमुख बाजारों को घूमने वाली अब मेट्रो रेल से भी बेटे संग आती है। वह कहती है समय के बहुत बदल गया। इंडिया गेट की खूबसूरती अब और बढ़ गयी है।

अपराध बढ़ने से बहुत दुखी है मासंती देवी
आजादी से लेकर अमृत महोत्सव की गवाह मासंती देवी की नजर में अब जमाना बहुत बदल गया है। पैसे के लिए लोग पागल हो रहे हैं। इंसानियत घट रही है अपराध बढ़ रहे हैं। अपराध बढ़ने से दुखी मासंती कहती है मैं भगवान से यही प्रार्थना है लोगों को सदबुद्धि दें। इंसान हो या पशु-पक्षी सबके जान की कीमत होती है, किसी की जान अपने स्वार्थ के लिए मत लें

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