कांग्रेस टीएमसी गठबंधन को लेकर अधीर हो गए अधीर, ले सकते है बड़ा फैसला

नेता से ज्यादा समर्थक है नाराज, नहीं चाहते संदेश खाली का लगे पार्टी पर दाग

कोलकाता: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस INDIA गठबंधन में आई दरारों को भरने में जुटी है। कांग्रेस के बड़े नेता INDIA गठबंधन के साथियों से बातचीत कर रहे हैं। यही वजह है कि पश्चिम बंगाल में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और टीएमसी के बीच एक बार फिर बातचीत शुरू हो गई है। सूत्रों की मानें तो दोनों पार्टियां मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं, लेकिन इन सब के बीच खबर है कि पश्चिम बंगाल के कांग्रेस अध्यक्ष व लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी अपनी पार्टी से नाराज चल रहे हैं। उनकी नाराजगी ममता बनर्जी के साथ सीट बंटवारे को लेकर चल रही बातचीत की वजह से है। सूत्रों के मुताबिक, अधीर रंजन चौधरी ने कांग्रेस आलाकमान को पार्टी छोड़ने तक की धमकी दे दी है। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि अगर टीएमसी के साथ गठबंधन होता है तो वो बीजेपी में भी शामिल हो सकते हैं। उनका अल्टीमेटम कांग्रेस आलाकमान के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है। बंगाल में अधीर रंजन चौधरी लगातार ममता बनर्जी और टीएमसी पर हमलावर रहे हैं, जिसके बाद कहा जा रहा था कि सूबे में इंडिया गठबंधन का होना मुश्किल है। यहां तक ममता बनर्जी ने खुद ऐलान कर दिया था कि वह बंगाल में अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरेंगी। यह कोई पहली बार नहीं जो कांग्रेस का विकेट गिरने जा रहा है। पिछले 10 सालों में कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी को छोड़ चुके हैं, जिसमें रीता बहुगुणा जोशी, कैप्टन अमरिंदर सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुलाम नबी आजाद, आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद, बाबा सिद्दीकी, मिलिंद देवड़ा, अशोक चव्हाण, सुष्मिता देव, प्रियंका चतुर्वेदी, जितिन प्रसाद, अशोक तंवर, हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर, अशोक चौधरी, हिमंत बिश्व शर्मा, सुनील जाखड़, अश्वनी कुमार शामिल हैं।
कांग्रेस और टीएमसी में 6 सीटों पर बन सकती बात
इधर, अब बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर समझौते के आसार दिखाई दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस को 5 सीट देने को तैयार हो गई हैं, जबकि कांग्रेस ने6 से 8 सीट की मांग रखी है. दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत अंतिम दौर में है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और टीएमसी में अब 6 सीटों पर सहमति बनती दिख रही है। दोनों दलों के बीच 36-6 का फॉर्मूला तय हुआ है, यानि बंगाल में टीएमसी 36 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सूत्रों के मुताबित, कांग्रेस किन-किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इन बारे में फाइनल राउंड की बातचीत चल रही है। कांग्रेस की 5 सीटें तय हो गई हैं। ये सीटें बहरामपुर, रायगंज, दार्जिलिंग, मालदा उत्तर और मालदा दक्षिण हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने मुर्शिदाबाद, जंगीपुर और पुरुलिया सीट की भी मांग की थी, लेकिन कांग्रेस का पुरुलिया सीट पर सबसे ज्यादा जोर है। ममता बनर्जी बंगाल की जिन पांच सीटों को कांग्रेस को देने के लिए राजी हुई हैं, उनके बारे में कुछ और डिटेल जान लीजिए। इनमें से दो सीटें कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव में जीती थीं। ये सीटें बहरामपुर और मालदा दक्षिण हैं। बहरामपुर से अधीर रंजन चौधरी सांसद: बहरामपुर से कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी सांसद हैं. तो वहीं, मालदा दक्षिण से अबू हसम खान चौधरी सांसद हैं, अबू हसम कांग्रेस के दिग्गज नेता अब्दुल गनी खान चौधरी के भाई हैं। कांग्रेस को रायगंज की भी सीट मिली है, जो प्रियरंजन दास मुंशी की पूर्व सांसद पत्नी दीपादास मुंशी की सीट है। इसके अलावा कांग्रेस को ममता के विरोध वाली दार्जिलिंग सीट मिली है और मालदा उत्तर की सीट भी मिली है, जहां से पिछले साल बीजेपी को जीत मिली थी। अधीर रंजन चौधरी की नाराजगी ममता सरकार से नई नहीं है। वे पश्चिम बंगाल की हर दूसरी समस्या पर ममता बनर्जी को घेरते रहे हैं। ऐसे में क्या टीएमसी और कांग्रेस के बीच सीट समझौता हो जाता है तो वे पार्टी छोड़ देंगे? कांग्रेस के सूत्रों की इस पर मुख्तलिफ राय है। कुछ सूत्र नाराजगी की बात स्वीकार रहे हैं जबकि कुछ का कहना है कि आलाकमान उनको मना लेगा। सवाल है कि अधीर रंजन चौधरी ममता बनर्जी से इतने नाराज क्यों रहते हैं? इसकी वजहें कई हैं। पहला: अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल की सियासत के बड़े नाम हैं। ये आज की बात नहीं है, वह बरसों से बतौर विपक्ष के नेता पश्चिम बंगाल में ममता सरकार से लड़ते आए हैं। अधीर चौधरी ये बात जानते हैं कि टीएमसी और कांग्रेस के बीच समझौते की दिशा में उनको टीएमसी के नेताओं के साथ मंच साझा करना होगा और ममता सरकार की नीतियों पर नरम रुख अपनाना होगा. अधीर रंजन चौधरी जाहिर तौर पर इस स्थिति से बचना चाहते हैं।दूसरा : ममता बनर्जी की पार्टी से गठबंधन होने पर उनकी नाराजगी की एक दूसरी वजह कांग्रेस का पश्चिम बंगाल की राजनीति में स्टेक भी है। अधीर रंजन चौधरी को मालूम है टीएमसी से गठबंधन की दिशा में कांग्रेस सूबे में कम सीटों पर लड़ेगी और ये अधीर रंजन चौधरी को मंजूर नहीं। कहा जा रहा है कि अधीर रंजन चौधरी की बेरहामपुर सीट को लेकर भी दोनों पार्टियों में बात अटकी हुई है। हालांकि जानकारी के मुताबिक अधीर को समझाया जा रहा है कि ममता बनर्जी, अधीर की बेरहामपुर सीट कांग्रेस ही के हिस्से में दे सकती हैं। ऐसे में, पार्टी उनको बीजेपी के खिलाफ बड़ी लड़ाई में बड़ा दिल दिखाते हुए आगे बढ़ने की बात कह मनाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अधीर शुरुआती तौर पर भले ही नारा हों लेकिन वो पार्टी नहीं छोडेंगे और राहुल गांधी उनसे बात करके उनको मना लेंगे।
ममता के खिलाफ अधीर के कुछ बयान
फरवरी: ममता बनर्जी ने संदेह जताते हुए कहा था कि सबसे पुरानी पार्टी लोकसभा चुनाव में 40 सीटें जीतेगी, ये कहना भी मुश्किल है। ये बात कांग्रेस के कई नेताओं को बुरी लगी थी मगर चौधरी ने खुलकर ममता के खिलाफ बयान दिए। अधीर रंजन ने कहा था कि, ‘अगर इंडिया ब्लॉक का कोई नेता ऐसा कहता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. ममता बनर्जी बीजेपी से डरती हैं, इसीलिए अपना रुख बदल रही हैं।
जनवरी: पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं। जनवरी में जब ये खबर आई कि 2 लोकसभा की सीटें कांग्रेस को देने पर ममता बनर्जी विचार कर रही हैं तो इस बात से अधीर रंजन चौधरी काफी खफा हुए थे। उनका कहना था कि दो सीटें तो कांग्रेस के पास पहले से है, ऐसे में उनकी पार्टी को टीएमसी नया क्या दे रही है। अधीर ने यहां तक कह दिया था कि ममता बनर्जी गठबंधन की राजनीति इसलिए नहीं करना चाहती क्योंकि इससे पीएम मोदी उनसे गुस्सा हो जाएंगे।
पश्चिम बंगाल: 2019 लोकसभा चुनाव
2019 आम चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल लोकसभा की 42 सीटों में से 22 सीट पर तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई थी जबकि 18 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विजयी हुए थे। लेफ्ट पार्टियों को 1 सीट भी नहीं नसीब हुई थी। टीएमसी को उस चुनाव में 44 फीसदी के करीब वोट प्रतिशत हासिल हुआ था जबकि बीजेपी भी 41 फीसदी वोट जुटाने में सफल हो पाई थी। कांग्रेस पार्टी का 2019 चुनाव में पश्चिम बंगाल में 6 फीसदी के करीब वोट प्रतिशत रहा था। रिपोर्ट अशोक झा

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