बीजेपी को अब बसपा व सपा से लड़ना बना चुनौती

35 साल बीजेपी में गुजारने के बाद बीएसपी में जाकर लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे दयाशंकर मिश्र व कांग्रेस के समर्थन से मैदान में उतरे सपा उम्मीदवार रामप्रसाद चौधरी के आने लड़ाई बनी रोचक

बस्ती। बस्ती लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र को बसपा से टिकट मिलने के बाद सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। एक तरफ से बीजेपी ने तीसरी बार सांसद हरीश द्विवेदी को टिकट देकर मैदान में उतार दिया है दूसरी तरफ कांग्रेस समर्थित सपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री रामप्रसाद चौधरी सियासी ताल ठोंक रहे हैं। बीजेपी व सपा के बीच मुकाबला मान रहे राजनीतिक पंडितों के सामने बसपा के उम्मीदवार की घोषणा के बाद समीकरण रोजाना बनते बिगड़ते दिख रहे हैं। बसपा उम्मीदवार दयाशंकर मिश्र बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभर रहे हैं।
बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र के पाला बदलकर बसपा से आने के बाद अब भाजपा भीतरघात की चिंता सताने लगी है। बस्ती संसदीय सीट पर भाजपा का लगातार दो बार से कब्जा है। पार्टी ने इस बार भी मौजूदा सांसद हरीश द्विवेदी पर ही भरोसा जताया है। उधर, पिछले चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से प्रत्याशी रहे पूर्व मंत्री रामप्रसाद चौधरी ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। इस बार कांग्रेस से गठबंधन कर सपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है। सजातीय वोटों पर रामप्रसाद की पकड़ मजबूत मानी जाती है। अब भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र पाला बदलकर बसपा से लोकसभा उम्मीदवार बन गए हैं। वह भाजपा के हर दांव-पेंच को जानते हैं, इसलिए भाजपा के रणनीतिकारों की मुश्किलें बढ़ गई है। हालांकि, इस चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने हिसाब से जातीय समीकरण को ही साधने की कोशिश की है। इस सीट से सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता करीब पांच लाख हैं। इसके बाद तीन लाख ब्राह्मण और ढाई लाख कुर्मी मतदाता हैं। भाजपा को जहां मोदी-योगी फैक्टर और सवर्ण मतदाताओं पर भरोसा है। वहीं, दयाशंकर भाजपा में 35 वर्ष सेवा कर चुके हैं। भाजपा के पास मोदी-योगी फैक्टर का बड़ा आधार है। लेकिन, बसपा ने भाजपा नेता दयाशंकर मिश्र को टिकट दे दिया है। इससे भाजपा के सामने दोहरी चुनौती होगी। एक तो उन्हें ब्राह्मण मतों को सहेजना होगा दूसरे पार्टी से नाराज लोगों को भी संतुष्ट करना होगा। वरना, भितरघात का भी खतरा रहेगा। उधर, सपा के राम प्रसाद चौधरी भी मजबूती से लड़ रहे हैं। इस बार लड़ाई रोचक होगी। किसी एक दल की ओर अभी रुझान दिखाई नहीं दे रहा है।

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