जिन्होंने बंगाल को लूटा उसे मोदी छोड़ने बाला नहीं, बंगाल को बनाना है सोनार बांग्ला

कोलकाता: बंगाल भारत का वो हिस्सा है जिसके जिक्र के बिना देश का इतिहास नहींं लिखा जा सकता। एक विशेष इंटरव्यू में पीएम मोदी ने बंगाल के इतिहास का जिक्र करते हुए इसे देश को आगे ले जाने वाला अहम राज्य बताया। कहा की जिसने बंगाल को लुटा है उसे वह छोड़ने वाले नहीं है। बंगाल को सोनार बांग्ला बनाना भाजपा का लक्ष्य है जिसे पूरा किया जाएगा। उन्होंने विपक्ष के संविधान बदलने के आरोप के साथ-साथ बीजेपी की गारंटी और 400 पार पर अपनी बात रखी है। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 10 सालों का कार्यकाल का हमारे पास अनुभव है।
उन्होंने कहा, देश को आगे ले जाने में पश्चिम बंगाल अहम भूमिका निभा सकता है. इस राज्य ने रवींद्र नाथ टैगोर से लेकर जगदीश चंद्र जैसी महान शख्सियतें देश को दी हैं। इतिहास पर नजर डालेंगे तो पाएंगे साहित्य और कला से लेकर अर्थव्यवस्था तक, बंगाल ने देश को बहुत कुछ दिया है।राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की रचना करने वाले कवि और उपन्यासकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय बंगाल में जन्में और बंगला साहित्य को आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया. यह राष्ट्रीय गीत स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणास्रोत बना। दुनिया में भारत का झंडा बुलंद किया: विश्व विख्यात कवि रवींद्र नाथ टैगोर ने दुनियाभर में भारत का नाम रोशन किया. एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्र नाथ टैगोर की रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं. भारत का जन, गण, मन और बांग्लादेश का राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला इतिहास में दर्ज हुआ. कोलकाता के कायस्थ परिवार में जन्मे स्वामी विवेकानंद ने शिकागो की विश्व धर्म परिषद में भारत की आवाज को बुलंद किया. दिग्गज अर्थशास्त्री और नोबेल प्राइज विनर अमर्त्य सेन, वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस और जगदीश चंद्र समेत कई ऐसी महान शख्सियतें रही हैं जो बंगाल से निकलीं और दुनियाभर में भारत का झंडा बुलंद किया।
बदलाव की बयार: 19वीं और 20वीं सदी के शुरुआती दौर में यहां कई समाज सुधार आंदोलनों की नींव पड़ी. इस दौरान समाज सुधारकों, साहित्यकारों और कलाकारों ने बाल विवाह, दहेज, जातिप्रथा को चुनौतियां दी। पश्चिम बंगाल अपनी विशिष्ट संस्कृति के लिए जाना गया जिसमें लोक परंपराएं, साहित्य, संगीत, फिल्म और कला शामिल रहीं, जिसने भारत को कई मायनों में समृद्ध बनाया. यह कई राजनीतिक विद्रोहों का जन्मस्थान और यूरोपीय शिक्षा का प्रवेश द्वार भी रहा है। पश्चिम बंगाल नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर के साथ-साथ कई संगीतकारों, फिल्म निर्माताओं और कलाकारों की जन्म और कर्मस्थली रही है जिन्होंने दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया।
देश की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य: पश्चिम बंगाल देश की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य है. साल 2022-2023 में राज्य GSDP 17.13 ट्रिलियन रही।पश्चिम बंगाल को जूट और चाय के उत्पादन के लिए जाना जाता है। यह सबसे ज्यादा चावल का उत्पादन करने वाला राज्य है। पश्चिम बंगाल मछली उत्पादन करने वाले देश के प्रमुख राज्यों में से एक है.आजादी से पहले अंग्रेजी शासनकाल के दौरान साल 1911 तक कलकत्ता, भारत की राजधानी रही थी। इसके बाद अंग्रेजों ने दिल्ली को देश की राजधानी बना दिया था।पहली मेट्रो रेल से लेकर सबसे पुराने बंदरगाह तक:भारत की पहली मेट्रो कोलकाता में चली। इसके बाद दिल्ली, मुंबई और लखनऊ समेत देश के कई राज्यों में मेट्रो की शुरुआत हुई।ट्राम ट्रेन का चलन भी कई राज्यों में शुरू हुआ। कोलकाता का ईडन गार्डन देश के सबसे बड़े क्रिकेट ग्राउंड में गिना गया, हालांकि बाद में अहमदाबाद में बने नरेंद्र मोदी स्टेडियम के बाद इसका खिताब छिन गया। देश के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन में शामिल हावड़ा स्टेशन से लेकर हावड़ा ब्रिज तक को यहां की विरासत के तौर पर भी जाना जाता है। देश का सबसे पुराना ऑपरेटिंग बंदरगाह कोलकाता में है, जिसका निर्माण 1970 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने किया था। इसने उस दौर में देश की अर्थव्यवस्था में अहम रोल अदा किया।समय के साथ बंगाल की दुर्गा पूजा का दायरा देश के कई हिस्सों तक पहुंचा और राज्यों में नवदुर्गा उत्सव का रूप लिया। भारतीय और लाखों में विदेशी सैलानी दुर्गा पूजा देखने पश्चिम बंगाल पहुंचते हैं जो अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार देते हैं। भारतीय और विदेशी सैलानियों के दिलों पर राज करने वाले रसगुल्ले का जन्म भी यहीं हुआ। बताया जाता है कि नबीन चंद्र दास नाम के हलवाई ने सबसे पहले रसगुल्ला बनाया जो भारत के कई राज्यों में होते हुए दुनियाभर में फेमस हो गया।।देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का कनेक्शन भी पश्चिम बंगाल से रहा है. साल 1806 में इस बैंक की स्थापना बैंक ऑफ कलकत्ता के नाम से हुई, जो भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे पुराना कमर्शियल बैंक रहा है। यह अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है और देशभर में इसकी शाखाएं हैं। रिपोर्ट अशोक झा

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