महायात्री वेदपाठी मृत्युंजय हीरेमठ जी को विनम्र श्रद्धांजलि
सनातन स्वर : स्मृति शेष
संजय तिवारी
‘सौराष्ट्रदेशे विशदेतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम’ श्लोकों के सुमधुर गायन से नई पीढ़ी को सनातन के मूल की ओर आकृष्ट करने वाला स्वर अब नए शब्दों के साथ कभी सुनने को नहीं मिलेगा। सूचना लगभग 10 दिन पुरानी है लेकिन स्तब्ध करने वाली है। हीरेमठ जी के स्वर के साथ जिस प्रकार से प्रत्येक श्रोता जुड़ा है वह अवश्य इस सूचना से स्तब्ध है।
हीरेमठ जी के स्वर में अब तक संचित हो चले वीडियो और आडियो सनातन संस्कृति के लिए अमूल्य निधि हैं। इस स्वर के शांत होने की सूचना बहुत पीड़ादायक है। अभी तो विश्वास भी नहीं हो पा रहा कि हीरेमठ जी की वाणी सच में विराम ले चुकी है। उनका शरीर वास्तव में समाधिस्थ हो चुका है और वह शिवतत्व में समाहित हो चुके हैं। शिव भक्तों को भगवान शिव से सीधे जोड़ देने वाले इस स्वर का दान कर मृत्युंजय हीरेमठ जी शरीर रूप में अब जगत में नहीं रहे। 19 अप्रैल को उन्होंने मतदान के बाद स्वयं के शरीर से विदा ले ली। शैव परंपरा के अनुसार ही उनको समाधि दी जा चुकी है।
लोकसभा के चुनावों की खबरों के बीच यह महाखबर शायद उतना विस्तार नहीं पा सकी। परम पूज्य बाबाकेदारनाथ धाम और भगवान शिव से जुड़े वीडियो बनाने और विश्व के कोने कोने में भक्तों तक भगवान भोलेनाथ की महिमा पहुंचाने वाले वेदपाठी मृत्युंजय हीरेमठ जी समाधिस्थ हो गये हैं। अब उनकी सुमधुर आवाज केवल सोशल मीडिया या वीडियो के जरिए ही लोग सुन सकेंगे। श्री केदारनाथ धाम के वेदपाठी मृत्युंजय हीरेमठ की अल्पायु में हृदयाघाट से निधन होने से सनातन जगत स्तब्ध है।
केदारपुरी के साथ ही देश-विदेश में मृत्युंजय हीरेमठ अपने सुमधुर मंत्रों के गायन के लिए महादेव भक्तों में प्रसिद्ध थे। युवा वेदपाठी मृत्युंजय हीरेमठ रावल 108 श्री गुरुलिंग जी महाराज के चार पुत्रों में सबसे छोटे थे।
बड़े भाई मुख्य पुजारी
दक्षिण भारत के जंगम सेवा समुदाय से संबंध रखने वाले मृत्युंजय हीरेमठ जी बाल ब्रह्मचारी थे। उनका परिवार अब स्थाई रूप से उखीमठ (रुद्रप्रयाग) में ही निवास करता है। उनके बड़े भाई शिव शंकर लिंग जी मंदिर समिति केदारनाथ प्रतिष्ठान में पुजारी के पद पर हैं।
बचपन गुप्तकाशी में बीता
मृत्युंजय हीरेमठ जी का बचपन गुप्तकाशी में ही बीता। देश-विदेश में बाबा केदारनाथ के भक्त मृत्युंजय को उनके मधुर मंत्रों और आरतियों से पहचानते हैं। उनके सुमधुर भजनों से गुप्तकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर हमेशा गुंजायमान रहता है। मृत्युंजय हीरेमठ जी केदारनाथ धाम और ओंकारेश्वर मंदिर में वेदपाठी के पद पर कार्यरत थे।
मतदान के बाद महाप्रयाण
उनकी भाव विभोर करने वाली मधुर आवाज अब थम गई है। 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव में वोट डालने के बाद घर पर ही अचानक उन्हें हृदयाघात हुआ जिससे उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें मंदाकिनी तट पर परंपराओं के अनुसार समाधि दी गई। श्रीकेदारनाथ धाम में हीरेमठ जी वेदपाठी का कार्य पूरी कर्तव्य परायणता से निभाते थे। वे शिव स्त्रोत सहित भगवान भोलेनाथ के भजनों का लाइव गायन करते थे। सोशल मीडिया में उनके भजनों को भी काफी प्रशंसा मिली। वे केदारनाथ मंदिर में वीडियो बनाते थे और भगवान शिव से जुड़ी बातें श्लोक के माध्यम से भक्तों तक पहुंचाया करते थे।
ॐ शांतिः ।।