शिक्षक नियुक्ति घोटाला: कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया अंतरिम रोक

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के लगभग 25500 शिक्षकों/स्कूल कर्मचारियों की नौकरी रद्द करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है।वैध और अवैध भर्तियों को अलग करने की जरूरत है।तौर-तरीके पश्चिम सरकार तय कर सकती है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को वेतन लौटाने की जरूरत है, जिनकी भर्ती अवैध पाई गई है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होनी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इनमें से जितने लोगों की भर्ती भ्रष्टाचार के जरिए हुई है, उनको ही नौकरी से बाहर करना बेहतर होगा। राज्य सरकार ने यह बताया था कि 7-8 हजार लोगों ने गलत तरीके से नौकरी पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई मामले की जांच जारी रखे, लेकिन फिलहाल गिरफ्तारी न करे।मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने पश्चिम बंगाल में कथित भर्ती घोटाले को “सिस्टमैटिक फ्रॉड” करार दिया।उन्होंने कहा कि अधिकारी 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित डिजीटल रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए बाध्य हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई उन उम्मीदवारों की जांच जारी रखेगी, जिन्हें शॉर्ट लिस्ट किए बिना नियुक्त किया गया था. सीबीआई भर्ती में शामिल सरकारी अधिकारियों की जांच जारी रखेगी। उम्मीदवारों या सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।हालांकि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को फटकार भी लगाई। मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक सुनियोजित धोखाधड़ी है. इससे लोगों का भरोसा उठ जाएगा।दरअसल, सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें 24,000 शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।
चीफ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने भर्ती प्रक्रिया को सुनियोजित धोखाधड़ी करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित डिजिटल रिकॉर्ड बनाए रखना अधिकारियों का कर्तव्य है। सार्वजनिक नौकरियां बहुत कम हैं। अगर लोगों का विश्वास खत्म हो गया तो कुछ नहीं बचेगा।यह सुनियोजित धोखाधड़ी है।
सीजेआई ने राज्य सरकार के वकीलों से सवाल पूछते हुए कहा कि आज सार्वजनिक नौकरियां बहुत कम हैं और उन्हें सामाजिक गतिशीलता के लिए देखा जाता है।अगर उनकी नियुक्तियों को भी बदनाम किया गया तो सिस्टम में क्या बचेगा? लोगों का विश्वास उठ जाएगा, आप इसे कैसे बर्दाश्त करेंगे? मामला कितना भी संवेदनशील या राजनीतिक रूप से जटिल क्यों न हो, हम वकील ही हैं। हाईकोर्ट के जजों पर आरोप लगाने से कोई फायदा नहीं होगा।क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला?: ये पूरा मामला एसएससी के जरिए शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है. 2014 में जब एसएससी ने इस भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया था, तब पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे. 2016 में भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई. कई आवेदकों ने भर्ती प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पांच साल चली सुनवाई के बाद मई 2022 में हाईकोर्ट ने इसकी जांच सीबीआई को सौंपी. बाद में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से ईडी ने भी जांच की. सबूत हाथ लगने पर ईडी ने पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया।
याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि जिन उम्मीदवारों के नंबर कम थे, उन्हें मैरिट लिस्ट में ऊपर स्थान दिया गया. कुछ शिकायतें ऐसी भी थीं, जिनमें कहा गया था कि कुछ उम्मीदवारों का मैरिट लिस्ट में नाम न होने पर भी उन्हें नौकरी दी गई. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि कुछ ऐसे उम्मीदवारों को भी नौकरी दी गई, जिन्होंने टीईटी परीक्षा भी पास नहीं की थी. जबकि राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी की परीक्षा पास होना अनिवार्य है।पिछले महीने ही कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस पर फैसला देते हुए शिक्षक भर्ती को रद्द कर दिया है. इससे बंगाल के लगभग 26 हजार शिक्षकों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन को नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शिक्षक भर्ती एक ‘सिस्टमेटिक फ्रॉड’ है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों की कई और बंगाल सरकार की गड़बड़ी को लेकर खूब सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के भर्ती रद्द करने के फैसले पर रोक भी लगा दी है। मंगलवार (7 मई, 2024) को पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार को आड़े हाथों लिया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा, “सरकारी नौकरियों की वैसे ही इतनी कमी है, अगर जनता का विश्वास चला गया तो कुछ नहीं बचेगा। यह सिस्टेमिक फ्रॉड है। एक तो सरकारी नौकरियां हैं नहीं और सिस्टम में क्या बचेगा अगर उन पर भी दाग लगता है। आप इसको किस तरह रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को इस बात को लेकर डांट लगाई कि उसके पास इस भर्ती में शामिल हुए लोगों की परीक्षा का डाटा नहीं है। उसने कहा कि बंगाल सरकार को इसका डाटा डिजिटल तरीके से रखना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट को बंगाल सरकार ने बताया था कि उसके पास इस भर्ती परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिका की कॉपी नहीं है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। कोर्ट ने सीबीआई को मामले आगे जाँच करने की अनुमति भी दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई को किसी अधिकारी या अभ्यर्थी के विरुद्ध प्रतिकूल कार्रवाई नहीं करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस भर्ती में जो लोग अवैध रूप से भर्ती हुए, उन्हें अपनी तनख्वाह लौटानी होगी। सुप्रीम कोर्ट में बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के शिक्षक भर्ती मामले पर दिए गए निर्णय के विरुद्ध याचिका लगाई हुई है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस भर्ती में हुई गड़बड़ियों को देखते हुए अप्रैल में रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 25,000 से अधिक शिक्षकों की भर्ती को तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया जाए। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि जो लोग इसके जरिए भर्ती हुए हैं, उन्हें सरकार से ली गई तनख्वाह भी 12% ब्याज के साथ लौटानी होगी। कोर्ट ने कहा था बंगाल शिक्षक भर्ती आयोग इसे दोबारा नए सिरे से चालू करे। इस मामले में सीबीआई की जाँच भी चल रही है। इस निर्णय के खिलाफ बंगाल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुँची थी। रिपोर्ट अशोक झा

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