रेलवे की ओर से मृतक परिजनों को 10 लाख, घायलों को 2.50 लाख मुआवजा की घोषणा

रंगापानी रेल दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 15 तक पहुंची, 50 से ज्यादा यात्री घायल सीएम ममता बनर्जी और रेलमंत्री घटना स्थल का करेंगे दौरा

 

अशोक झा, सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी स्टेशन पर सोमवार (17 जून) की सुबह को कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन की टक्कर मालगाड़ी से हो गई। इस हादसे में 15 यात्रियों की मौत हो गई है और 50 लोगों के घायल होने की खबर है। कोलकाता से सियालदह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस को मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी, जिससे 15 लोगों की मौत हो गई और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। हालाकि रेलवे की ओर से मारे गए लोगों की संख्या 8 ही बताई गई है। कुछ ही देर में रेलमंत्री यहां पहुंच रहे है। 5 बजे तक मुख्यमंत्री भी घटना स्थल पर पहुंच जाएंगी। रेलमंत्री की ओर से मृतक के परिजनों को 10 लाख और घायलों को 2.50 लाख रुपए राहत देने की घोषणा की गई है। दुर्घटना के बाद से ही सांसद राजू बिष्ट लगातार कैंप कर रहे है। आपदा प्रबंधन टीमें घटनास्थल पर मौजूद हैं. लोगों को बचाने के लिए राहत एवं बचाव का कार्य जारी है। जानकारी के मुताबिक कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास निजबाड़ी स्टेशन पर खड़ी थी तभी एक मालगाड़ी ने उसे पीछे से टक्कर मार दी। जिसकी वजह से कंचनजंघा एक्सप्रेस की पीछे की तीन बोगियों को ट्रेक से उतर गईं। इस हादसे को लेकर अब वजह सामने आ गई है।
क्या है ट्रेन हादसे की वजह?: रेल अधिकारी के मुताबिक इस हादसे की वजह मालगाड़ी के चालक की सिग्नल को लेकर अनदेखी है जिसकी वजह से माल गाड़ी और कंचनजंगा ट्रेन के पिछले हिस्से से टकरा गई। वहीं ये रूट बहुत स्वचालित सिग्नल प्रणाली से लैस है और काफी व्यस्त रहता है क्योंकि यहां एक साथ कई लाइनें गुजरती हैं, जिसका मतलब है जिसकी वजह से ट्रेनों के टकराने खतरा ज्यादा रहता है। ज्यादातर ट्रेन हादसों की वजह है सिग्नल फॉल्ट ?: सिग्नल फॉल्ट या इंलेक्टॉनिक इंटरलॉकिंग चेंज में कोई गलती होने के कारण ज्यादातर ट्रेन हादसे होते हैं। चलिए जानते हैं कि कैसे दो ट्रेने एक ट्रैक पर आ जाती हैं। आपको बता दें कि रेलवे में हर ट्रेन और उसके रुट के हिसाब इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम सेट होता है। जिसकी वजह से हर ट्रेन अलग ट्रैक पर होती है और जिसकी वजह से दुर्घटना की संभावना कम हो जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे ट्रेक में इलेक्ट्रिकल सर्किट इंस्टॉल किए जाते हैं जैसे ही ट्रेन ट्रैक सेक्शन पर आती है तो इस सर्किट के जरिए ट्रेन के आने का पता चलता है. इसके साथ ही ट्रैक सर्किट से आगे जानकारी फॉरवर्ड हो जाती है. इसके बाद EIC कंट्रोल सिग्नल को कंट्रोल करता है।इसके बाद ये जानकारी दी जाती है कि अब ट्रेन को किस तरफ जाना है. आपने देखा होगा कि कई जगह सीधी पटरी होती है। लेकिन कुछ जगह पटरियों का जाल होता है, इस जानकारी के मुताबिक ही ट्रेन का ट्रैक चेंज किया जाता है और कि ट्रेन को किस दिशा में मोड़ना हैं. आपको बता दें कि कंट्रोल रुम ये तय करता है कि ट्रेन को किस रुट पर भेजना है लेकिन कई बार टेक्निकल प्रॉब्लम आ जाती हैं या फिर थोड़ी सी लापरवाही बड़े हादसे में बदल जाती है।

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