मोदी को भोजन कराने वाले बयान पर विरोधियों के निशाने पर सीएम ममता
कोलकाता: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘खाना पकाने’ की पेशकश पर
विरोधियों के निशाने पर आ गई है। अलग-अलग राजनीतिक दलों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। एक तरफ जहां भाजपा ने इसे ‘राजनीतिक एजेंडा’ करार दिया; वहीं माकपा ने ममता की इस पेशकश को टीएमसी और भाजपा के बीच ‘सहमति’ बताया।
ममता ने कहा कि अगर वो (मोदी) चाहें तो मैं उनके लिए कुछ पकाने को तैयार हूं। हालांकि मुझे यकीन नहीं है कि वो मेरे हाथ से पकाए गए खाना को खाएंगे या नहीं। ममता की इस टिप्पणी पर बीजेपी से लेकर अन्य दलों की प्रतिक्रियाएं आई हैं। बीजेपी ने इसे राजनीतिक एजेंडा करार दिया है तो सीपीआई (एम) ने इसे दोनों (BJP-TMC) के बीच एक समझौता होने का दावा कर दिया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मछली विवाद को लेकर पीएम मोदी के हालिया बयान पर तंज कसते हुए कहा, ‘अगर वह (मोदी) चाहें तो मैं उनके लिए खाना पकाने को तैयार हूं लेकिन वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि मोदी उनके हाथ का पका खाना खाएंगे या नहीं। मैं बचपन से खाना पका रही हूं. लोग मेरे खाने की तारीफ करते हैं लेकिन क्या मोदी जी मेरा खाना स्वीकार करेंगे? क्या वह (मोदी) मुझपर विश्वास करेंगे? उन्हें (मोदी) जो पसंद हो मैं पकाउंगी।
‘मुझे मछली-करी जैसा व्यंजन पसंद’: टीएमसी सुप्रीमो ममता ने आगे कहा, ‘मुझे ढोकला जैसे शाकाहारी व्यंजन और मछली-करी जैसा मांसाहारी व्यंजन दोनों पसंद है। हिंदुओं के विभिन्न समुदायों और विभिन्न संप्रदायों के अपने अनूठे रीति-रिवाज और खान-पान की आदतें हैं। भाजपा कौन होती है किसी व्यक्ति की खान-पान की आदतों पर पाबंदी लगाने वाली? यह दर्शाता है कि भाजपा नेतृत्व को भारत और इसके लोगों की विविधता और समावेशिता के बारे में बहुत कम जानकारी और समझ है।
पीएम मोदी ने क्या कहा था?: दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने राजद नेता तेजस्वी यादव पर ऐसे समय में मछली खाने को लेकर कटाक्ष किया था, जिस दौरान हिंदू मांसाहार के सेवन से परहेज करते हैं। अप्रैल महीने में पीएम नरेंद्र मोदी ने तेजस्वी यादव के उस वीडियो को लेकर हमला बोला था, जिसमें वह मछली खा रहे थे। उन्होंने जम्मू कश्मीर के उधमपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि नवरात्र के दिन में कुछ लोग नॉनवेज खा रहे हैं और भावना भड़काने के लिए वीडियो दिखा रहे हैं। कुछ लोग देश की भावना को आहत करते हैं। इनकी मुगलिया सोच है। जानबूझकर इसलिए करते हैं क्योंकि यहां देश की मान्यताओं पर हमला हो।
ममता की पेशकश से बंगाल में सियासी उबाल
ममता की इस पेशकश से बंगाल की सियासत में खलबली मच गई है. एक ओर जहां भाजपा ने इसे ‘राजनीतिक एजेंडा’ करार दिया है, वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने ममता की इस पेशकश को टीएमसी और भाजपा के बीच ‘सहमति’ बताया है. माना जा रहा है कि बंगाल की सियासत में आगामी चरणों में ममता बनर्जी के इस बयान की गूंज खूब सुनाई देगी. ममता ने इस बहाने भाजपा को घेरने की कोशिश की है. फिलहाल, ममता के बयान पर भाजपा की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा, ‘ममता बनर्जी, मोदी जी को अपने हाथ की बनी मछली और चावल खिलाना चाहती हैं. अच्छा प्रस्ताव है, लेकिन उससे पहले वह अपने विश्वस्त फिरहाद हकीम को सुअर का मांस खिलाएं? इससे तीन उद्देश्य पूरे होंगे, पहला धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा मिलेगा, दूसरा लोगों को मालूम पड़ेगा कि कोई भी चीज घर से शुरू होती है और तीसरा पकौड़े की भी प्रशंसा हो जाएगी.’
‘ममता कर रही सनातनी हिंदुओं का अपमान’
वहीं, भाजपा नेता संकुदेब पांडा ने दावा किया कि ममता ने जानबूझकर पीएम मोदी को यह जानते हुए आमंत्रित किया कि वह पूर्ण रूप से शाकाहारी हैं। उन्होंने कहा, ‘यह और कुछ नहीं बल्कि प्रधानमंत्री को घेरने की उनकी चाल है। वह जानती हैं कि प्रधानमंत्री कभी मछली या मांसाहार का सेवन नहीं करेंगे। अगर वह (ममता) मानती हैं कि हर किसी को वह खाने की अनुमति दी जाए, जो उसे पसंद हो तो क्यों वह किसी की आहार संबंधी आदतों के बारे में मोदीजी की टिप्पणियों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही हैं? वह कट्टर सनातनी हिंदुओं का अपमान कर रही हैं।
माकपा ने गुप्त समझौता बताया: ममता की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए माकपा नेता विकास भट्टाचार्य ने कहा, ‘भाई और बहन होने के नाते, ममता दीदी निश्चित रूप से प्रधानमंत्री के लिए भोजन पकाने की पेशकश कर सकती हैं, मुझे नहीं पता कि यह उन्हें खुश करने के लिए है या नहीं.’ भट्टाचार्य भाजपा और टीएमसी के बीच कथित गुप्त समझौते के संदर्भ में टिप्पणी कर रहे थे. वामदल और कांग्रेस की बंगाल इकाई तृणमूल और भाजपा के बीच गुप्ता समझौते का आरोप लगा रहे हैं. भट्टाचार्य ने कहा, ‘ममता बनर्जी और नरेन्द्र मोदी दोनों ही देश को इस स्थिति में लाने के लिए जिम्मेदार हैं. दोनों राजनीति को धर्म के साथ मिला रहे हैं। रिपोर्ट अशोक झा