मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भारत सेवाश्रम संघ के बीच बढ़ने लगा है विवाद

कोलकाता: लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में पहुंचने के साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भारत सेवाश्रम संघ (बीएसएस) के बीच विवाद खड़ा हो गया है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भारत सेवाश्रम संघ (बीएसएस) के बीच विवाद खड़ा हो गयासिलीगुड़ी में अनुसूचित जाति की जमीन पर कब्जा करने का आरोप मिशन पर लगाया है। राम कृष्ण मिशन के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान के बाद हुई इस घटना से राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।चुनावी सभाओं के लेकर इंटरनेट मीडिया पर भाजपा के नेता इस घटना को लेकर राज्य की ममता सरकार की घोर निंदा कर रहे हैं। सिलीगुड़ी के चार माइल स्थित राम कृष्ण मिशन के आश्रम ‘सेवक हाउस’ में विगत रविवार को भोरपहर अराजकतत्वों जमकर उत्पात मचाया है।घटना के खिलाफ राम कृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी शिवप्रेमानंद ने भक्ति नगर थाना में शिकायत दर्ज कराई। जिसमें उन्होंने कहा है कि सालूगाड़ा निवासी प्रदीप राय अपने शागिर्दों के साथ आश्रम परिसर में जबरन घुसे और वहां के सुरक्षा कर्मी समेत साधुओं को हथियार के बल पर परिसर से निकलने की धमकी दी। बल्कि कुछ साधू (महिला भी शामिल) और सुरक्षा कर्मियों को जबरन गाड़ी में डाल न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के निकट सड़क पर छोड़ दिया। मामला प्रकाश में आते ही राजनीतिक स्तर पर घमासान शुरू हो गया। भक्ति नगर थाना पुलिस का कहना है कि प्रदीप राय का आरोप है कि वे अनुसूचित जाति के हैं और जिस जमीन पर आश्रम स्थित है, वह उनकी पैतृक संपत्ति है। जमीन पर जबरन कब्जा जमाकर आश्रम प्रबंधन उन्हें प्रताड़ित कर रहा है। करीब 97 कट्ठा जमीन पर राम कृष्ण मिशन आश्रम का सेवक हाउस स्थित है। वह जमीन सालूगाड़ा निवासी किसी टुकरा सिंह की थी। उन्होंने स्वेच्छा से उक्त जमीन राम कृष्ण मिशन को दान दी थी। संतान के अभाव में उसने एक लड़की को गोद लिया था। प्रदीप राय उसी का वारिस है और उसी आधार पर वह उक्त जमीन पर दावा भी ठोंक रहा है। उक्त जमीन का मामला कोलकाता हाई कोर्ट के जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच में न्यायाधीश विश्वजीत बासू की अदालत में विचाराधीन है। इसी क्रम में राजगंज ब्लाक भूमि व भूमि सुधार विभाग ने जमीन से संबंधित रिपोर्ट भी अदालत में पेश की गई है। मामले की अगली सुनवाई 14 जून को है। मुर्शिदाबाद में सेवाश्रम संघ की बेलडांगा शाखा के सचिव स्वामी प्रदीप्तानंद महाराज उर्फ कार्तिक महाराज ने ममता को एक कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें उन्होंने सम्मानित संस्थान की छवि खराब करने के लिए बिना शर्त माफी की मांग की है। वही दूसरी ओर इसकी वजह है तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष की वह बयान, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ भिक्षु या संत भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने राज्य की ममता सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री रामकृष्ण मिशन, भारत सेवा आश्रम और इस्कॉन के लोगों को खुलेआम धमकी दे रही है। वो सिर्फ अपने मदताताओं को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और उसकी सुप्रीमो ममता बनर्जी डैमेज कंट्रोल मोड में आ गई है। मुर्शिदाबाद में सेवाश्रम संघ की बेलडांगा शाखा के सचिव स्वामी प्रदीप्तानंद महाराज उर्फ कार्तिक महाराज ने ममता को एक कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें उन्होंने सम्मानित संस्थान की छवि खराब करने के लिए बिना शर्त माफी की मांग की है। स्वामी विवेकानन्द द्वारा स्थापित सेवाश्रम और रामकृष्ण मिशन दोनों को राज्य भर में व्यापक रूप से सम्मान दिया जाता है, ऐसे व्यक्ति जिन्होंने या तो दीक्षा ली है या उनके द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ाई की है, वे कई परिवारों में फैले हुए हैं। पुरुलिया में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए, मोदी ने लोगों से कहा कि वे टीएमसी सरकार को मतपेटी के माध्यम से सबक सिखाएं, ताकि वह भविष्य में ऐसे सामाजिक-धार्मिक संगठनों का अपमान करने की हिम्मत न कर सके। ममता सरकार पर हिंसा को प्राथमिकता देने और मतदाताओं को धमकाने, बंगाल के लोगों की भावनाओं की परवाह नहीं करने का आरोप लगाते हुए पीएम ने कहा कि इस बार, उन्होंने सभी हदें पार कर दी हैं। इस्कॉन, स्वामी विवेकानन्द द्वारा निर्मित रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ अपनी सेवा और नैतिकता के लिए जाने जाते हैं। वे देश को गौरवान्वित करते हैं… वे केवल अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए इतना नीचे गिर गए हैं। टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वे ममता की टिप्पणियों के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। जिन क्षेत्रों में अभी चुनाव होने हैं, वहां टीएमसी का एक मजबूत संगठन है। हमें इन चरणों में लाभ मिलने की उम्मीद है। वोटिंग से ठीक पहले इस तरह का बयान हमारे नैरेटिव को नुकसान पहुंचाएगा, क्योंकि ये दोनों लाखों भक्तों वाले लोकप्रिय धार्मिक संगठन हैं। संयोगवश, मोदी रामकृष्ण मठ और मिशन के साथ घनिष्ठ संबंध का दावा करते हैं और जून 2017 में इसके प्रमुख स्वामी आत्मस्थानंद की मृत्यु पर उन्होंने इसे व्यक्तिगत क्षति बताते हुए अपनी संवेदना व्यक्त की थी। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया कि उन्हें गुजरात के राजकोट में स्वामी आत्मस्थानंद से आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिला है। “मैं अपने जीवन के एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय के दौरान उनके साथ रहा। रिपोर्ट अशोक झा