बंगाल में ओबीसी आरक्षण में कब शुरू हुआ सियासी खेल?
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कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गजब तमतमाई दिख रही हैं। क्योंकि,अदालत ने 2012 में उनकी ओर से 77 जातियों को ओबीसी में शामिल करने वाले कानून को ही गैर-कानूनी ठहरा दिया है। बंगाल में ओबीसी आरक्षण में कब शुरू हुआ सियासी खेल?पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण के साथ खेल करने का सारा काम सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर शुरू हुआ। मनमोहन सिंह सरकार में बनी उस कमेटी ने पाया था कि राज्य सरकार में मात्र 3.5% ही मुस्लिम मुलाजिम हैं। बस, यहीं से राजनीति का खेल चालू हो गया।लेफ्ट फ्रंट की सरकार में 87% मुस्लिम ओबीसी आरक्षण के दायरे में आए: 2010 में बंगाल में लेफ्ट फ्रंट की सरकार थी। उसे मौका मिला और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के नाम पर इसने 53 नई जातियों को ओबीसी की लिस्ट में डाल दिया। काम ऐसे हुआ कि उस समय राज्य की करीब 87% मुस्लिम जनसंख्या रातों-रात ओबीसी आरक्षण का लाभ लेने लायक पिछड़ा वर्ग में शामिल हो गई।लेफ्ट फ्रंट ने उस समय ओबीसी रिजर्वेशन का दायरा भी 7% से बढ़ाकर 17% किया। इन फैसलों के बावजूद 2011 में लेफ्ट फ्रंट की सरकार सत्ता से बेदखल हो गई और उनका फैसला पूरी तरह से कानून का शक्ल नहीं अख्तियार कर सका।ममता सरकार ने 92% मुसलमानों को कैसे दिया रिजर्वेशन?2011 के मई के बंगाल विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस ने लेफ्ट फ्रंट के करीब साढ़े तीन दशक पुराने सत्ता का तख्तापलट कर दिया। उनकी बारी आई तो उन्होंने ओबीसी लिस्ट में 35 नई जातियों को शामिल किया, जिनमें से 33 सिर्फ मुस्लिम जातियां थीं। इस तरह से ओबीसी लिस्ट में शामिल जातियों की संख्या बढ़कर पहुंच गई 77. ममता सरकार ने भी 17% ओबीसी आरक्षण वाले लेफ्ट फ्रंट सरकार के फैसले को कायम रखा। लेकिन, मुसलमानों को ओबीसी आरक्षण देने में वह वामपंथी दलों से भी आगे निकल गईं। उनके इस फैसले से बंगाल के 92% मुसलमानों को ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हो गया।
बंगाल में 17% ओबीसी आरक्षण के बंटवारे में भी हुआ खेला!
बंगाल सरकार ने ओबीसी आरक्षण का लाभ भी लिस्ट में शामिल सभी जातियों को एक तरह से नहीं दिया और इसमें भी लगता है कि राजनीतिक हितों को प्राथमिकता दी गई। उसने 17% ओबीसी आरक्षण के लिए दो वर्ग निर्धारित किए।पहली श्रेणी वालों को 10% ओबीसी आरक्षण का लाभ दिया गया, जिसमें से ज्यादातर जातियां मुसलमानों की थीं। दूसरी श्रेणी को सिर्फ 7% वाले कोटे के दायरे में रखा गया, जिसमें हिंदुओं के साथ-साथ कुछ मुस्लिम जातियां भी थीं।14 वर्षों में बहुत सारे लोगों ने उठा लिया मौके का फायदा: ममता बनर्जी सरकार पर तभी से आरोप लगने शुरू हो गए थे कि उन्होंने वोट बैंक की राजनीति के लिए इस तरह का कानून तैयार किया है। राज्य सरकार पर आरोप थे कि ओबीसी लिस्ट में जातियों को शामिल करने के लिए निर्धारित मानकों का ख्याल नहीं रखा गया और पूरी तरह से मनमानी की गई। बहरहाल, बीते करीब 14 वर्षों में बहुत सारे लोगों को मौके का फायदा मिल गया और वह विभिन्न सरकारी सेवाओं में घुस गए।मैं इसे नहीं स्वीकार करूंगी- ममता बनर्जी:जैसे ही कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता सरकार के कानून को रद्द करते हुए 5 लाख ओबीसी सर्टिफिकेट कैंसिल किया, दमदम लोकसभा क्षेत्र में एक चुनावी सभा में उन्होंने कहा कि वह अदालत के इस आदेश को नहीं मानेंगी। उन्होंने कहा, ‘मैं इस फैसले को नहीं स्वीकार करती हूं। मैं इसे नहीं स्वीकार करूंगी। ओबीसी रिजर्वेशन जारी रहेगा। जरूरत पड़ी तो मैं ऊंची अदालतों में जाऊंगी।’विपक्ष की आरक्षण विरोधी मानसिकता का भांडा फूटा- पीएम मोदी
लेकिन, भाजपा को हाई कोर्ट के फैसले से ममता पर तुष्टिकरण वाले अपने आरोपों से हमला करने का मौका मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा है कि ‘विपक्ष की आरक्षण विरोधी मानसिकता का भांडा फूट चुका है। बंगाल में मुस्लिमों को ओबीसी आरक्षण सर्टिफिकेट बांटे गए थे।’
वोट बैंक के लिए पिछड़े वर्गों के आरक्षण में डाका डालना चाहती हैं- अमित शाह
इससे पहले बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ममता बनर्जी, ‘अपने वोट बैंक के लिए पिछड़े वर्गों के आरक्षण में डाका डालना चाहती हैं और उसे मुस्लिम जातियों को दे देती हैं।’बंगाल में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने किया है मतदान! 2019 में ऐसी 18 सीटों पर किसके पक्ष में रहा परिणाम?वे बोले, ‘ममता बनर्जी ने 118 मुस्लिम जातियों को बिना सर्वे के ओबीसी आरक्षण दे दिया। कोई कोर्ट गया और कोर्ट ने इसका संज्ञान लिया और हाई कोर्ट की ओर से 2010 से 2024 के बीच जारी सर्टिफिकेट कैंसिल कर दिया गया। मैं हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पश्चिम बंगाल में मुसलमानों को ओबीसी आरक्षण देने के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को ममता सरकार के लिए तमाचा करार दिया।
रिपोर्ट अशोक झा