आतंकवाद एक मानसिक विकृति की विचारधारा, समूल नष्ट करने का हो कार्य

कहते है आतंकवादी और इसके मनसूबे किसी जाति धर्म में बंधे नहीं होते। जिस प्रकार गोली अपने ही सिपाही को नहीं पहचानता उसी प्रकार इस मानसिकता के लोग किसी क्षेत्र या मजहब को नहीं पहचानते। इसका समूल नष्ट होना जरूरी है नहीं तो यह दावा नल की तरह पूरे विश्व में फैल जाएगा। जम्मू काश्मीर फिर आतंकवाद की ज्वाला से धधक रहा है।कठुआ, हीरानगर ,डोडा में गंभीर आतंकवादी हमला हुआ जिसमें एक सेना का जवान शहीद हो गया। इसके अलावा आतंकवादियों द्वारा धार्मिक यात्रा से लौटते हुए रियासी नामक स्थान पर श्रद्धालुओं पर बेतहाशा गोलियां बरसाई गई बस के पलटने से 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई।उधर इटली में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा महात्मा गांधी की मूर्ति को खंडित किया गया जिसका अनावरण G7 समिट में शामिल होने जा रहे प्रधानमंत्री मोदी जी करने वाले थे। आतंकवाद ने न सिर्फ देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाक में दम करके रखा है। अब समय आ गया है कि आतंकवादियों को एक सिरे से कुचल दिया जाए और आतंकवादी विचारधारा को समूल नष्ट किया जाए।आतंकवाद एक मानसिक विकृति की विचारधारा है। जिसके द्वारा हिंसक कार्यों और गतिविधियों से जनमानस अशांति और भय की स्थापना करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयास करना होता है। जिससे किसी भी क्षेत्र में आधिपत्य का अधिकार प्राप्त करने के लिए हिंसा और आतंक का सहारा ले रहा है। जनमानस में अशांति का वातावरण निर्मित करने अपने मंसूबे पूरे कर आर्थिक सामाजिक और राजनैतिक विध्वंस का तांडव मचाना होता है। कुछ व्यक्तियों के समूह द्वारा संचालित मानव विरोधी गतिविधियां ही हैं जो कि समाज के विरुद्ध लूट, अपहरण, बम विस्फोट,हत्या जैसे जघन्य अपराधों को जन्म देती है। आतंकवाद मूलतः धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक परिवेश लिए हुए होता है। भारत में आतंकवाद धार्मिक और राजनीतिक ज्यादा परिलक्षित हुआ है। भारत में कश्मीर, लद्दाख, असम मैं विभिन्न अलगाववादी समूह द्वारा हिंसक अपराधिक कृत्य कर लोगों को भयभीत तथा पलायन करने पर मजबूर करने का कृत्य राजनीतिक आतंकवाद ही है। अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा ,जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन धार्मिक कट्टरता की भावना से अपराध को अंजाम देते हैं। देश में नक्सलवाद ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड ,बिहार और पश्चिम बंगाल में अपना मौत का परचम फेहरा के रखा है। नक्सलवाद मूलतः सामाजिक क्रांतिकारी समूह द्वारा सरकार के विरोध में आमजन तथा आदिवासियों के मध्य अपनी समानांतर सरकार चलाने हेतु हिंसक घटनाएं की हैं। यह आतंकवादी ग्रुप हिंसा के द्वारा अलग अलग तरीके से आतंकवाद फैलाने का प्रयास करते हैं ,यह ज्यादातर भीड़भाड़ वाले इलाकों में जैसे रेलवे स्टेशन बस स्टैंड रेल रेल पटरियों वायुयानो का अपहरण निर्दोष लोगों को बंदी बनाना बैंक में डकैतियां कर समाज में अराजकता तथा वैमनस्यता फैलाने का काम करते हैं। भारत में नक्सलवाद तो मूल रूप से पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी क्षेत्र से पनपा है, जो पूरे भारत में धीरे-धीरे फैल कर हिंसक रूप अपनाए हुए हैं।आतंकवाद केवल भारत में न होकर उसका साम्राज्य वैश्विक स्तर पर भी दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से फैला हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद ने अनेक घटनाओं को जन्म देकर विश्व शांति सद्भावना की मूल कल्पना को छिन्न-भिन्न करने का प्रयास किया है। दुनिया के प्रत्येक देश में आतंकवाद किसी न किसी रूप में आज मौजूद है। आतंकवाद कहीं रंगभेद, कहीं भाषा विभेद, कहीं राजनीतिक विचारधाराओं में विरोध और कहीं रंगभेद के कारण ,नस्ली समस्या आतंकवाद का कारण बनी है। यह समस्याएं हथियारों से सुलझाने के प्रयास में अत्यंत हिंसक बन गई हैं। आतंकवाद को वृहद रूप देने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने भी बड़ा साथ दिया है, आतंकवादियों, नक्सलवादियों और नस्ल वादियों के लिए रसायनिक, नाभिकीय, जैविक मानव बम जैसे आधुनिक हथियार उपलब्ध होने से यह आतंकवादी गतिविधियां और भी खतरनाक हो गई है। इसके अलावा मीडिया में इंटरनेट उपलब्धता से यह सारी सरकारी गतिविधियों की जानकारी प्राप्त हो जाती है इससे आतंकवादी और ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं। विश्व में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर 11 सितंबर 2001 आतंकवादी हमला मानव इतिहास की सबसे क्रूर तम हमला माना जाता है। पाकिस्तान के पेशावर जिले में आर्मी स्कूल में 150 मासूम बच्चों की निर्मम हत्या भी एक क्रूर आतंकवादी घटना हैl भारत में 1993 में मार्च में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट इसी तरह दिसंबर 2001 में संसद भवन पर हमलावाराणसी बम विस्फोट, अहमदाबाद में बम विस्फोट, 2008 में मुंबई ताज होटल पर हमला,2016 में पठानकोट एयरबेस हमला, 2017 में अमरनाथ तीर्थयात्रियों हमला, 2019 में पुलवामा हमला आतंकवादी घटनाएं हैं जिससे मानवीय संवेदनाएं, शांति स्थापना की मूल धारणा की धज्जियां उड़ जाती हैl भारत में तो नक्सलवाद भी आतंकवाद का एक वृहद रूप ले चुका हैl आतंकवाद का सबसे भयानक रूप यह है की कोई भी देश यह नहीं जानता कि आतंकवाद का अगला निशाना कौन सा देश और कौन सी इमारत, रेलवे स्टेशन, वायुयान और कौन सा धार्मिक स्थल होगाl वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ असुरक्षा की भावना पूरी तरह व्याप्त हो चुकी हैl आतंकवाद का सबसे विस्तृत और भयानक रूप अफगानिस्तान में सरकार का तख्तापलट का ही हैl वहां तालिबानी आतंकवादियों द्वारा सरकार को गिरा कर अफगानिस्तान देश पर जाकर वहां शासन स्थापित कर लिया था, और पूरी दुनिया तमाशबीन बनी रही। रूस यूक्रेन युद्ध मैं भी लाखों लोगों की आक्रमण कर हिंसक हत्या तानाशाही तथा मानसिक आतंकवाद का ही एक भयानक रूप है। पूरे विश्व में आतंकवाद के खिलाफ भारत सहित अनेक कानून बनाए गए एवं उन पर अमल भी किया जा रहा है। पर आतंकवाद को समूल नष्ट करने के लिए आतंकवादी विचारधारा को ही समूल रूप से नष्ट करना होगा, क्योंकि आतंकवाद कोई तात्कालिक कारणों से पैदा नहीं होता,यह एक घिनौनी, हिंसक आतंक पैदा करने वाली विचारधारा है। अशांति की इस विचारधारा में जन समुदाय में रोश तथा खौफ पैदा कर दिया है और यह मानवता के लिए अभिशाप की तरह व्याप्त हो गया है। जिससे विश्वव्यापी वैश्विक शांति की अवधारणा को नष्ट कर दिया है। वैसे तो पूरे विश्व में आतंकवाद के खिलाफ प्रयास किए जा रहे हैं पर हर देश के हर नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि इस विचारधारा और इनकी गतिविधियों पर नजर रख इसे समूल नष्ट करने का प्रयास किया जाना चाहिए।रिपोर्ट अशोक झा

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