पहली जुलाई से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के नाम से तीन कानून होंगे लागू : केद्रीय कानून मंत्री
अशोक झा, कोलकाता: केद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने रविवार को समान नागरिक संहिता (UCC) के लागू होने को लेकर आशा व्यक्त की। उन्होंने तर्क दिया कि कुछ राज्यों ने इसे लागू करना शुरू कर दिया है। मेघवाल कोलकोता ने ‘आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत का प्रगतिशील पथ’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में बोलते हुए यह टिप्पणी की। मेघवाल ने रविवार को यहां कहा, “भाजपा के घोषणापत्र में हमने समान नागरिक संहिता का उल्लेख किया है। गोवा और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने इसे लागू करना शुरू कर दिया है। केंद्र में जो गठबंधन सरकार बनी है, वह बहुत मजबूत सरकार है और चिंता की कोई बात नहीं है। ये कानून पिछले साल 25 दिसंबर को अधिसूचित किए गए थे। मेघवाल ने कहा, भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) बदल रहे हैं। उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए और भारत के विधि आयोग की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए तीनों को कानूनों को बदला गया है। उन्होंने कहा, एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के नाम से तीन कानून लागू किए जाएंगे। इन तीन नए कानूनों के लिए सभी राज्यों में प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) इसके लिए प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा, हमारी न्यायिक अकादमियां, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय भी इसके लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। सब कुछ साथ-साथ चल रहा है और एक जुलाई से ये तीनों कानून देश में लागू हो जाएंगे। ये कानून आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि खासतौर पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत अपराध की प्रकृति के आधार पर पुलिस हिरासत को पंद्रह दिन से बढ़ाकर 90 दिन कर दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं (आईपीसी में 511 धाराओं की जगह) होंगी। इस अधिनियम में कुल 20 नए अपराध जोड़े गए हैं और उनमें से 33 की सजा बढ़ा दी गई है। 83 अफराधों में जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है और 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा तय की गई है। 19 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है या हटा दिया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं (सीआऱपीसी की 484 धाराओं की जगह) होंगी। अधिनियम में कुल 177 प्रावधानों में बदलाव किया गया है और इसमें नौ नई धाराएं और 39 नई उपधाराएं जोड़ी गई हैं।
‘समान नागरिक संहिता अब भी भाजपा के एजेंडे में : पिछले सप्ताह, जब बीकानेर से सांसद मेघवाल ने कहा था कि समान नागरिक संहिता अब भी भाजपा के एजेंडे में है, तो राजग के घटक दल जद(यू) ने कहा था कि ऐसा कोई भी कदम सर्वसम्मति से ही उठाया जाना चाहिए। जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा था कि हालांकि पार्टी यूसीसी के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह चाहती है कि यह कदम आम सहमति से उठाया जाना चाहिए।
बंगाल में चुनावी हिंसा की आलोचना की: केंद्रीय कानून मंत्री ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद कथित हिंसा की घटनाओं की आलोचना की और कहा कि केंद्र सरकार इनके प्रति सतर्क है। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद ऐसी हिंसा भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए ठीक नहीं है। मेघवाल ने कहा, “चुनाव लोकतंत्र का अहम हिस्सा है। चुनाव खत्म होने के बाद किसी भी तरह की हिंसा नहीं होनी चाहिए। यह (बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा) हमारी जानकारी में है और केंद्र सरकार भी इसके प्रति सजग है। देश में कानून का राज है, यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।”भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पश्चिम बंगाल में कथित राजनीतिक हिंसा की जांच के लिए शनिवार को चार सदस्यीय समिति का गठन किया। पार्टी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया।