नारी शक्ति संगठन की ओर से निर्जला एकादशी पर शर्बत वितरण करेंगी महिलाएं
सिलीगुड़ी: हिंदू प्रत्येक माह दो एकादशी तिथि आती हैं और इस तरह साल में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं और सभी का अपना एक खास महत्व होता है। लेकिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली निर्जला एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इस भीषण गर्मी में निर्जला व्रत में व्रती को पूरे समय पानी नहीं पीना होता है। इसे कठिन व्रतों में गिना जाता है। नारी शक्ति संगठन’ सिलीगुड़ी के तत्वावधान में ‘निर्जला एकादशी’ के पावन उपलक्ष्य में स्थानीय महावीर स्थान (रसराज के बगल में सराफ ऑफिस के सामने) में शर्बत पिलाने का कार्यक्रम रखा गया है। यह कार्यक्रम सुबह 11 बजे से दिन के 3 बजे तक जारी रहेगा। कार्यक्रम की संयोजिका पुष्पा पारख, रूपा पारीक, लीना अग्रवाल, अल्पना शर्मा तथा संगठन की अध्यक्ष
शशिकला वैद्य ने बताया की ऐसे में इस व्रत से जुड़े नियमों को जान लेना अति आवश्यक हो जाता है। निर्जला एकादशी व्रत रखने से सारे पाप मिट जाते हैं। व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि यह सभी 24 एकादशी व्रतों के समान फल प्रदान करती है। निर्जला एकादशी व्रत नियम: निर्जला एकादशी का व्रत बिना अन्न और जल के रखा जाता है। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है इसलिए इसे निर्जला व्रत कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के अंदर पारण न करना पाप करने के समान होता है। भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करें: निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करें। एकादशी के दिन व्रत कथा जरूर पढ़ें। इसके अलावा निर्जला एकादशी के दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। निर्जला एकादशी के दिन अन्न के साथ जल का दान भी करें। राहगीरों से लेकर पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करें। जल का दान करने से विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
निर्जला एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए? :एकादशी के दिन तुलसी को स्पर्श करना वर्जित माना गया है। इस दिन तुलसी में जल अर्पित न करें। निर्जला एकादशी के दिन तामसिक चीजों से दूर रहें। निर्जला एकादशी व्रत के दिन जमीन पर सोना चाहिए। निर्जला एकादशी व्रत में अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण करने के बाद ही जल का सेवन करें। निर्जला एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करें और न ही बाल, नाखून और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व: पौराणिक कथा के अनुसार, यह व्रत पांडव महाबली भीम ने भी किया था। भीम के साथ यह समस्या थी कि वे भूखे नहीं रह पाते थे, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर भीम ने एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखा था, इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। यह व्रत रखने से सारे दुख-दर्द दूर होते हैं, जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। रिपोर्ट अशोक झा