बीएचयू के डॉक्टर ने 40 साल के व्यक्ति की श्वास नली में 8 साल से पड़े 25 पैसे के सिक्के को सफलतापूर्वक निकाला

बीएचयू के डॉक्टर ने 40 साल के व्यक्ति की श्वास नली में 8 साल से पड़े 25 पैसे के सिक्के को सफलतापूर्वक निकाला

वाराणसी। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सिद्धार्थ लाखोटिया और प्रोफेसर एसके माथुर के नेतृत्व में कार्डियो थोरेसिक सर्जन और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट की टीम ने 40 साल की उम्र के एक वयस्क रोगी के TRACHEA यानी मुख्य श्वास नली में पिछले 8 साल से पड़े 25 पैसे के सिक्के को सफलतापूर्वक निकाला।

 

डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि वयस्कों में मजबूत कफ रिफ्लेक्स की उपस्थिति के कारण वस्तुओं का वयस्कों की श्वासनली यानी फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली मुख्य नली में जाना बहुत ही असामान्य है। बच्चों में यह आम बात है.

 

ऐसा मामला जहां पिछले 6 वर्षों से FOREIGN BODY TRACHEA मे पड़ी हुई है। बहुत ही कम रिपोर्ट किया जाता है, विशेषकर वयस्कों में। प्रोफेसर लखोटिया ने बताया कि पहले भी ऐसे एक मामले का इलाज उनकी टीम द्वारा एसएसएच, बीएचयू में सफलतापूर्वक किया जा चुका है। उस मामले में गोदरेज अलमारी की धातु की चाबी 10 साल से पड़ी हुई थी और फिर उसे सफलतापूर्वक निकाल दिया गया था

 

ऐसे फ़ॉरेन bodies जीवन के लिए खतरा हैं और रोगी का दम घुट सकता है, निमोनिया हो सकता है, और फेफड़ों खराब हो सकते हैं। सांस लेने में कठिनाई या अन्य जटिलताओं के कारण मरीजों की मृत्यु हो जाती है।

पूरी प्रक्रिया में 20 मिनट लगे और मरीज अब ठीक है और प्रक्रिया के एक दिन के भीतर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

 

सिक्के को हटाने में मुख्य भूमिका निभाने वाली एनेस्थिसियोलॉजी विभाग की डॉ. अमृता ने बताया कि ऐसी प्रक्रियाओं के लिए बहुत उच्च स्तर की सटीकता की आवश्यकता होती है और थोड़ी सी भी त्रुटि जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकती है। इस मामले में 6 साल से श्वासनली में पड़े इस सिक्के को निकालने के लिए एडवांस्ड रिगीद ब्रोंकोस्कोप का उपयोग किया गया था।

 

टीम में शामिल कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. रत्नेश ने बताया कि वयस्कों की सांस की नली से वस्तुएं निकालने की यह सुविधा पूर्वी उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पतालों मे केवल आईएमएस, बीएचयू में ही उपलब्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि वयस्कों के मामले में यदि कोई व्यक्ति मुंह में कुछ भी रखकर सोता है या शराब और नशीली दवाओं के प्रभाव में अर्ध-चेतन अवस्था में है तो सांस की नली में foreign bodies के जाने की संभावना बढ़ जाती है।

 

स्टाफ त्रिवेन्द्र त्यागी, आनंद कुमार , ओम प्रकाश, बैजनाथ पाल , विकास एवं संजय ने पूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

 

Back to top button