उप्र भाजपा में बदलाव की तैयारी दलबदलू को नही मिलेगी जिम्मेदारी

15 जुलाई को पार्टी के सभी पदाधिकारी व सदस्यों की समाप्त हो गई सदस्यता

-जिलास्तर पर बनाई गई कार्ययोजना
उप्र लोकसभा चुनाव में भाजपा का खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी में बड़े बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की बैठक में यह रणनीति बनी है। संगठन में छह साल बाद सदस्यता अभियान अगले माह से शुरू होगा। बाहरी दलों से आने वाले नेताओं के स्थान पर संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। पार्टी संगठन में बदलाव करने के मूड में है।

लखनऊ में संगठन के पदाधिकारियों की बैठक में हार के कारणों पर मंथन हुआ। इसके बाद अब संगठन के पुनर्गठन की रणनीति तय की गई है। प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले उप चुनाव के मद्देनजर पुनर्गठन को फिर टाला गया है। संगठन के चुनाव दिसंबर में हो सकते हैं
15 जुलाई को पार्टी के सभी पदाधिकारी व सदस्यों की सदस्यता स्वतः समाप्त हो गई। संगठन में उदासीनता पर भी चर्चा किया गया। नई ताकत के साथ काम करने को कहा गया। इसके अलावा संगठन की हर 15 दिन में एक बार जिला स्तर पर बैठक होनी है। जिले के पदाधिकारी मंडल स्तर पर, मंडल के पदाधिकारी बूथ पर
बैठक करेंगे। जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुलझाएंगे। अधिकारियों से जनता के कार्यों के लिए पैरवी करेंगे। कार्यकर्ताओं के बीच से ही संगठन में पदाधिकारी बनाए जाएंगे।बाहर के लोगो को पदाधिकारी नहीं थोपे जाएंगे। संगठन के चुनाव में ऐसे ही लोगों को जिम्मेदारी दी जाएगी, जो सक्रिय होंगे उनको जिम्मेदारी दी जायेगी।

संगठन में होगा बड़ा बदलाव
छह साल बाद बड़े पैमाने पर संगठन को मजबूत बनाने के लिए अगस्त से नए सिरे से सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। पार्टी नेताओं का मानना है कि दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को संगठन में महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी जाए।
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विजय शिवहरे, भाजपा प्रदेश संगठन मंत्री व एमएलसी, छह साल बाद सदस्यता अभियान चलाने का फैसला हुआ है। पार्टी के संविधान के मुताबिक सदस्यता क्रमवार तरीके से बूथ से जिले तक चलाई जाएगी। संगठन में आमूलचूल परिवर्तन होगा, ताकि कार्यकर्ता नई स्फूर्ति के साथ संगठन को मजबूत करें।

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