आरक्षण की आग में जल रहा पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश, 6 की मौत आज से बंद का ऐलान

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में एक खास वर्ग को आरक्षण के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन आज भी जारी है। साथ ही, बांग्लादेश के सभी आठ राज्यों में छात्रों ने आज गुरुवार को बंद का ऐलान किया है। बांग्लादेश में लगातार हिंसा और बंद को लेकर बंगाल के सीमावर्ती बांग्लादेश में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौकस कर दी गई है। बीएसएफ को पूरी तरह सजग और सतर्क रहने को कहा गया है। बांग्लादेश के कॉलेज, यूनिवर्सिटी के छात्रों ने पिछले कुछ दिनों से आरक्षण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरु किया था। उनका कहना है की बांग्लादेश में तरीके से दिए जाने वाले आरक्षण के परिणाम से मेरीट को केवल 44 प्रतिशत स्कोप मिल रहा है। शुरुवात में इन आंदोलनों की और देश-दुनिया ने इसके मर्यादित स्तर के चलते इसे नज़रअंदाज किया था। आंदोलन ने हिंसक स्वरुप ले लिया है। कहां हुई हिंसा और आगजनी?: बांग्लादेश के डेंस इलाके ढाका, चटगांव, और उत्तर पश्चिम रंगपुर इन जगहों पर आंदोलनों की वजह से पुलिस ने आंदोलकों को कंट्रोल करने की कोशिश की। जिसे वजह से जगह जगह पुलिस और आंदोलकों के बीच झड़प हो रही है। जानकारी के अनुसार इस झड़प में कई हिस्सों में हिंसक झड़पें हुईं हैं, जिससे सड़कों पर जाम लग गया और हजारों लोग सड़कों पर फंस गए. नौकरियों में आरक्षण को लेकर हुई हिंसा में तीन छात्रों समेत 6 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए.

बांग्लादेश के सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के परिसरों में रातभर हिंसा होती रही, जिसके बाद चार प्रमुख शहरों में अर्द्धसैनिक बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के जवानों को तैनात किया गया. सरकार ने बढ़ती हिंसा के बीच स्कूलों और कॉलेजों को अगले आदेश तक बंद रखने का आदेश दिया है।कल से मोलटोव फेंक कर बसें जलने की खबरें बांग्लादेश से आ रही है। बांग्लादेश के आरक्षण का मुद्दा: बांग्लादेश में फ़िलहाल 4 विभागों में आरक्षण दिया जा रहा है। इसमें महिलाओं के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण, 10 प्रतिशत पिछड़े जिलों से आनेवालों के लिए, 6 प्रतिशत संरक्षित समुदायों के लिए (इसमें हिन्दुओं के लिए आरक्षण का कोई विशेष प्रावधान नहीं है) और 30 प्रतिशत आरक्षण 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले लोगों के परिवारों के लिए है। इससे मेरिट के लिए मात्र 44 प्रतिशत बचते है। ऐसे में छात्रों की मांग है की इस आरक्षण को बंद किया जाए। देशभर में छात्रों के इन प्रदर्शनों में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में चार छात्रों सहित कम से कम छह लोगों की मौत हो चुकी है। आंदोलन के एक प्रमुख समन्वयक आसिफ महमूद ने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर पोस्ट में कहा कि बृहस्पतिवार को अस्पताल और आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी प्रतिष्ठान बंद रहेंगे और केवल एम्बुलेंस सेवाओं को ही संचालित करने की अनुमति होगी।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बुधवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में लोगों के मारे जाने पर गहरा खेद जताया और कहा कि इस मामले में एक न्यायिक जांच समिति गठित की जाएगी। हसीना ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि वे देश की सर्वोच्च अदालत पर भरोसा बनाए रखें क्योंकि यह मुद्दा उसके पास लंबित है। उन्होंने एक अनिर्धारित राष्ट्रव्यापी संबोधन में कहा, ‘मुझे विश्वास है कि हमारे छात्रों को न्याय मिलेगा (सर्वोच्च न्यायालय में)। वे निराश नहीं होंगे।’हत्याओं की होगी जांच: ये प्रदर्शन मंगलवार को देश भर के प्रमुख शहरों में हुए और बुधवार को भी जारी रहे। हसीना का संबोधन विरोध प्रदर्शनों में छह लोगों की मौत के एक दिन बाद दिया गया। उन्होंने हत्याओं की न्यायिक जांच की घोषणा की और कहा, ‘मैं हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों की हर संभव सहायता करूंगी।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं स्पष्ट रूप से घोषणा करती हूं कि यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई की जाएगी कि हत्या, लूटपाट और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को उचित सजा मिले। चाहे वे कोई भी हों।’यूनिवर्सिटी कॉलेज हुए बंद: हालांकि, हसीना ने हिंसा भड़काने के लिए कुछ निहित स्वार्थी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि प्रदर्शनकारी छात्र आतंकवादी कृत्यों में शामिल नहीं थे। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे उपद्रवियों को स्थिति का फायदा उठाने का मौका न दें। हिंसा के कारण सरकार ने मंगलवार देर रात बांग्लादेश में सभी सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ स्कूलों और कॉलेजों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया तथा आवासीय छात्रों से छात्रावास छोड़ने को कहा। रिपोर्ट अशोक झा

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