लाख प्रयास के बाद भी आखिरकार सोना तस्करो को नहीं मिली जमानत


– रामनवमी में ही नहीं लोकसभा चुनाव के दौरान भी सोना तस्करों को जेल में बितानी पड़ेगी रात
सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी डीआरआई की टीम द्वारा करोड़ों के विदेशी सोना और 82 लाख की नगदी के साथ पकड़े गए तीन गोल्ड स्मैगलरों को लाख प्रयास के बाद भी आज कोर्ट से जमानत नहीं मिल पाई। 14 दिनों के लिए तीनों आरोपियों को जेल भी भेज दिया गया है। आरोपितों को शनिवार को अस्थाई न्यायाधीश ने आरोपितों को जमानत नहीं दी थी। सोमवार आरोपितों ने जमानत के लिए कोलकाता उच्च न्यायालय के वकीलों की टीम सिलीगुड़ी पहुंची थी। डीआरआई के वकील रतन बनिक ने जमानत का विरोध किया। किशनगंज के दोनों आरोपित किसी भी तरह जमानत लेकर अपनी शाख बचाने की कोशिश में ऐड़ी चोटी लगा रहे है। किशनगंज

यह था पूरा मामला : 11 अप्रैल को गोल्ड का वजन 1 किलों 450 ग्राम है जिसका अनुमानित मूल्य (एक करोड़ दो लाख 92 हजार रुपए है ) के साथ कूचबिहार के निवासी बिदुभूषण राय को पकड़ा। पूछताछ में बताया कि गोल्ड बिस्किट को बांग्लादेश से तस्करी कर सिलीगुड़ी लाया था। किशनगंज के दोनों तस्करों को रुपया लेकर गोल्ड देना था। दोनों तस्कर नगदी के साथ गोल्ड की डिलेवरी लेने आ रहे है। सटीक जानकारी के आधार पर किशनगंज के बिहार के किशनगंज के रहने वाला है और दोनों एक मारुति वैगनर कार नंबर डब्ल्यू बी 74 एएच 4737 से सिलीगुड़ी रुपया लेकर सोना लेने आ रहा है।जिसके बाद डीआरआई की टीम ने गिरफ्तार तस्कर को लेकर डिलीवरी के स्थान सिलीगुड़ी के जलपाईगुड़ी मोड पर पहुंचे वहीं कार में बैठे किशनगंज के दिनेश पारीक और मनोज सिन्हा को डीआरआई की टीम ने दबोच लिया और कार की तलाशी लेने लगे लेकिन गोल्ड तस्कर दिनेश पारीक की शातिर दिमाग के कारण मौके पर रुपया बरामद नहीं हुआ लेकिन टीम ने दोनों को हिरासत में लेकर डीआरआई कार्यालय ले आए और गाड़ी के मैकेनिक को बुलाकर गाड़ी का बारीकी से जांच करवाया जांच के दौरान गाड़ी के डिक्की के नीचे बनाए गए विशेष चेंबर से 82 लाख रुपए बरामद हुआ। जॉच में कई चौकाने वाले सुराग डीआरआई को हाथ लग रहे है। कैसे साड़ी दुकानदार, हवाला के माध्यम से सोना तस्कर बना आदि। किशनगंज से लेकर पूर्वोत्तर तक मारवाड़ी युवा मंच के पदाधिकारियों में खलबली मची है।
कई ज्वेलर्स निशाने पर : सीमांचल में
तस्करी का सोना सराफा कारोबारियों के यहां बड़ी मात्रा में खप रहा है, इसीलिए राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने पिछले एक साल में कई बड़े सराफा कारोबारियों के यहां छापे मारे हैं। पूछताछ की है। सूत्रों के मुताबिक तस्करी के सोने की खरीद-फरोख्त कैश में होती है। इससे तैयार ज्वेलरी भी कैश भी बेची जाती है। यानी कालाधन खपाने का बड़ा जरिया तस्करी का सोना है। इसी इनपुट के बाद डीआरआई ने सिलीगुड़ी, कोलकोता समेत बिहार के कई शहरों में छापे मारे। अभी भी किशनगंज समेत बिहार बंगाल और बांग्लादेश नेपाल सीमांत के कारोबारी जांच की जद में हैं। अब देखना है की क्या 29 अप्रैल को भी इन आरोपितों को जमानत मिल पाती है या नहीं?
रिपोर्ट अशोक झा

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