बांग्लादेश आरक्षण की आग में अबतक 64 की मौत, सैकड़ों घायल

भारतीय दूतावास ने जारी किया हेल्प नंबर, नागरिकों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता

बांग्लादेश आरक्षण की आग में अबतक 64 की मौत, सैकड़ों घायल
– भारतीय दूतावास ने जारी किया हेल्प नंबर, नागरिकों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता
अशोक झा, सिलीगुड़ी: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण रद्द करने की मांग को लेकर जारी आंदोलन और हिंसक विरोध प्रदर्शनों में शुक्रवार (19 जुलाई) की सुबह तक 39 थी। रात होते होते इसकी संख्या बढ़कर 64 तक पहुंच गई है। भारत बांग्लादेश के बीच चलने वाली ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति उसका आंतरिक मसला है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि बांग्लादेश में हमारे देश के लगभग 8,500 छात्र और लगभग 15,000 भारतीय नागरिक रहते हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘हम विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर स्थानीय अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत हैं। हमारा उच्चायोग हमारे नागरिकों की सुरक्षा के लिए स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है। विदेश मंत्री स्वयं स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. उच्चायोग वहां की स्थिति पर नियमित अपडेट देता रहेगा. हम भी नियमित अपडेट देते रहेंगे और हम बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों के सभी परिवार के सदस्यों से संपर्क में रहने का आग्रह करते हैं। हम अपने नागरिकों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे सभी नागरिक सुरक्षित हैं। भारतीय नागरिकों की किसी भी तरह की मदद के लिए हाई कमीशन और असिस्टेंट हाई कमीशन हेल्पलाइन नंबर पर उपलब्ध हैं। हाई कमीशन की ओर से जारी गए गए हेल्पलाइन नंबर: असिस्टेंट हाई कमीशन ऑफ इंडिया, चिटगांव- 880-1814654797 / 880-1814654799.
असिस्टेंट हाई कमीशन ऑफ इंडिया, सिलहेट- 880-1313076411
असिस्टेंट हाई कमीशन ऑफ इंडिया, खुलना- 880-1812817799
सरकार ने कहा- सतर्क रहें: सरकार ने अपने नागरिकों को सलाह दी है कि जरूरत ना हो तो बांग्लादेश की यात्रा करने से बचें. आपातकालीन स्थिति में बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों को भारतीय उच्चायोग की ओर से 24 घंटे हेल्पलाइन नंबर का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है. साथ ही लोगों से सतर्क रहने और बड़ी सभाओं या प्रदर्शनों से बचने को कहा गया है। बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस की कथित बर्बरता का विरोध शुरू हो गया है. विरोध प्रदर्शन में कई लोग घायल हुए हैं और कुछ लोगों की जान चली गई है. छात्र हिंसा मुक्त परिसर और कोटा प्रणाली में सुधार की मांग कर रहे हैं। बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों और छात्रों को बढ़ती अशांति के कारण अनावश्यक यात्रा से बचने और अपनी गतिविधियों को सीमित करने की सलाह दी गई है। ढाका में भारतीय उच्चायोग ने राजधानी में छात्रों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पों के बाद यह सलाह जारी की है। ढाका में गुरुवार को स्थिति और खराब हो गई क्योंकि यहां अलग-अलग हिस्सों में छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हुई ब्रैक यूनिवर्सिटी के पास मेरुल बड्डा में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को जाम कर दिया और पुलिस के साथ हिंसक झड़पें कीं. जिसमें कई लोग घायल हो गए. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया, जिससे यातायात में ठप हो गया। साथ ही छात्रों ने प्रगति सरानी पर बशुंधरा आवासीय क्षेत्र के प्रवेश द्वार को जाम कर दिया और ढाका-चटगांव राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया. इससे सार्वजनिक परिवहन बुरी तरह प्रभावित हुआ और लोगों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा। वहीं मीरपुर 10 गोल चक्कर और आस-पास के इलाकों में भी भारी पुलिस बल की मौजूदगी देखी गई, साथ ही कई स्थानीय बाजार और दुकानें बंद कर दी गई।
ज्ञात हो कि विश्वविद्यालयों के छात्र बीते कुछ दिनों से 1971 के मुक्ति युद्ध में लड़ने वालों के परिवार को मिले सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण का विरोध कर रहे है. 1971 में पाकिस्तान से आज़ादी की जंग लड़ने वालों को बांग्लादेश में मुक्ति योद्धा कहा जाता है. देश में एक तिहाई सरकारी नौकरियां इनके परिवारों के लिए आरक्षित हैं। खबर के मुताबिक, हिंसा के मद्देनज़र बांग्लादेश के टेलीविजन समाचार चैनल बंद कर दिए गए हैं, टेलीफोन सेवाएं व्यापक रूप से बाधित हैं। वहीं, कई समाचार वेबसाइट और सोशल मीडिया अकाउंट भी निष्क्रिय कर दिए गए हैं। कानून मंत्री अनीसुल हक ने कहा है कि सरकार प्रदर्शनकारियों से बातचीत करना चाहती है। वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे भी बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन वार्ता और खुला हमला एक साथ संभव नहीं हैं। इस आंदोलन के समन्वयक नाहिद इस्लाम ने रॉयटर्स को बताया, ‘चर्चा और खुले तौर पर गोलीबारी एक साथ नहीं हो सकते. हम शवों पर पैर रखकर बातचीत नहीं कर सकते। इस बीच, संघीय मंत्री ने कहा कि विरोध प्रदर्शन को देखते हुए देश में मोबाइल इंटरनेट अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है।।भारतीयों को सावधानी बरतने की सलाह: ढाका में भारतीय उच्चायोग ने अपने नागरिकों को यात्रा से बचने और ‘अपने आवासीय परिसर के बाहर अपनी गतिविधियां सीमित’ करने की सलाह दी है।उच्चायोग ने किसी भी सहायता के लिए कई आपातकालीन नंबर भी जारी किए हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के चौथी बार प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद नौकरियों में आरक्षण को लेकर ये सबसे बड़ा राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है. इसका एक बड़ा कारण बांग्लादेश के युवाओं के बीच बढ़ती बेरोजगारी है, जिसमें 17 करोड़ आबादी का लगभग पांचवां हिस्सा काम या शिक्षा से बाहर है। बीते बुधवार (17 जुलाई) को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने एक संबोधन में आंदोलनकारियों से धैर्य रखने का आग्रह करते हुए भरोसा दिया था कि अदालत के ज़रिए उनको ‘इंसाफ़’ मिलेगा। उन्होंने लोगों से न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा रखने की भी अपील की। उन्होंने प्रदर्शनकारियों की मौत की न्यायिक जांच कराने की बात भी कही, लेकिन इसके बावजूद बांग्लादेश में हिंसा जारी है और गुरुवार (18 जुलाई) को हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने गुरुवार को कहा कि हिंसा कभी भी समाधान नहीं है।डुजारिक ने कहा, ‘हम सरकार से बातचीत के लिए अनुकूल माहौल सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं और प्रदर्शनकारियों को गतिरोध को सुलझाने के लिए उस बातचीत में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेहेली सबरीन ने कहा था, ‘इस तरह के निराधार दावे करने के लिए असत्यापित जानकारी का उपयोग हिंसा को बढ़ावा दे सकता है और अहिंसक विरोध या आंदोलन की अनुमति देने के लिए शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के बांग्लादेश सरकार के प्रयासों को कमजोर कर सकता है। रिपोर्ट अशोक झा

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