नीति आयोग को खत्म करने की होगी मांग: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

अशोक झा, नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीति आयोग को खत्म करने की मांग की है। साथ ही योजना आयोग की वापसी की वकालत की है। दरअसल, ममता बनर्जी शनिवार आज नीति आयोग की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली में हैं।ममता बनर्जी ने मौजूदा संगठन की आलोचना करते हुए कहा कि नीति आयोग को हटाओ, योजना आयोग को वापस लाओ। इसका एक ढांचा था। इसने देश में बुनियादी ढांचे का निर्माण किया। योजना आयोग नेताजी सुभाष चंद्र बोस का विचार था। उन्होंने तर्क दिया कि नीति आयोग में राज्य सरकारों के साथ वह अधिकार और समन्वय नहीं है जो कभी योजना आयोग के पास था। उन्होंने आगे कहा कि नीति आयोग के पास कोई शक्ति नहीं है। यह राज्य सरकारों के साथ समन्वय में काम नहीं करता है।नीति आयोग को हटाने की उठी मांग: बता दें कि, नीति आयोग की बैठक का विपक्षी नेताओं द्वारा बहिष्कार किए जाने के बारे में ममता बनर्जी ने पक्षपात और सहयोग की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मैं न केवल बंगाल के लिए बल्कि भारत के सभी ब्लॉक-शासित राज्यों के लिए मुद्दे उठाऊंगी। यह सहकारी संघवाद माना जाता है, लेकिन वे पक्षपाती हैं। वे भारत के ब्लॉक-शासित राज्यों की आर्थिक नाकेबंदी कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में भाग लेने की आवश्यकता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वास्तव में, नीति आयोग की बैठक में आने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा उन्होंने सरकार के बजट की आलोचना की, इसे जन-विरोधी, गरीब-विरोधी और राजनीतिक रूप से पक्षपाती बताया। साथ ही सत्तारूढ़ पार्टी पर बिहार, झारखंड और बंगाल जैसे राज्यों के बीच विभाजन पैदा करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।ममता बनर्जी ने केंद्र पर लगाया आरोप: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि वे चुनावों के दौरान टुकड़े-टुकड़े की बात करते थे, अब वे देश को विभाजित कर रहे हैं। साथ ही ममता बनर्जी ने दावा किया कि उन्होंने सरकार तो बना ली है, लेकिन उनके पास जनादेश नहीं है। अगर आप जनादेश देखें, तो इंडिया ब्लॉक पार्टियों के पास कुल मिलाकर 51 प्रतिशत वोट शेयर है और एनडीए के पास 46 प्रतिशत वोट शेयर है। उन्होंने आगे कहा कि एनडीए सरकार आपसी लड़ाई से गिर जाएगी। वे आपस में ही लड़ेंगे। बस इंतज़ार करें और देखें।झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के अलावा ममता बनर्जी ही नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने वाली विपक्षी सरकार की सीएम हैं। बजट में अपने राज्य के प्रति भेदभाव का आरोप लगाते हुए कांग्रेस शासित राज्यों के सीएम इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। इनमें कर्नाटक के सिद्धारामैया, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी और हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू हैं। इनके अलावा तमिलनाडु की डीएमके सरकार के सीएम एमके स्टालिन, पंजाब के सीएम भगवंत मान, दिल्ली के मंत्रियों और केरल की वाममोर्चा सरकार के सीएम पिनरई विजयन ने भी नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया है। नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने की बात ममता बनर्जी ने पहले ही कह दी थी। बीच में ये खबर जरूर आई कि ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगी, लेकिन उन्होंने फिर से कार्यक्रम तय किया और दिल्ली आने की तस्दीक की। ममता बनर्जी ने कोलकाता एयरपोर्ट पर कहा कि अगर विपक्ष शासित राज्यों से भेदभाव के अलावा पश्चिम बंगाल और उसके पड़ोसी राज्यों को विभाजित करने की साजिश संबंधी मामलों पर विरोध दर्ज कराने का मौका मिला, तो ऐसा करूंगी। वरना बैठक से बाहर चली जाऊंगी। ममता बनर्जी ने ये भी बताया कि उनको 7 दिन पहले अपना लिखित भाषण भेजने के लिए कहा गया था। ममता ने कहा कि जो सीएम बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं, उनकी ओर से भी वो और हेमंत सोरेन नीति आयोग की बैठक में बोलेंगे।अब सबकी नजर इस पर है कि नीति आयोग की बैठक के दौरान ममता बनर्जी क्या करती हैं? अगर ममता बनर्जी बैठक का बहिष्कार कर बाहर आती हैं, तो उनका साथ हेमंत सोरेन भी देते हैं या नहीं? फिलहाल ममता बनर्जी के बयान से ये तो साफ हो गया है कि वो सीएम के तौर पर नहीं, विपक्षी गठबंधन के नेता के तौर पर इस बैठक में बात रखने जा रही हैं।

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