चुप नहीं बैठने वाली ही शेख हसीना, पार्टी करेगी 15 अगस्त को बड़ा खेल

बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना इन दिनों भारत में शरण लिए हुए हैं। वे भारत में कब तक रहेंगी इसको लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है। हसीना अपने देश की स्थिति पर कड़ी नजर रख रही हैं। बांग्लादेश के पूर्व प्रधान मंत्री ने कहा, ‘पिछले जुलाई से आंदोलन के नाम पर बर्बरता, आगजनी और हिंसा के कारण कई लोगों की जान चली गई है।छात्र, शिक्षक, पुलिस यहां तक ​​कि आंतरिक महिला पुलिस, पत्रकार, सांस्कृतिक कार्यकर्ता, कामकाजी लोग, अवामी लीग और संबद्ध संगठन के नेता, कार्यकर्ता, पैदल यात्री और विभिन्न संस्थानों के कार्यकर्ता जो आतंकवादी हमले का शिकार होकर मारे गए हैं, मैं उनके लिए शोक व्यक्त करती हूं और उनकी आत्मा की शांति लिए प्रार्थना कर रही हूं।
‘राष्ट्रपिता का किया गया घोर अपमान’
बांग्लादेश के संस्थापक और अपने पिता शेख मुजीबुर रहमान के संग्रहालय पर हमला किए जाने की निंदा करते हुए शेख हसीना ने कहा, ‘राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, जिनके नेतृत्व में हमने एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में आत्मसम्मान हासिल किया, अपनी पहचान बनाई और एक स्वतंत्र देश प्राप्त किया, उनका घोर अपमान किया गया। उन्होंने (प्रदर्शनकारियों) लाखों शहीदों के खून का अपमान किया। मैं देशवासियों से न्याय चाहती हूं.’ बता दें कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में शेख हसीना का 15 साल लंबा शासन उस समय खत्म हो गया, जब हिंसक प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास पर हमला कर दिया। शेख हसीना को 5 अगस्त को अपनी सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़ना पड़ा। शेख मुजीबुर रहमान की बेटी शेख हसीना फिलहाल भारत में सुरक्षित स्थान पर हैं। ज्ञात हो कि बंगलादेश में कोटा विरोधी प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़ी कई इमारतों में आग लगा दी थी। ऐसी भी खबरें आईं कि प्रदर्शनकारियों ने आवामी लीग से जुड़े सैकड़ों लोगों की बर्बरता से हत्याएं कर दीं। सड़कों पर उतरे उग्र प्रदर्शनकारियों ने हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को हथौड़ों से तोड़ दिया। हालांकि इन सबके बावजूद उनकी पार्टी बड़ी तैयारी में है। शेख हसीना की पार्टी ने 15 अगस्त को लेकर खास प्लान बनाया है। अवामी लीग 15 अगस्त को बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की हत्या की 49 वीं वर्षगांठ के अवसर पर उनके चित्र पर श्रद्धांजलि अर्पित करने की तैयारी कर रही है। अवामी लीग की अध्यक्ष और देश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना के इस्तीफे और भारत भाग जाने के बाद, अवामी लीग के कई शीर्ष नेता छिप गए हैं। इससे पार्टी की गतिविधियों को लेकर तनाव और बढ़ गया। लेकिन 15 अगस्त के सिलसिले में अवामी लीग के नेता और कार्यकर्ता बाहर निकलने की योजना बना रहे हैं।
शेख मुजीबुर रहमान को श्रद्धांजलि देने की योजना: रिपोर्ट के मुताबिक, अवामी लीग के जमीनी नेता और कार्यकर्ता 15 अगस्त को धानमंडी रोड नंबर 32 पर बंगबंधु भवन में इकट्ठा होने की तैयारी कर रहे हैं। वे तुंगीपारा में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की समाधि पर और साथ ही बनानी कब्रिस्तान में भी श्रद्धांजलि देने की योजना बना रहे हैं, ताकि 15 अगस्त, 1975 को अपनी जान गंवाने वाले बंगबंधु के मृतक परिवार के सदस्यों को श्रद्धांजलि दी जा सके। सुरक्षा कारणों से, किसी ने भी मीडिया को कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी है। 5 अगस्त के बाद, अधिकांश अवामी लीग नेता छिप गए, और कुछ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट तक डिलीट कर लिए थे। राजनीतिक परिवर्तन के बाद बांग्लादेश में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी फिर से सार्वजनिक रूप से सक्रिय हो गई है। बीएनपी अध्यक्ष खालिदा जिया को रिहा कर दिया गया। इसके अलावा, हजारों बीएनपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल से रिहा कर दिया गया और देश की लगभग हर राजनीतिक पार्टी ने राजनीतिक परिदृश्य पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, सिवाय अवामी लीग के। इस बीच, रविवार की रात शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं से धनमंडी 32 में बंगबंधु की पुण्यतिथि पर उन्हें सम्मानित करने का आग्रह किया था।नई अंतरिम सरकार से सुरक्षा मांग रही आवामी लीग: एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया कि 5 अगस्त को शेख हसीना के इस्तीफे के बाद चल रही राजनीतिक अनिश्चितता के बीच अवामी लीग ने नई अंतरिम सरकार से सुरक्षा आश्वासन मांगा है। अवामी लीग के संयुक्त महासचिव महबूबुल आलम हनीफ के हवाले से बीबीसी बांग्ला ने बताया कि अंतरिम सरकार को सुरक्षा उपायों के लिए औपचारिक अनुरोध पेश किया गया है। हनीफ ने कहा, “क्षेत्र की सुरक्षा के लिए पार्टी की ओर से गृह सलाहकार को एक पत्र भेजा गया है। हमें उम्मीद है कि अनुमति मिल जाएगी।हालांकि, संपर्क करने पर हनीफ ने कई बांग्लादेशी पत्रकारों को बताया कि बीबीसी बांग्ला समाचार रिपोर्ट फर्जी है। रिपोर्ट के अनुसार, अवामी लीग के अलावा, सेकचेसबोक लीग, जुबो लीग, जुबो मोहिला लीग और अन्य संबद्ध या समान विचारधारा वाले समूह 15 अगस्त की शाम को मोमबत्तियां लेकर धानमंडी 32 पर जाने की योजना बना रहे हैं। अवामी लीग के कार्यकर्ता पहले से ही सोशल मीडिया पर 15 अगस्त के लिए अपने आगामी कार्यक्रम की घोषणा कर रहे हैं।
शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कैसे हुई?बांग्लादेश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति, शेख मुजीबुर रहमान, को 15 अगस्त 1975 को उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी। यह हत्या बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास में एक काला अध्याय है, जिसने देश को गहरे सदमे और संकट में डाल दिया था। शेख मुजीबुर रहमान को “बंगबंधु” (बंगाल के मित्र) के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की दिशा में काम किया। 15 अगस्त 1975 की सुबह, कुछ बागी सैनिकों के एक समूह ने शेख मुजीब के आवास पर हमला किया। इस हमले में शेख मुजीब के परिवार के कई सदस्यों सहित उन्हें भी मार दिया गया। शेख हसीना और उनकी छोटी बहन शेख रेहाना विदेश में होने के कारण इस हमले से बच गईं थीं। हसीना ने भारत में छह साल निर्वासन में बिताए, बाद में उन्हें उनके पिता द्वारा स्थापित पार्टी अवामी लीग का नेता चुना गया। हसीना 1981 में स्वदेश लौट आईं और सेना द्वारा शासित देश में लोकतंत्र की मुखर आवाज बनीं, जिसके कारण उन्हें कई बार नजरबंद रखा गया।कैसे सत्ता तक पहुंचीं शेख हसीना?: बांग्लादेश में 1991 के आम चुनाव में हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग बहुमत हासिल करने में विफल रही। उनकी प्रतिद्वंद्वी बीएनपी की खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं। पांच साल बाद, 1996 के आम चुनाव में हसीना प्रधानमंत्री चुनी गईं। हसीना को 2001 के चुनाव में सत्ता से बाहर कर दिया गया था, लेकिन 2008 के चुनाव में वह भारी जीत के साथ सत्ता में लौट आईं। तब से खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी मुश्किल में फंसी हुई है। वर्ष 2004 में हसीना की हत्या की कोशिश की गई थी, जब उनकी रैली में एक ग्रेनेड विस्फोट हुआ था। हसीना ने 2009 में सत्ता में आने के तुरंत बाद 1971 के युद्ध अपराधों के मामलों की सुनवाई के लिए एक न्यायाधिकरण की स्थापना की। न्यायाधिकरण ने विपक्ष के कुछ वरिष्ठ नेताओं को दोषी ठहराया, जिसके कारण हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। इस्लामिस्ट पार्टी और बीएनपी की प्रमुख सहयोगी जमात-ए-इस्लामी को 2013 में चुनाव में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। बीएनपी प्रमुख खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के आरोप में 17 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। बीएनपी ने 2014 के चुनाव का बहिष्कार किया था, लेकिन 2018 में इसमें शामिल हुई। इस चुनाव के बारे में बाद में पार्टी नेताओं ने कहा कि यह एक गलती थी, और आरोप लगाया कि मतदान में व्यापक धांधली और धमकी दी गई थी।

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