ट्रेनी डॉक्टर रेप हत्या कांड: तबादला के पटरी पर स्थिति सामान्य करने की कोशिश

अशोक झा, कोलकाता: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या का मामले हर तरफ चर्चाओं में है। इस बीच आरजीकर अस्पताल को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। इस अस्पताल प्रिंसिपल की जगह अब मानस कुमार बनर्जी लेंगे। दिलचस्प बात यह है कि मानस कुमार बनर्जी को पहले भी आरजीकर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के तौर पर ट्रांसफर किया गया था, लेकिन उस समय वे पदभार ग्रहण नहीं कर सके थे। एडीजी कुंदन कृष्णन समेत सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती, सुरक्षा उपायों और अन्य पहलुओं के संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल और कोलकाता पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक की। कोलकाता के सरकारी आरजीकर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना की पृष्ठभूमि में यह आदेश आया है। इस संदर्भ में जारी एक आदेश के अनुसार राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के एडीसी (पी) मनीष जोशी को बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय के बिधाननगर डिवीजन में अतिरिक्त डीसी बनाकर भेजा गया है। आदेश के मुताबिक पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शांति दास ने जोशी की जगह ली है।आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नए प्रिंसिपल के रूप में मानस कुमार बनर्जी ने पदभार संभाला है। इससे पहले वे बारासात मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत थे। पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने आरोप लगाया था कि उन्हें बिना किसी स्पष्ट जिम्मेदारी के अचानक दरवाजा बंद कर दिया गया, जिससे मानस कुमार बनर्जी पिछली बार अपना पद नहीं संभाल पाए थे।सप्तर्षि चटर्जी अस्पताल के नए एमएसवीपी नियुक्त
संदीप घोष का आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में ट्रांसफर दो दिनों के अंदर ही रद्द कर दिया गया था। इसके साथ ही, सप्तर्षि चटर्जी को आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल का नया एमएसवीपी नियुक्त किया गया है। इससे पहले सप्तर्षि चटर्जी बांकुड़ा सम्मिलानी मेडिकल कॉलेज में एमएसवीपी के पद पर कार्यरत थे। कोलकाता के जिस मेडिकल कॉलेज में डाक्टर का रेप-मर्डर, वहाँ से बांग्लादेश होती थी तस्करी, लाशों को बेचने वाले रैकेट में संदीप घोष भी: RG Kar अस्पताल के पूर्व अधिकारी का दावा किया है।कोलकाता रेप-मर्डर में मुख्य आरोपी संजय रॉय के बाद अब RGK अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर अब शक गहराता जा रहा है. और संदीप घोष अब कानून के फंदे में घिरते नजर आ रहे हैं।
हॉस्पिटल में रेप और मर्डर वाली जगह से पुलिस को एक डायरी मिली थी, जो अब इस पूरी वारदात में अहम रोल अदा कर सकती है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि डायरी के ठीक बगल में उसी डायरी का एक पन्ना खुला पड़ा था, जिस पर कुछ लिखा हुआ था।डायरी के साथ ही उस पन्ने को भी कोलकाता पुलिस ने सीलबंद लिफाफे में जब्त कर लिया था. लेकिन उस पन्ने पर आखिर लिखा क्या था? क्या लिखे गए शब्द उसी मृतक महिला डॉक्टर की लिखावट थी?
सूत्रों का कहना है कि शायद महिला डॉक्टर ने उसी रात अपनी मौत से पहले खुद ही पन्ने में लिखी होगी. बरामद किए जाने के बाद, कोलकाता पुलिस ने उसके माता-पिता को दिखाया और उनसे पूछा कि क्या यह उनकी बेटी की लिखावट है। सूत्र ने बताया कि उन्होंने बेटी की लिखावट होने की हामी भरी है. लिखावट की दोबारा जांच करने के लिए उसी डायरी के दूसरे पन्नों से भी इसका मिलान किया गया और दोनों की लिखावट एक जैसी पाई गई. इसके बाद पन्ने को जब्त कर लिया गया।कोलकाता पुलिस के टॉप सूत्रों का दावा है कि पन्ने और डायरी को सीबीआई को सौंप दिया गया है।डायरी के पेज पर क्या लिखा था?: सूत्रों का कहना है कि महिला डॉक्टर शायद नियमित रूप से अपनी डायरी लिखती थी. वह क्या करना है, इसकी एक लिस्ट बनाती थी. उसने अपने सपनों को भी अपनी डायरी के पन्नों पर लिखा था. सूत्रों के मुताबिक, अपनी मौत से पहले महिला डॉक्टर ने पन्ने पर एक लिस्ट बनाई थी कि क्या करना है. वह कई प्राइवेट क्लीनिकों और मशहूर अस्पतालों में प्रैक्टिस करना चाहती थी.
इस लिस्ट में कोलकाता और बैरकपुर में स्थित कुछ अस्पतालों और प्राइवेट क्लीनिक्स के नाम भी शामिल थे। सूत्रों का दावा है कि अपने चैंबर की लिस्ट के अलावा, मृतका ने लिखा कि वह आने वाले वक्त में वह मेडिकल में गोल्ड मेडल जीतना चाहती है। वह गोल्ड मेडल हासिल करने के लिए अच्छी तरह से स्टडी भी करना चाहती थी।यह उसकी महत्वाकांक्षाओं में से एक था। सूत्रों के मुताबिक, डॉक्टर ने बताया कि पेज में अपने माता-पिता की भलाई के लिए क्या प्लान बना रही थी. उसने माता-पिता से खुश और मुस्कुराते रहने का भी वादा किया था. सूत्रों का कहना है कि शायद मृतका ने सोने से ठीक पहले ये सभी वाक्य लिखे थे. शायद यही वजह है कि पेज को डायरी से हटा दिया गया।पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के सरकारी अस्पताल में जिस प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई, उसने ऊंचे सपने संजोये थे। गोल्ड मेडल पाने का सपना देखा था. मृत छात्रा की डायरी से इसका खुलासा हुआ है।जब्त डायरी में मां-पिता का बेहतर ख्याल रखना था उसका सपना:
पढ़ाई में गोल्ड मेडल पाना चाहती थी मृत महिला चिकित्सक
मृतका की डायरी को सीबीआई अधिकारियों के हवाले कर चुकी है पुलिस। पढ़ाई में गोल्ड मेडल हासिल करना था सपना: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में दुष्कर्म की शिकार महिला चिकित्सक पढ़ाई में गोल्ड मेडल हासिल करना चाहती थी. वह अपने माता-पिता का बहुत अच्छे से ख्याल रखना चाहती थी। पीड़िता की डायरी से इन बातों का खुलासा हुआ है।कोलकाता पुलिस को फटा मिला डायरी का एक पन्ना: कोलकाता की पुलिस ने कहा है कि डायरी में एक पन्ना फटा हुआ है, जिसमें खास कुछ नहीं लिखा था। पीड़िता ने डायरी में लिखा है कि आगे चलकर वह अपनी प्राइवेट कार भी बदलना चाहती थी। पुलिस ने कहा है कि पीड़िता के शव के पास से जो डायरी उसे मिली थी, उस डायरी को सीलबंद हालत में सीबीआई अधिकारियों को सौंप दिया गया है।
सपने को सच करने की राह पर थी प्रशिक्षु डॉक्टर: सीबीआई उस डायरी की भी जांच करेगी। पीड़िता ने डायरी में जो बातें लिखीं हैं, उन शब्दों पर गौर करेंगे, तो पायेंगे कि वह जितनी मेधावी थी, उतने ही बड़े उसके सपने भी थे।।अपने सपनों को सच करने के रास्ते पर वह आगे बढ़ रही थी। लेकिन दरिंदों ने न केवल उसे अपनी हवस का शिकार बनाया, बल्कि बड़ी ही बेरहमी से उसकी हत्या भी कर दी।कोलकाता में दुष्कर्म की शिकार डॉक्टर के क्या थे सपने?: कोलकाता में दुष्कर्म की शिकार महिला डॉक्टर के सपने बहुत ऊंचे थे। वह पढ़ाई में गोल्ड मेडल हासिल करना चाहती थी. अपने माता-पिता का बहुत अच्छे से ख्याल रखना चाहती थी। किस अस्पताल में थी दुष्कर्म-हत्या की शिकार युवती?: दुष्कर्म और हत्या की शिकार युवती पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में प्रशिक्षु चिकित्सक थी।कोलकाता डॉक्टर मर्डर केस की कौन कर रहा है जांच?: कोलकाता डॉक्टर मर्डर केस की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई कर रही है। शुरू में केस की जांच कोलकाता पुलिस ने की थी।8 और 9 अगस्त की दरम्यानी रात को उसने आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ ज्यादती करने के बाद उसका क़त्ल तो कर दिया, लेकिन कत्ल से पहले और क़त्ल के बाद भी वो दूसरी लड़कियों के साथ बदतमीज़ी और छेड़छाड़ करता रहा. रॉय को गिरफ्तार करने के बाद सीबीआई ने जब पिछले 24 घंटे की उसकी हरकतों की स्कैनिंग शुरू की, तो उसके बारे में ऐसी-ऐसी जानकारियां निकल कर सामने आईं, जिन्होंने जांच अधिकारियों को भी सन्नाटे में डाल दिया।8 और 9 अगस्त के दौरान संजय रॉय अलग-अलग बहानों से कुल चार बार आरजी कर अस्पताल के अंदर गया था. इनमें से तीन बार तो वो अस्पताल के अंदर घूम फिर कर, राउंड लगा कर बाहर निकल आया. लेकिन चौथी और आखिरी बार जब वो अस्पताल से बाहर निकला, तब तक उसके हाथों ट्रेनी डॉक्टर का रेप और क़त्ल हो चुका था. लेकिन बात इसके आगे भी है. तफ्तीश में पता चला है कि संजय रॉय वारदात वाली रात अस्पताल के पास ही एक रेड लाइट एरिया में भी गया था और वहां लौटते हुए उसने रास्ते में भी एक लड़की से छेड़छाड़ की थी. यहां तक कि रेप और क़त्ल की वारदात के बाद भी उसने एक महिला को फोन किया और उसके साथ भी उसका व्यवहार एक पर्वर्ट यानी सिरफिरे की तरह ही रहा। 8 अगस्त को आरजी कर अस्पताल में चार बार चक्कर लगाने के दौरान संजय रॉय एक बार अपने एक और सिविक वॉलेंटियर दोस्त के साथ अस्पताल के अंदर गया. असल में उस वॉलेंटियर दोस्त का एक रिश्तेदार अस्पताल में भर्ती था और रॉय उसी रिश्तेदार को देखने जाने के बहाने से अस्पताल में घूम रहा था।तफ्तीश में पता चला है कि इस वारदात को अंजाम देने के बाद संजय ने एक महिला को फोन किया, जिसे उसने दीदी कह कर संबोधित किया, मगर हक़ीक़त यही है कि उसने इस महिला के साथ भी बदतमीज़ी से बात की. अस्पताल से बरामद एक सीसीटीवी फुटेज में 8 अगस्त की रात को संजय रॉय अस्पताल से बाहर निकलता हुआ दिख रहा है। छानबीन में पता चला कि रात को अस्पताल से निकलने के बाद अपने एक सिविक वॉलेंटियर दोस्त के साथ पहले सोनागाछी के रेड लाइट एरिया में गया। वहां उसका दोस्त तो एक जिस्मफरोशी के अड्डे में चला गया, लेकिन संजय बाहर की खड़ा रहा इसके बाद दोनों वहां से फिर साउथ कोलकाता के एक दूसरे रेड लाइट एरिया चेतला में गए. लेकिन संजय का दोस्त अड्डे के अंदर चला गया और वो बाहर ही खड़ा रहा. और फिर यहीं से वापसी के दौरान उसने एक लड़की से छेड़छाड़ की और उससे उसकी न्यूड तस्वीरें मांगी।वो सीधे अस्पताल से थोड़ी दूरी पर मौजूद चेतला इलाके की एक रेड लाइट एरिया में गया था. यानी वारदात के 24 घंटे के दौरान वो एक-एक कर दो रेड लाइट एरिया गया. पहले वो एक दोस्त के साथ सोनागाछी गया. फिर वो उसी दोस्त के साथ चेतला के जिस्मफरोशी के अड्डे में पहुंचा. लेकिन दोनों ही जगह उसका दोस्त अंदर गया और ये बाहर खड़ा रह गया. लौटते हुए रास्ते में एक लड़की से छेड़छाड़ की। आधी रात को डॉक्टर का रेप और मर्डर किया और फिर से एक महिला को फोन कर उससे भी बदतमीज़ी की। संजय रॉय की इन हरकतों को देख कर ही ये साफ है कि उसके दिमाग पर लड़कियों के करीब आने और उनसे ज्यादती करने का फितूर किस कदर हावी था कि वो एक के बाद एक लगातार उन्हें अलग-अलग तरीकों से टार्गेट कर रहा था. रेप और मर्डर के मामले में जब संजय रॉय को गिरफ्तार करने के बाद सीबीआई ने उसकी क्राइम कुंडली निकाली, तो उसे रॉय के बारे में और भी हैरान करने वाली बातें पता चलीं. साफ हुआ कि संजय रॉय पर इसके अलावा पहले भी महिलाओं और लड़कियों के साथ छेड़छाड़ के इल्ज़ाम लग चुके हैं. यहां तक कि उसने अपने ही मोहल्ले में भी कई लड़कियों से बदतमीजी की है. और तो और वो अपने इलाके में हफ्ता वसूली भी किया करता था.

लेकिन ये तो रही पोर्न फिल्मों के एडिक्शन से जूझ रहे रेप और मर्डर के आरोपी संजय रॉय के 24 घंटे की हरकतों का ब्यौरा. कत्ल के बाद मौका-ए-वारदात को लेकर अब भी कुछ ऐसे अनसुलझे सवाल हैं, जिनका जवाब सीबीआई तलाश रही है. इनमें सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और क़त्ल की वारदात को कहीं और अंजाम दिया गया और फिर लाश को लाकर सेमिनार रूम में फेंक दिया गया? डॉक्टर के घरवालों ने मौका-ए-वारदात को देख कर कुछ ऐसे ही सवाल उठाए हैं और अब सीबीआई भी इस पहलू को खंगाल कर देख रही है।।छानबीन में सीबीआई को पता चला है कि 9 अगस्त की सुबह मृत ट्रेनी डॉक्टर को नींद से जगाने के लिए उसका एक कलीग अस्पताल के सेमिनार हॉल में पहुंचा था, लेकिन उसे लगा कि शायद डॉक्टर सो रही है और वो वापस चला गया. जबकि तब तक उसका कत्ल हो चुका था और सेमिनार रूम में उसकी लाश पड़ी थी. सीबीआई ने उस डॉक्टर से भी पूछताछ की है। लेकिन डॉक्टर ने अपने जवाब में बताया है कि जब वो सेमिनार रूम में ट्रेनी डॉक्टर को बुलाने के लिए पहुंचा, तो उसने देखा कि डॉक्टर अपने सिर पर एक हाथ रख कर नीचे एक मैट्रेस पर लेटी हैं, जिसे देख कर उसे गुमान हुआ कि शायद वो सो रही है। लेकिन सवाल ये भी है कि जिस तरह से ट्रेनी डॉक्टर की लाश सेमिनार रूम में पड़ी थी, क्या उसे देख कर किसी को ऐसा धोखा भी हो सकता है? तो इसके जवाब में डॉक्टर ने कहा है कि लाश के पास ही एक बेंच भी रखी थी, जिसके ओट से उसने डॉक्टर को देखा और उसे लगा कि वो सो रही हैं. यानी ये साफ है कि कत्ल के बाद आरोपी ने पीड़ित डॉक्टर का हाथ इस तरह से उसके सिर पर रख दिया, जिसे देख कर ये लगे की वो सो रही है, यानी सीन ऑफ क्राइम को वारदात के बाद अपने तरह से फेब्रिकेट करने की भी कोशिश की गई। और इसीलिए ये सवाल और अहम हो जाता है कि क्या ट्रेनी डॉक्टर की हत्या कहीं और हुई और लाश को सेमिनार रूम में लाकर फेंक दिया गया। सीन ऑफ क्राइम के मुआयने के बाद कुछ और भी ऐसे सवाल हैं, जिनके तह तक सीबीआई जाने की कोशिश कर रही है. सेमिनार हॉल में डॉक्टर की लाश पोडियम पर पड़ी थी. नीचे एक मैट्रेस था और मैट्रेस के नीचे ही बिजली का तार भी पड़ा था. जबकि हॉल में ही सोने के लिए दूसरे बिस्तर भी हैं. ऐसे में सवाल है कि डॉक्टर ने रात को सोने के लिए पोडियम पर रखे उस मैट्रेस को क्यों चुना? शक और सवाल लाश की इस जगह को देख कर भी उठ रहे हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि शायद वारदात के बाद लाश को यहां लाकर फेंक दिया गया। इधर, कोलकाता से दूर दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल के मामले पर चीफ जस्टिस की अगुवाई में तीन जजों की बेंच में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह ने इतने संगीन मामले में एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी समेत कई मामलों पर पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस को फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि इस वारदात के बाद फौरन एफआईआर दर्ज करवाना अस्पताल प्रशासन की जवाबदेही थी. लेकिन एफआईआर रात ग्यारह बज कर पैंतालीस मिनट पर दर्ज की गई. अस्पताल प्रशासन क्या कर रहा था? ये सिर्फ एक वारदात की बात नहीं है, बल्कि इसने पूरे देश के स्वास्थ्य सेवाओं पर असर डाला है. हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि इंक्वेस्ट के फौरन बाद पुलिस ने यूडी केस यानी अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज किया था. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यानी हत्या का मामला रात को दर्ज हुआ. आखिर इतनी देर क्यों लगी?सुप्रीम कोर्ट ने घरवालों को लाश सौंपने में हुई देरी को लेकर भी सवाल पूछा. जसिट्स चंद्रचूड़ ने पूछा कि घरवालों को शव कब सौंपा गया, तो एडवोकेट सिब्बल ने बताया कि रात साढ़े आठ बजे के करीब. इस पर कोर्ट ने कहा कि यानी एफआईआर अंतिम संस्कार के भी तीन घंटे बाद रात पौने बारह बजे दर्ज हुई. सुप्रीम कोर्ट रेप और कत्ल की इस वारदात को लेकर कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अव्वल तो इस मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सुओ मोटो यानी स्वत: संज्ञान लिया, ऊपर से सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से इस मामले की तफ्तीश और पूरे केस को संभालने में हुई ढिलाई को लेकर सवालों की झड़ी लगा दी।

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