बंगाल में ट्रेनी डॉक्टर दुष्कर्म हत्या कांड के बीच राज्यपाल पर टिकी है सबकी निगाहें
राज्यपाल के खिलाफ राज्य सरकार बड़े आंदोलन की तैयारी में
अशोक झा, कोलकोता: गृहमंत्री अमित शाह से आज सुबह 11:30 बजे के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की मुलाकात हुई। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल गुरुवार शाम को ही दिल्ली पहुंचे थे। सूत्रों के अनुसार, राज्यपाल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर आरजी कर मामले समेत राज्य के ताजा हालात पर चर्चा की और विस्तृत जानकारी सौंपी। वही दूसरी ओर राज्यपाल के खिलाफ राज्य की सरकार बड़े आंदोलन की बात कर चुकी है।
पिछले सप्ताह भी राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मिलकर आरजी कर की घटना और इसके बाद की स्थिति के बारे में जानकारी दी थी। राज्यपाल के गृहमंत्री से मुलाकात की खबरें आने के बाद एक बार फिर चर्चाएं जोर पकड़ने लगी हैं कि क्या पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लग सकता है? दरअसल आरजी कर अस्पताल में हुए रेप-मर्डर केस के बाद कोलकाता लगातार विरोध-प्रदर्शनों से जूझ रहा है।राज्यपाल आनंद बोस ने आजतक के साथ बातचीत में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के सवाल पर भी जवाब दिया था. इससे पहले उन्होंने कोलकाता कांड की जानकारी राष्ट्रपति को दी थी. राज्यपाल आनंद बोस ने कहा कि बंगाल में लोकतंत्र नहीं है. ममता बनर्जी की सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है. उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बिल्कुल नहीं निभाई. उन्हें पद से इस्तीफा देना चाहिए। साथ ही पुलिस कमिश्नर को भी तुरंत हटाया जाना चाहिए। राज्यपाल बोस ने कहा था कि संविधान ने मुझे शक्तियां दी हैं। बंगाल के हित में काम करता रहूंगा। लोगों की आवाज नहीं सुनी गई है. ये राज्यपाल और मुख्यमंत्री की लड़ाई नहीं है। मैंने राज्य की मौजूदा स्थिति को लेकर बार-बार सीएम से बात की थी। मैं सरकार से जो भी रिपोर्ट मांगता था, नहीं दी जाती थी. अब तक 30 रिपोर्ट मांग चुका हूं लेकिन सिर्फ एक ही रिपोर्ट मुझे दी गई है।
इस पर राज्यपाल ने पूरे घटनाक्रम को राज्य सरकार की असफलता बताया था। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने इस पूरे मामले पर कहा था कि राज्य सरकार हर मोर्चे पर असफल रही है और बंगाल पुलिस का अपराधीकरण हो गया है। राज्यपाल आनंद बोस ने कोलकाता कांड की जानकारी राष्ट्रपति को दी थी। राज्यपाल पहले भी कह चुके हैं कि बंगाल में लोकतंत्र नहीं है। ममता बनर्जी की सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बिल्कुल नहीं निभाई। उन्हें पद से इस्तीफा देना चाहिए। इसके साथ ही पुलिस कमिश्नर को भी तुरंत हटाया जाना चाहिए।।उनका कहना था कि ‘संविधान ने मुझे शक्तियां दी हैं. बंगाल के हित में काम करता रहूंगा. लोगों की आवाज नहीं सुनी गई है. ये राज्यपाल और मुख्यमंत्री की लड़ाई नहीं है. मैंने राज्य की मौजूदा स्थिति को लेकर बार-बार सीएम से बात की थी. मैं सरकार से जो भी रिपोर्ट मांगता था, नहीं दी जाती थी. अब तक 30 रिपोर्ट मांग चुका हूं लेकिन सिर्फ एक ही रिपोर्ट मुझे दी गई है। सी वी आनंद बोस एक राजनीतिज्ञ है. वह 1977-बैच के रिटायर्ड भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं. उन्हें 23 नवंबर 2022 को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया. वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं. आनंद बोस ने सरकार के सचिव के पद पर कार्य किया है. भारत के मुख्य सचिव और विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे हैं. वह संयुक्त राष्ट्र के साथ परामर्शदात्री स्थिति में पर्यावास गठबंधन के अध्यक्ष हैं और संयुक्त राष्ट्र पर्यावास शासी परिषद के सदस्य थे. बोस ने शिक्षा, वन और पर्यावरण, श्रम और सामान्य प्रशासन जैसे कई मंत्रालयों में जिला कलेक्टर और प्रमुख सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में काम किया है।सी वी आनंद बोस का जन्म 2 जनवरी 1951 को केरल के मन्नानम, कोट्टायम में हुआ.बोस ने अपनी शिक्षा कुरियाकोस एलियास कॉलेज, मन्नानम और सेंट बर्चमैन कॉलेज, चंगनास्सेरी से प्राप्त की है. उन्होंने पिलानी के बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस से पीएचडी भी की है और 1977 में आईएएस बनें. बोस लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी के फेलो हैं। बोस ने उपन्यास, लघु कथाएं, कविताएं और निबंध सहित अंग्रेजी, मलयालम और हिंदी में लगभग 32 पुस्तकें प्रकाशित की हैं. उन्हें कुछ पुरस्कार भी मिल चुके हैं जिसमें संयुक्त राष्ट्र वैश्विक, शहरी हरित प्रबंधन के लिए सिंगापुर सरकार पुरस्कार और जवाहरलाल नेहरू फैलोशिप शामिल है।