फर्जी पासपोर्ट पर भारत में रहा तिब्बतन गिरफ्तार
नेपाल के रास्ते आया भारत, चीन, नेपाल और श्रीलंका में साइबर जालसाजों को देता था बैंक खाते
नोएडा। फर्जी दस्तावेबज के जरिए भारीतय पासपोर्ट बनावकर साइबर फ्राड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है। इसकी पहचासन छीन्जों थरचिंन उर्फ चानजॉन हुई है। ये चंद्रा ठाकुर के नाम से पासपोर्ट बनाकर दिल्ली के सेक्टर-3 द्वारिका में रह रहा था। एसीएफ ने बताया कि ये अन्य दस्तावेजों से यहां बैंक खाते खुलवाकर साइबर जालसाजों को देता था। जिसमें ठगी की रकम भेजी जाती थी।
बिते कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट इत्यादि बनाने के संबंध में जानकारी मिल रही थी। जिसके संबंध में राजकुमार मिश्रा, अपर पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ नोएडा यूनिट ने बताया कि इन सूचनाओं को सत्यापित करने के लिए कथित चन्द्रा ठाकुर पुत्र रमेश ठाकुर निवासी 2 ई 4 फ्लोर, एलआईजी फ्लैट पैकेट बी सेक्टर-3 द्वारिका दिल्ली को पूछताछ के लिए एसटीएफ कार्यालय गौतमबुद्धनगर लाया गया।
वहां पर इससे विस्तृत पूछताछ की गयी। इसमें साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के साक्ष्य मिले। जिसके बाद चन्द्रा ठाकुर द्वारा तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके पासपोर्ट बनाने की बता बताई। इसे गिरफ्तार किया गया।
ऐसे हुई भारत में एंट्री
राजकुमार मिश्रा ने बताया कि जब यह 14 साल का था तब वह भागकर लासा तिब्बत आ गया। जहां से 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ दुकला नेपाल आया और लगभग 03 माह कांठमॉडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्धविहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद वीर बिलिंग हिमाचल प्रदेश के स्कूल में पढाई शुरू की और लगभग 03 साल पढाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था। उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंन्टों आदि में चार साल तक काम किया और फिर 2008 में मजनू का टीला दिल्ली में आकर रहने लगा।
फेसबुक पर महिला दोस्ती कर आया डार्जिलिंग
उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे न्यूरोड काठमाण्डू नेपाल से चायनीज इलेक्ट्रानिक सामान एवं अन्य चीजों को वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। इसे चायनीज भाषा का अच्छा ज्ञान हो गया। 2010-11 में फेसबुक पर महिला से दोस्ती के चलते गंगटोक सिक्किम आ गया और एक होटल पर कुक का काम करने लगा। यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में खाने का होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गयी और फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा दार्जिलिंग में रहते हुए फर्जी भारतीय नाम “चन्द्रा ठाकुर” के नाम का आधार कार्ड बनाया।
इसी पासपोर्ट पर गया विदेश
इसके बाद वोटर आईडी कार्ड आदि बनाकर चन्द्रा ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। उसके बाद छीन्जों थारचिंन ने चीन, मलेशिया, थाईलैण्ड, दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं किया।
चाइनीज को उपलब्ध कराए बैंक खाते
2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमाण्डू में “ली” नामक चायनीज से मुलाकात हुई थी और ली ने उसको नेट बैंकिंग सहित भारतीय बैंक के करंट एकाउन्ट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गैंमिग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिट ऐप में किया जाना था। छीन्जों थारचिंन ने अपने पूर्व परिचित जॉर्डन से अकाउंट की व्यवस्था करने को कहा।
इसके बाद छीन्जों और जॉर्डन मिलकर भारतीय बैंक अकाउंट इन्हें उपलब्ध कराने लगे। इसके बदले कैश पैसा लेने लगे। एक भारतीय बैंक एकाउंट, चायनीज को उपलब्ध कराया गया था। उस एकाउंट में लगभग साढे चार करोड रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीवी एन्क्लेंव थाने पर 09 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें छीन्जों थारर्चिन (तिब्बती) जेल गया था और लगभग 09 माह जेल में रहा था। जॉर्डन इस में सह अभियुक्त है।
कई देशों के लोगों को उपलब्ध कराए बैंक खाते
जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारिका के रहने वाले नन्दू उर्फ नरेन्द्र यादव से हुई। ये पहले से ही चायनीज के संपर्क में था। उनको पैसा लेकर इंडियन अकाउंट उपलब्ध कराता था। छीन्जों थारचिंन, नेपाल एवं श्रीलंका में बैठे चायनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे।
छीन्जों थारचिंन ने साल 2023 में चन्द्रा ठाकुर के नाम से बना पासपोर्ट खत्म होने पर वर्ष 2024 में दिल्ली के पते पर कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर पुनः पासपोर्ट प्राप्त कर लिया गया। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउन्ट प्रकाश में आये हैं जिनके सम्बन्ध में गहन छानबीन की जा रही है।