पथ संचलन में होगा कदमताल, अनुशासन का बेमिसाल
संघ प्रचार और प्रदर्शन के लिए कार्य नहीं, संघ का मूल काम व्यक्ति का निर्माण
अशोक झा, सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी महानगर की ओर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा रविवार (22 सितंबर) को पथ संचलन निकाला जाएगा। पथ संचलन पानीटंकी से निकलकर विधान रोड, हिलकार्ट रोड, सेवक रोड होते हुए फिर समाप्त होगी। स्वयं सेवक पूर्ण गणवेश में होंगे। इसमें दंड को शामिल नहीं किया जाएगा। पथ संचलन में सबसे आगे संघ का अपना बैंड होगा। अनुशासन, अपनी एकता के माध्यम से स्वयंसेवकों ने शारीरिक दक्षता व समाज में एकजुटता का संदेश देंगे। इसकी तैयारी जोर शोर से की जा रही है। इसमें बड़ी संख्या में स्वयंसेवक शामिल होंगे। पथ संचलन सुबह 7 बजे निकलेंगी। पथ संचलन के माध्यम से ‘एकता-अनुशासन-राष्ट्रभक्ति’ का परिचय दिया जाएगा। संघ सूत्रों के अनुसार संघ प्रचार और प्रदर्शन के लिए कार्य नहीं, संघ का मूल काम व्यक्ति का निर्माण करता है। भारत को हजार वर्षों के संघर्ष के बाद स्वाधीनता मिली है। इस स्वतंत्रता का उद्देश्य चिर-पुरातन राष्ट्र को पुन: वैभवशाली बनाना है। पूरे भारतवर्ष को एक समाज के रूप में प्रतिष्ठित करना संघ की सोच है। संघ इसी के लिए नित्य साधना कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक समाज, राष्ट्र और जन समूह को अपना इतिहास ठीक प्रकार से समझना चाहिए। जो समाज या राष्ट्र अपने इतिहास की गलतियों से सीख नहीं लेता, उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने कहा था की इतिहास की गलतियां दोबारा न हों, इसके लिए संघ की स्थापना की थी। संघ प्रचार और प्रदर्शन के लिए कार्य नहीं करता, संघ का मूल काम व्यक्ति निर्माण का है। संघ में प्रागण्य से लेकर रणागण्य तक सब प्रकार का संगीत उसकी भिन्न-भिन्न प्रकार की रचनाएं अलग अलग वाद्य यंत्रों को लेकर के निर्माण की है, उसकी अपनी एक प्रतिष्ठा आज सम्पूर्ण समाज और देश में है। देशभक्ति के संस्कारों वाला बालपन ही भारत का सुरक्षित एवं समर्थ भविष्य है। संस्कारों का केंद्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा है जो कदम से कदम मिलाने का अभ्यास कराते हुए मन से मन को मिलाने के भाव को उत्पन्न कर देती है। इसी भाव का प्रकटीकरण ही पथ संचलन है। शारीरिक शक्ति जब तक नहीं होगी बौद्धिक एवं मानसिक शक्ति जमीन पर कार्य रूप में परिणित नहीं हो सकती। संघ समरसता का भाव समाज जीवन में संगठित हिन्दुत्व को बढ़ाता है और राष्ट्र हमें एक सूत्र में बंधा हुआ दिखाई देता है। संघ अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने वाला है। समाज को साथ लेकर चलने का आग्रह सभी एक दूसरे से करना है। कई ऐसी घटनाएं उन संघर्षो से जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। यह समाज के सामान्य व्यक्ति को समझना होगा। आज युवाओं को मोबाइल पर समय बर्बाद करने के स्थान पर शारीरिक सौष्ठव बनाने पर ध्यान देने पर बल देना होगा। संघ के पंच प्रण के संकल्प को दोहराना होगा।सबकुछ संघ करेगा ऐसा नहीं है, कई ऐसी संस्थाएं जो देश के लिए कार्य कर रही है। हमें शताब्दी वर्ष में गुणवत्तापूर्ण कार्य के साथ सम्पूर्ण समाज को साथ लेकर चलना होगा।