आज महाराजा अग्रसेन के आइकॉन को उनके सिद्धांतों को मिलता है बल : प्रताप चंद्र अग्रवाल

उनके बताए मार्ग पर समाज को ले जाए शिखर की ऊंचाइयों पर

अशोक झा, सिलीगुड़ी: महाराजा अग्रसेन के वंशजों को आज अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल मंच की ओर से आइकॉन अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा है। यह मंच सम्मानित होने वाले आइकॉन को महाराजा अग्रसेन के बताए गए मूल सिद्धांत की याद दिलाते हुए उन्हें समाज को शिखर की सबसे ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प दिलाती है। यह कहना है आज के कार्यक्रम में कर्सियांग से आए मुख्य अतिथि प्रताप चंद्र अग्रवाल ने बताया की एक जमाना था जब सिलीगुड़ी से बाईपास होकर हमलोग कर्सियांग जाते थे। कहा जाता था यह मलेरिया का घर है। आज अग्रवाल समाज सिलीगुड़ी में महाराजा अग्रसेन के सपनों को पूरा किया है। दिल खोलकर दान दे रहे है। हम महाराज अग्रसेन के संबंध में इतना ही कहना चाहता हूं की उनकी बाते सूर्य को दीप दिखाने जैसा होगा। आइकॉन ऑफ अग्रवाल से अनिल अग्रवाल, अश्वनी अग्रवाल,अनिल रामपुरिया, अंकित अग्रवाल बंसल, अशोक अग्रवाल,अवंतिका अग्रवाल,बैजू अग्रवाल,मयूर स्कूल के चेयरमैन बिमल डालमिया, ठाकुरगंज के पूर्व चेयरमैन देवकी प्रसाद अग्रवाल, धीरज गोल्यांन, विनोद जालान, ठाकुरगंज के गोपाल अग्रवाल पूर्व विधायक, डॉक्टर समर्थ अग्रवाल, ईश्वर बंसल, हीरा लाल अग्रवाल, जगदीश प्रसाद भोवाल, कमल मित्तल, किशोर मरोडिया का सम्मान दिगंत मारोडिया ने लिया। लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड: किशनकुमार बापोदिया, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड लेते हुए महावीर चाचान ने कहा, इस समाज में पैसा और डरने वाले को सम्मान दिया जाता रहा है यह पहला सम्मानित किया है यह पुरानी परंपरा से अलग है। यह निर्णय पथ प्रदर्शक के रूप में आगे आएंगे। महावीर गोयल, हीरालाल अग्रवाल,मनोज बंसल, अभिषेक गाड़ोदिया, अमित गाड़ोदिया, प्रताप चंद्र अग्रवाल, पवन कुमार अग्रवाल तथा पंकज बंसल को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में कहा गया की महाराजा अग्रसेन के यह है वह सिद्धांत: अहिंसा करुणा, स्नेह, भावना का प्रसार: महाराजा अग्रसेनजी ने जीव दया के सिद्धान्त को अपनाते हुए यज्ञों में पशु – बलि को निषेध किया। पर्यावरण की शुद्धता पर बल : महाराजा अग्रसेनजी ने यज्ञों के माध्यम से मानव – मन की शुद्धि के साथ वातावरण की शुद्धि के लिए यज्ञ करवाए।सर्वजन सुखाय सर्वजन हिताय् : एक सब के लिए सब एक के लिए, अग्रसेनजी का समाजवाद जिसकी मिसाल आज अन्यत्र मिलना मुश्किल हैं।एक ईंट – एक रुपया की प्रथा डालना।सह – अस्तित्व एवं सहिष्णुता : महाराजा अग्रसेनजी के राज्य में सब को अपनी इच्छा – अनुसार धर्म पालन की पूर्ण स्वतंत्रता थी |ट्रष्टीशिप की भावना : महाराजा अग्रसेनजी के समय वंशानुगत शासन था किन्तु उन्होनें अपने राज्य को 18गणों में विभक्त कर तथा उसका एक निर्वाचित प्रतिनिधी शासन परिषद में लेकर लोक तंत्रात्मक गणराज्य की नींव डाली सरलता-सादगी-मितव्ययता : महाराजा अग्रसेन ने सदा, सरलता, सादगी, मितव्ययता पर बल दिया। आज भी उनके वंशज धनाड्य होते हुए भी सादगी से रहना पसन्द करते हैं। दूरदर्शी – शासक : क्या बात है कि हस्ती मिटती नहीं – हमारी, आज से 5000 वर्ष पूर्व महाभारत काल के बहुत से वंशों का आज कुछ भी पता नही है जब कि उन्ही के समकालीन महाराजा अग्रसेनजी के वंशज आज केवल अपना अस्तित्व ही नहीं बनाऐ हुए हैं बल्कि उन्नति के चर्म शिखर पर भी हैं |

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