14 अक्टूबर से देश भर में वैकल्पिक सेवाओं को बंद करने का आह्वान

आईएमए पहले ही 24 घंटे भूख हड़ताल की कर चुकी है घोषणा

– अनशन नौवें दिन भी जारी रहा और तीन डॉक्टरों को अस्पताल में कराया गया भर्ती
अशोक झा, सिलीगुड़ी: अखिल भारतीय चिकित्सा संघ ने पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों के समर्थन में 14 अक्टूबर (सोमवार) को देशभर में ‘वैकल्पिक सेवाओं को बंद’ करने का आह्वान किया है। संगठन कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार हुई युवा चिकित्सक के लिए न्याय की मांग कर रहा है।इससे पहले दिन में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने 15 अक्टूबर को 24 घंटे की देशव्यापी भूख हड़ताल की घोषणा की थी, जबकि कोलकाता में जूनियर डॉक्टरों का आमरण अनशन नौवें दिन भी जारी रहा और तीन डॉक्टरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के संगठन ने सभी राष्ट्रीय चिकित्सा संघों, राज्य रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) और विभिन्न राज्य मेडिकल कॉलेजों और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों (आईएनआईएस) के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) को संबोधित एक खुले पत्र में बंद का आह्वान किया। पत्र में कहा गया है कि 9 अगस्त से ‘एफएआईएमए’ हमारी सहकर्मी के लिए न्याय की मांग तथा पूरे देश में सभी स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण के मौलिक अधिकार की मांग में एकजुट है। इसमें कहा गया है कि पिछले दो महीनों में मंत्रियों और नौकरशाहों को अनगिनत पत्र लिखने के बाद भी, उन्हें ‘वही भयावह वास्तविकताओं’ का सामना करना पड़ रहा है, आवाजों को नजरअंदाज किया जा रहा है, सुरक्षा से समझौता किया जा रहा है और अपीलें खारिज की जा रही हैं। पत्र में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को लिखे गए उनके पिछले पत्र के बाद से कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई है। पत्र में उन्होंने अपनी मांगें पूरी न होने पर हड़ताल को बढ़ाने का अल्टीमेटम दिया था। यह हमें देशभर के सभी आरडीए और मेडिकल एसोसिएशनों से अनुरोध करने के लिए मजबूर कर रहा है कि वे 14 अक्टूबर से देश भर में वैकल्पिक सेवाओं को बंद करने के हमारे आह्वान में हमारे साथ शामिल हों। इसमें आगे कहा गया है, “हमें किनारे कर दिया गया है, हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है, सिवाय इसके कि हम कोई कदम उठाएं, न केवल अपने लिए, बल्कि चिकित्सा पेशे की पवित्रता और सभी स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए भी। हम हिंसा या उपेक्षा के कारण एक और सहकर्मी को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते। सरकार की उदासीनता ने हमारे पास कोई और विकल्प नहीं छोड़ा है।”हालांकि, पत्र में सभी आरडीए और एसोसिएशनों से अनुरोध किया गया है कि वे आपातकालीन सुविधाएं 24×7 खुली रखें, क्योंकि जिन मरीजों को हमारी तत्काल सेवा की आवश्यकता है, उन्हें परेशानी नहीं होनी चाहिए,
कनिष्ठ चिकित्सक करीब दो महीने पहले कोलकाता के सरकारी आर. जी.कर चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल में महिला प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या के मामले में न्याय सहित अन्य मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। कोलकाता और सिलीगुड़ी में आमरण अनशन कर रहे तीन कनिष्ठ चिकित्सकों को तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। चिकित्सकों का अनशन नौवें दिन में प्रवेश कर गया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों का पूरा समर्थन करने का वादा करते हुए आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार 16 सितंबर को चिकित्सा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति में हुई बैठक के दौरान बनी सहमति से पीछे हट रही है। मजूमदार ने बयान में कहा, ”भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कनिष्ठ चिकित्सकों को अपना पूरा समर्थन देती है।आर. जी. कर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ हुए जघन्य दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या के बाद प्रदर्शनकारी चिकित्सकों की मांगें जायज हैं और उन्हें पूरा किया जाना चाहिए।”भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार चिकित्सकों की मांगों को पूरा करने के अपने वादे से पीछे हट रही है। उन्होंने कहा कि सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में चिकित्सकों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और राज्य के लोगों से इस आंदोलन का हिस्सा बनने का आग्रह किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”हमें अपने चिकित्सकों की रक्षा करनी है और पश्चिम बंगाल को उन नकारात्मक ताकतों से बचाना है जो इस समय राज्य के मामलों को नियंत्रित कर रही हैं।”मजूमदार और पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी सहित कई भाजपा नेताओं ने पहले भी कनिष्ठ चिकित्सकों के आंदोलन को समर्थन दिया था, लेकिन इसमें सीधे तौर पर भाग नहीं लिया था क्योंकि चिकित्सकों और नागरिक समाज के अन्य प्रदर्शनकारी सदस्यों ने बार-बार अपने आंदोलन को गैर-राजनीतिक बनाने का आह्वान किया था।

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