सिलीगुड़ी में इस वर्ष प्रमोद नगर छठपूजा घाट पर होगी विशेष व्यवस्था

कमेटी बनाकर शुरू हो गई तैयारी, इस वर्ष अनोखे रूप में होगी सजावट

अशोक झा, सिलीगुड़ी: बिहार से कही ज्यादा सिलीगुड़ी समेत पूरे बंगाल में छठ पूजा मनाने का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। इस साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि 7 नवंबर को सुबह 12 .41 मिनट से आरंभ हो रही है, 8 नवंबर को सुबह 12 .35 मिनट समाप्त हो रही है। उदया तिथि के आधार पर छठ पूजा 7 नवंबर को है। इस दिन शाम के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।छठ पूजा का पहला दिन: नहाय खाय- 5 नवंबर 2024, मंगलवार, छठ पूजा का दूसरा दिन: खरना- 6 नवंबर 2024, बुधवार ,छठ पूजा का तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य- 7 नवंबर , गुरुवार ,छठ पूजा का चौथा दिन: उषा अर्घ्य- 8 नवंबर, शुक्रवार । यही कारण है की प्रमोद नगर छठ पूजा कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक हाल ही में संपन्न हुई, जिसमें नई कार्यकारिणी का गठन और घाट की स्वच्छता तथा सुरक्षा से संबंधित निर्णय लिए गए।प्रमोद नगर छठ पूजा कमेटी की बैठक में 2024 कि नई कमेटी का गठन किया गया, जिसमें सचिव एवं कोषाध्यक्ष के रूप में बुलेट सिंह, सह सचिव गोविंदा पासवान, अध्यक्ष प्रदीप राय, उपाक्षयक्ष सुमित सिंह और कौशिक देबनाथ को चुना गया। बैठक में घाट की साफ-सफाई, स्वच्छता बनाए रखने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया गया। महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बैठने की सुविधाएं और पीने के पानी की व्यवस्था भी की जाएगी। इसके साथ ही, आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना के संदर्भ में, तिलोत्तमा के कातिल के लिए कठोर सजा का मांग करने और इस घटना के घोर प्रतिवाद करने का भी निर्णय लिया गया। कब से है छठ: सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा पांच नवंबर से मनाया जायेगा। चार दिवसीय छठ पूजा की शुरुआत पांच नवंबर को नहाय खाय के साथ होगी। महानंदा घाट में छठ महापर्व बड़े ही धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाएगा।छठ पूजा हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। इसे लोकआस्था का महापर्व कहा जाता है।छठ पर्व मनाए जाने की शुरुआत यानि इसके इतिहास की बात करें तो पौराणिक कथाओं के अनुसार छठ महापर्व छठ की शुरुआत सतयुग और द्वापर युग से जुड़ा है। कहा जाता है कि माता सीता और भगवान श्रीराम ने भी छठ व्रत रखकर सूर्य देव की अराधना की थी. वहीं द्वापर में कर्ण और पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी सूर्य उपासना की थी। बता दें कि छठ पर्व में सूर्य देव और छठी मैया (देवी षष्ठी) की उपासना की जाती है. साथ ही यह पर्व प्रकृति, उषा, वायु, जल आदि से भी जुड़ा होता है। छठ व्रत की पौराणिक कथा राजा प्रियवंद से जुड़ी है, जिसने पुत्र के प्राण रक्षा के लिए छठ व्रत रखर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की थी

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