कनाडा,अमेरिका के साथ अन्य विदेशी नागरिकों के साथ ठगी करने वाले 43 हुए नोएडा में गिरफ्तार

एक हजार लोगों के साथ कर चुके हैं ठगी

 

 

नोएडा

अमेरिका और कनाडा के नागरिकों के कंप्यूटर सिस्टम में छेड़छाड़ करके उनके बैंक खातों की जानकारी प्राप्त कर लाखों रुपये की ठगी करने वाले दो कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर सेंट्रल नोएडा पुलिस टीम ने 43 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। ठगी का कॉल सेंटर सेक्टर-63 और फेज तीन थानाक्षेत्र में संचालित हो रहा था। आरोपियों के कब्जे से भारी संख्या में लैपटॉप, राउटर, मोबाइल, हेडफोन, फेडरल रिजर्व सिस्टम का फर्जी दस्तावेज और इंटरनेट मीडिया कन्वर्टर समेत अन्य सामान बरामद हुआ है।

डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि फर्जी कॉल सेंटर का जानकारी मिलने के बाद। इसके बाद कॉल सेंटर का पर्दाफाश करने के कई टीमें बनाई गईं। बुधवार को पुलिस ने अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर दो कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया। सेक्टर-63 थाने की पुलिस पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वह विदेशी नागरिकों के सिस्टम के साथ छेड़छाड़ कर पॉपअप मैसेज भेजकर उनके बैंक खातों की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। आरोपी विदेशी नागरिकों के कंप्यूटर सिस्टम/लैपटॉप में बग भेजते है। इससे उनका सिस्टम सही तरीके से काम नहीं करता है। फिर ठग की ओर से विदेशी नागरिकों को पॉपअप मैसेज भेजा जाता है। विदेशी नागरिक मैसेज के लिंक से आरोपियों के पास कॉल करते हैं ताकि उनके सिस्टम में जो समस्या आई है उसे दूर किया जा सके। इसके बाद आरोपी आईवीआर कॉलिंग के जरिए विदेशी नागरिकों के साथ जुड़ जाते हैं। आरोपियों के पास जो कंप्यूटर है सभी में एक्सलाइट और वीसीडॉयल सॉफ्टवेयर होता है। इसी के माध्यम से विदेशी नागरिकों के सिस्टम का एक्सेस हासिल किया जाता है और नियंत्रण किया जाता है। बैंक और खाते संबंधी जानकारी प्राप्त करने के बाद आरोपी विदेशी ग्राहकों के पास फेडरल रिजर्व सिस्टम के नाम का फर्जी दस्तावेज भेजते हैं। विश्वास में लेने के बाद पैसे के लिए बारकोड भेजकर आरोपी रकम को बिट क्वाइन और क्रिप्टो करेंसी में ट्रांसफर करा लेते हैं। असुविधा को दूर करने के लिए सारी रकम गिफ्ट कार्ड और क्रिप्टो के जरिये ली जाती है। इस दौरान अगर कॉल बीच में कट जाती है तो आरोपी मोबाइल पर इंस्टाल की गई टेक्स्ट नाओ एप व लाईन टू के माध्यम से वापस कॉल करते है व काम होने के बाद उस एप का डाटा डिलीट हो जाता है।

————

मुख्य सरगना देता था विदेशी नागरिकों का डाटा

आरोपियों ने आगे बताया गया कि उनके कंप्यूटर में मौजूद आईवीम साफ्टवेयर तथा एक्सलाईट डॉयलर के जरिये कॉल प्राप्त की जाती है। विदेशी नागरिकों की कॉल हमेशा कॉल सेंटर के मालिक द्वारा लैंड कराई जाती है। इसके बाद अमेरिकी नागरिकों को सोशल सिक्योरिटी नंबर से संबंधित आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने का डर दिखाया जाता है। जेल जाने की धमकी दी जाती है। डर दिखाकर ही विदेशी नागरिकों से क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड के जरिये रकम हासिल होती है। सभी कंप्यूटर को कॉल सेंटर का मालिक सागर शर्मा एनीडेस्क ऐप के जरिये नियंत्रित करता है। सरगना सागर ही रोजाना कर्मचारी को वीआईसीआई डॉयल सॉफ्टवेयर की आईपी भेजता है। इसके बाद सभी कंप्यूटरों में आईपी एड्रेस डालकर उसे लॉगइन किया जाता है। हवाला के जरिये रकम सरगना तक पहुंचती है। आरोपी नाम बदलकर मोबाइल और लैपटॉप से आईवीआर कोड द्वारा बातचीत करते हैं।

————–

साइबर एक्सपर्ट बताकर लेते थे झांसे में

वहीं फेज तीन पुलिस ने जिस कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है वहां के कर्मचारी अमेरिका और कनाडा के लोगों को कॉल करते थे और खुद को माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाइड साइबर एक्सपर्ट बताते थे। आरोपी कॉल सेंटर चलाकर तीन इमेल आईडी से विदेशी नागरिकों को मेल भेजते थे। फर्जी यूएस मार्शल और आईडी भी विदेशी नागरिकों को भेजी जाती थी ताकि उन्हें डराकर गिफ्ट कार्ड और क्रिप्टो करेंसी के जरिये रकम मंगाई जा सके। ठगी का दोनों कॉल सेंटर बीते एक साल से अलग-अलग जगहों पर चल रहा था। आरोपियों से पूछताछ के दौरान कई अन्य आरोपियों के नाम भी सामने आए हैं। सभी के खिलाफ आईटी ऐक्ट समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है।

—————

ये लोग हुए अरेस्ट

आरोपियों की पहचान नीलम, नीलम कुमारी, सोनाली, वरुण, कार्तिक, हर्ष, वोययनू ,सावेनी ,केहिच ग्रेसन, बेल खुदाय, उथोंग होयजलहिंग , रमन कुमार,आजम सैयद,तंगजैंग,अरुण राय,कुजोनेजो वैरो,गंवूहम सैम्प,खुपलू, साहिल, मोहित, निखिल, पार्थ, कैलाश रावत, प्रज्ववल, सुमित मिश्रा, चेतन भारद्वाज,गौरव, नीरज, शुभम, उमेश, सर्जल, उज्जवल, सागर, आर्दश, युनुस, अनुराग निषाद, युनाफ अहमद, शिवम, प्रीति, निशा वर्मा, काजल और नाहिद कमाल के रूप में हुई है। आरोपी दिल्ली, फरीदाबाद, प्रयागराज, मणिपुर, नागालैंड,असम, सिक्किम और मेघालय के रहने वाले हैं। कॉल सेंटर के सरगना ने उन्हीं युवक और युवतियों को भर्ती किया था जिनकी अंग्रेजी अच्छी हो ताकि विदेशी नागरिक को यह न लगे कि कोई भारतीय उनसे ठगी के लिए कॉल कर रहा है।

——————

ऐसे करते थे ठगी

गिरफ्तार आरोपियों का एक संगठित गिरोह है जिसका मास्टर माइंड सागर शर्मा है। सागर ही दोनों फर्जी कॉल सेंटर चला रहा था। सागर ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अलग अलग फर्जी कंपनी कागजों में बनाई है। इन फर्जी कंपनियों की आड़ में इन आरोपियों ने सेक्टर-63 व 64 में फर्जी कॉल सेंटर खोल रखा था। यहां से विदेशी नागरिकों खासकर अमेरिकी से संपर्क किया जाता था और उनके कंप्यूटर व लैपटॉप पर लिंक डालकर टेक्रिकल सपोर्ट का झांसा दिया जाता था। टेक्रिकल सपोर्ट के नाम पर ये लोग अलग अलग सॉफ्टवेयर के माध्यम से उनके लैपटॉप कंप्यूटर को हैक कर लेते थे और विदेशी नागरिकों के ऑनलाइन खाते या क्रेडिट कार्ड का डिटेल लेकर पैसे का ट्रांजैक्शन किराए पर लिए गए विदेशी अकाउंट में कर लेते थे।

————

गिफ्ट कार्ड और किप्टो करेंसी के में आती है रकम

पुलिस की जांच में पता चला कि तकनीकी सहायता के नाम पर विदेशी नागरिकों से आरोपी डॉलर, गिफ्ट कूपन और क्रिप्टो करेंसी मंगवाते थे। इनके पास हवाला के माध्यम से भारतीय मुद्रा में कैश आता है। दरअसल इन आरोपियों ने कई विदेशी अकाउंट किराए पर ले रखा है। इन किराए के अकाउंट में डॉलर में पैसे ट्रांजैक्शन किए जाते हैं। फिर किराए के अकाउंट वाले अपना कमीशन काटकर भारत में हवाला के माध्यम से ऑनलाइन भेजते हैं। पुलिस की टीम पूरे नेटवर्क के बारे में पता लगा रही है।

——–

वीओआईपी से पीड़ितों से होती थी बात

ये जालसाज वीओआईपी कॉलिंग का इस्तेमाल करते थे। इसके अलावा कई सॉफ्टवेयर एक्सलाइट आई बीम आदि का भी इस्तेमाल करते थे। वीओआईपी का मतलब वॉयर ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल होता है। यह व्हाट्ïस एप कॉलिंग जैसे काम करता है यानि इसकी रिकॉर्डिंग आदि नहींं होती है। यह इंटरनेट कॉलिंग है। इसमें कहां से किसे फोन किया जा रहा है। पता नहीं लगता है। ये जालसाज विदेशी नागरिकों से ठगी करने में वीओआईपी कॉलिंग का इस्तेमाल करते थे।

Back to top button