उत्तर बंगाल के चार जिले में गुटका पान मसाला में प्रतिदिन 7 करोड़ की राजस्व लूट
फर्जी कंपनी और एक्सपोर्ट के नाम पर होती है प्रतिदिन 25 ट्रकों की खपत
उत्तर बंगाल के चार जिले में गुटका पान मसाला में प्रतिदिन 7 करोड़ की राजस्व लूट
– फर्जी कंपनी और एक्सपोर्ट के नाम पर होती है प्रतिदिन 25 ट्रकों की खपत
– इस धंधे में सिलीगुड़ी में जुटा है संगठित गिरोह, कस्टम, जीएसटी और डीआरआई की चांदी
– प्रति माह 200 करोड़ और साल में 3000 करोड़ को हो रही चोरी
अशोक झा, सिलीगुड़ी: कभी टी टिंबर और टूरिस्ट के लिए मशहूर
सिलीगुड़ी में इन दिनों राजस्व लूट के लिए मशहूर हो गया है। डीलरों, ट्रांसपोर्टरों और बिचौलियों के व्यावसायिक और आवासीय परिसरों के साथ-साथ विनिर्माण इकाई और गोदामों के माध्यम से उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग, कुचविहार, अलीपुरद्वार, जलपाइगुड़ी में संगठित होकर राजस्व की प्रतिदिन 7 करोड़ रुपए की लूट हो रही है। इस संगठित लुट को जीएसटी, डीआरआई, कस्टम समेत अन्य विभाग की खुलेआम समर्थन मिल रहा है। उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी, नक्सलबाड़ी, माटीगाड़ा, विधाननगर, इस्लामपुर, वीरपाडा, बानरहाट, जलपाईगुड़ी, मयनागुड़ी, अलीपुरद्वार, जयगांव, कुचबिहार, फ़ालकाता आदि क्षेत्रों में शिखर, विमल, राजनिवास, कमला पसंद , सिग्नेचर, बाहुवली समेत अन्य प्रकार के पान गुटका मसाला फर्जी कंपनी के नाम पर प्रतिदिन 25 से 30 ट्रक पहुंच रहे है। प्रत्येक ट्रक में 200 बैग गुटका, जर्दा और पान मसाला लदे होते है। इसकी कीमत प्रति ट्रक 25 लाख होती है। एक ट्रक में टैक्स 25 से 30 लाख होता है। इसे फर्जी कंपनी और पड़ोसी राष्ट्र भूटान में आयात के नाम पर बंगाल में ही खपाया जाता है।
कहा से और कैसे पहुंचता है गुटका पान मसाला: गुटका पान मसाला और जर्दा से लदे ट्रकों को दिल्ली कानपुर से बिहार के मुजफ्फरपुर, दरभंगा,अररिया, बहादुरगंज, ठाकुरगंज होते हुए खोरीबारी घोषपुकुर होते हुए उत्तर बंगाल में प्रवेश कराया जाता है। ये सभी ट्रक फर्जी कंपनी या एक्सपोर्ट के नाम पर पहुंचाता है।
कौन कर रहा इसका संचालन : सिलीगुड़ी में इस पूरे नेटवर्क को
पवन, अंकित उर्फ बिट्टू, रमेश, चौरसिया अपने अन्य सहयोगियों द्वारा संचालित करते है। यह गिरोह इसके लिए प्रत्येक ट्रकों से 2लाख 40 हजार की वसूली करता है। इसके बाद राज्य जीएसटी को प्रति माह एक करोड़, कस्टम को एक करोड़, केंद्रीय जीएसटी को डेढ़ करोड़ और संरक्षण दाताओं को मोदी रकम मासिक भुगतान करता है। पान मसाला, हुक्का, चिलम, चबाने वाले तंबाकू जैसे सामान पर 38 प्रतिशत विशेष कर का प्रस्ताव किया है, जो इन वस्तुओं के रिटेल सेल प्राइस का 12 प्रतिशत से 69 प्रतिशत हो सकता है। 5 रुपये के पान मसाला के पैकेट पर 1.46 रुपये मैन्युफैक्चर की ओर से पेमेंट किया जाता है, 0.88 रुपये टैक्स डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेलर द्वारा दिया जाता है, तो कुल टैक्स 2.34 रुपये होगा. वहीं पेश किए गए प्रस्ताव के अनुसार टैक्स बढ़ जाएगा, लेकिन 2.34 रुपये के अंदर ही होगा।जीएसटी ढांचे में ऐल्कॉहॉल (शराब) और तंबाकू जैसी नुकसानदेह चीजें बनाने वाले उद्योग को सिन टैक्स (अनिष्ट कर) के रूप में अतिरिक्त कर का भुगतान करना होता है। तंबाकू, जर्दा जैसे उत्पादों पर एमआरपी के आधार पर 70 से 80 फीसदी तक ड्यूटी लगाई जाती है। इससे बचने के लिए तंबाकू उत्पादों बनाने वाली कई कंपनियों में बड़े स्तर पर जीएसटी चोरी डीलरों, ट्रांसपोर्टरों और बिचौलियों के व्यावसायिक और आवासीय परिसरों के साथ-साथ विनिर्माण इकाई और गोदामों के माध्यम से हो रहा है। बंगाल को छोड़ दूसरे राज्यों में सभी ‘कच्चे-पक्के’ रिकॉर्ड सत्यापित किए गए और बेहिसाब नकदी बरामद की गई। “आरोपियों के प्रयासों से लगभग ₹480 करोड़ की भारी शुल्क चोरी का पता भी चला है। लेकिन उत्तर बंगाल में भ्रष्टाचार की लंका में कब और कौन हनुमान रूपी अधिकारी आग लगाएगा इसका सबको इंतजार है।