बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले और संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ सिलीगुड़ी में सड़क पर उतरे हिंदू संगठन

कहा, इस्लामी कट्टरपंथ के कारण हो रहे हिंसा, सरकार का मिल रहा पूरा समर्थन

 

अशोक झा, सिलीगुड़ी:
संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद विवाद और भी बढ़ गया है। गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हिंदू समुदाय पर हमला किया गया है। इतना ही नहीं, अब बांग्लादेश में हिंदुओं और इस्कॉन के खिलाफ खुलेआम नारे लगाए जा रहे हैं। हिंदुओं को कत्ल करने की धमकी दी जा रही है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आ रहे हैं। इसमें सड़कों पर रैलियां निकालकर हिंदुओं को कत्ल करने की धमकी दी जा रही है। इसी कड़ी में इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने ऐसे ही वीडियो शेयर किए। इन वीडियो के सामने आने के बाद भारत के लोगों में गुस्सा है। सिलीगुड़ी में हिंदू जागरण मंच उत्तर बंगाल की ओर से इस गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हैं और उसका विरोध करने बड़ी संख्या में लोग सड़क पर उतरे। कहा कि तुरंत उनकी बिना शर्त रिहाई की मांग किया जा रहा है। हिंदू जागरण मंच बाघाजतिन पार्क से एसडीओ कार्यालय तक विरोध रैली लेकर जायेगी। यहां एसडीओ के माध्यम से राष्ट्रपति को पत्र भेजेंगे।सजन महाराज, हरिनाम गौरदास,धर्मान्तमनंद जी दिनेश जी महाराज, हिन्दू जागरण मंच के अशोक बनर्जी, विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश सचिव लक्ष्मण बंसल ,विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता सुशील रामपुरिया, विभाग सचिव राकेश अग्रवाल ने कहा कि आज हम सभी हिन्दू जागरण मंच के बैनर तले सिलीगुड़ी की सड़कों पर निकलने पर मजबूर हुए है। बांग्लादेश में हिन्दुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) कोलकाता ने बांग्लादेश में पुजारियों और हिंदू वैष्णव धार्मिक संस्था के अन्य सदस्यों पर लगातार हो रहे हमलों के बारे में केंद्र को अवगत कराया है। आश्चर्य की बात नहीं है कि जिहादी पार्टी ‘जमात-ए-इस्लामी’ पर से प्रतिबन्ध हटाने वाली बांग्लादेश की अन्तरिम सरकार ने इस्कॉन को ‘कट्टरपंथी संगठन’ कहा। वर्तमान समय में चूंकि बांग्लादेश में जिहादी मानसिकता के लोग सत्ता में हैं, इसलिए वहां हिन्दू संगठनों की यह स्थिति होना लाजमी है। इतना ही नहीं, यह भी उतना ही सच है कि हिन्दू समाप्त हो जायेंगे। अब दुनिया भर के हिन्दू ‘एक हैं तो सुरक्षित हैं’ के लिए क्या करने जा रहे हैं , यही देखना होगा। यदि भारत की जगह इजराइल और हिन्दुओं की जगह यहूदी होते तो गाजा पट्टी की तरह बांग्लादेश के कट्टरपंथियों का भी सफाया हो गया होता, यह भी उतना ही सच है। सीखें इजराइल के यहूदियों से कि धार्मिक लोगों की रक्षा कैसे करें ।बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। देश में आएदिन हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार की खबरें सामने आ रही हैं। ताजा मामला किशोरगंज जिले के भैराब शहर की है, जहां पर एक हिंदू परिवार के चार सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी गयी है।मरने वालों में दो बच्चे और एक गर्भवती महिला भी शामिल है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भैराब शहर के एक अपार्टमेंट में एक हिंदू परिवार के चार लोग मृत पाए गए। मरने वालों की पहचान 32 वर्षीय जॉनी बिस्वास, उनकी गर्भवती पत्नी और उनके दो बच्चों के रूप में हुई है। स्थानीय पुलिस ने बुधवार को हत्या (Murder) का मामला दर्ज किया। हालांकि, पुलिस प्रशासन इस सामूहिक हत्याकांड को आत्महत्या साबित करने में जुटा है। पुलिस का दावा है कि जॉनी ने अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या करने के बाद आत्महत्या कर ली। इस मामले में जांच की जा रही है। इस घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव का माहौल है। गौरतलब है कि पूर्व पीएम शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद उनकी पार्टी के समर्थकों और हिंदू अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। लोगों को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस अभी तक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह असफल नजर आ रहे हैं। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी सहित चरमपंथी समूह सक्रिय होने की बात कही जा रही है।
बांग्लादेश में 1971 की तरह हिंदुओं का नरसंहार?: चटगांव शहर के हिंदू इस वक्त 25 मार्च 1971 की रात को पाकिस्तानी कब्जा करने वाली सेना और उनके स्थानीय सहयोगियों की तरफ से किए गए अत्याचारों की याद दिलाने वाली असहनीय पीड़ा झेल रहे हैं। और अगर सरकार तत्काल कदम नहीं उठाती है, तो फिर से नरसंहार हो सकता है, खासकर हिंदू महिलाएं निशाने पर हैं।लेकिन, अमेरिका के ‘गुलाम’ और नोबल अवार्ड से सम्मानित ‘क्रांतिकारी’ मोहम्मद यूनुस को इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता है। क्लिंटन फाउंडेशन के जाने-माने दानकर्ता यूनुस को कथित तौर पर जो बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख नेताओं से मजबूत समर्थन मिला हुआ है। विकीलीक्स से लीक हुए एक राजनयिक केबल के मुताबिक, हिलेरी क्लिंटन ने 2007 में बांग्लादेश की सेना पर यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने के लिए दबाव डाला था।।अगस्त 2024 से, बांग्लादेश में हिंदुओं को अपने घरों, व्यवसायों और मंदिरों पर लगातार हमलों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय मीडिया को इन घटनाओं को कवर करने से रोक दिया गया है, और कुछ भारतीय को छोड़कर ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स ने इन भयावह घटनाओं पर रिपोर्टिंग करने से परहेज किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में रहने वाले ‘फंसे हुए पाकिस्तानी’, जिन्हें वहां बिहारी कहा जाता है, वो सबसे ज्यादा हिंदुओं के खिलाफ हो रहे हमले में शामिल हैं। लेकिन, इन अपराधों की गंभीरता के बावजूद, एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे मानवाधिकार समूह चुप्पी की चादर ओढ़कर सो रहे हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह मोहम्मद यूनुस के माथे पर जो बाइडेन का हाथ है। हिंदुओं के साथ होने वाली हिंसा के बीच 26 सितंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक बैठक के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के दौरान, मुहम्मद यूनुस को क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव ने सम्मानित किया था। इस कार्यक्रम में, बिल क्लिंटन ने प्रतिबंधित इस्लामी समूह हिज़्ब उत-तहरीर के नेता महफ़ूज आलम की तारीफ की थी, जो खिलाफत की स्थापना की वकालत करता है। यूनुस के शासन में बिल से सांपों की तरह निकले इस्लामिस्ट: अक्टूबर में, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने आधिकारिक तौर पर अवामी लीग की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र लीग (BCL) पर प्रतिबंध लगा दिया और इसे “आतंकवादी संगठन” करार दिया है। रिपोर्ट्स बताती हैं, कि सरकार अवामी लीग को पूरी तरह से राजनीतिक भागीदारी से प्रतिबंधित करने पर भी विचार कर रही है।इससे बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य पर इस्लामी ताकतों का दबदबा हो जाएगा, जिसमें हिंदुओं और ईसाइयों जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों का बहुत कम या कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा।यूनुस की सरकार ने अल-कायदा से जुड़े अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के नेता जशीमुद्दीन रहमानी सहित दोषी ठहराए गए आतंकवादियों को भी रिहा कर दिया है, जिन्हें 2013 में एक धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर की हत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया गया था।क्या बांग्लादेशी हिंदुओं को बचा पाएगा भारत?: चिन्मय कृष्ण महाराज की गिरफ्तारी के बाद, इस्कॉन मंदिर के अधिकारियों ने भारत सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील की है और कहा है, कि इस्कॉन का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है। अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर, संगठन ने महाराज के खिलाफ आरोपों को निराधार बताया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने 26 नवंबर को एक बयान जारी किया, जिसमें महाराज की गिरफ़्तारी और ज़मानत से इनकार करने के साथ-साथ बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। मंत्रालय ने बांग्लादेशी सरकार से सभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा करने का आग्रह किया। लिहाजा, बिगड़ती स्थिति बांग्लादेश-भारत संबंधों को और भी ज्यादा तनावपूर्ण बना सकती है, खासकर ट्रंप प्रशासन की संभावना के साथ, क्योंकि मुहम्मद यूनुस डोनाल्ड ट्रंप के मुखर आलोचक माने जाते हैं। चल रहे अत्याचारों ने पहले ही भारत में हिंदुओं और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है, जिससे संभावित रूप से व्यापक भू-राजनीतिक नतीजे सामने आ सकते हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर चल रहा अत्याचार देश में शासन और धार्मिक सहिष्णुता के गहरे संकट को उजागर करता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस स्थिति की गंभीरता को पहचानना चाहिए और अल्पसंख्यक समुदायों को और ज्यादा नुकसान से बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

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