आपकी आस्था का नेतृत्व AI कर सकता है पर क्षमा करें मेरी आस्था का नेतृत्व बाल्मिकी रामायण और तुलसी मानस कर रहा है

आपकी आस्था का नेतृत्व AI कर सकता है पर क्षमा करें मेरी आस्था का नेतृत्व बाल्मिकी रामायण और तुलसी मानस कर रहा है। 🙏
🚩 यह बात एतिहासिक दृष्टि से लिखी जा रही है क्योकि AI का कहना है कि उन्होने यह चित्र का निर्माण शास्त्रो मे वर्णित ऐतिहासिक तथ्यो पर किया है 🚩🚩

*रामं दूर्वादल श्यामं पद्माक्षं पीत वाससम।*
भावार्थ: भगवान राम दूर्वा दल के जैसे श्यामल रंग के हैं।
नीलांबुज श्यामल कोमालंगम।

भावार्थ: प्रभु नीलकमल की श्यामल आभा लिए कोमल अंगों वाले हैं।
*गोस्वामी जी बालकांड में कहते हैं;*
*काम कोटि छबि स्याम सरीरा।*
*नील कंज बारिद गंभीरा॥*
*अरुन चरन पंकज नख जोती।*
*कमल दलन्हि बैठे जनु मोती॥*
उनके नीलकमल और गंभीर (जल से भरे हुए) मेघ के समान श्याम शरीर में करोड़ों कामदेवों की शोभा है। लाल-लाल चरण कमलों के नखों की ज्योति ऐसी मालूम होती है जैसे लाल कमल के पत्तों पर मोती स्थिर हो गए हों । *कृपया धर्म को विदेशी कुचक्र का अंग न बनाएं। सनातन संस्कृति के रक्षक बनें भक्षक नहीं। भगवान राम श्यामल स्वरूप हैं। उनका उसी रूप में ध्यान होता है। अब प्रभु राम को गौरांग स्वीकारेंगे तो हमारी अगली पीढियां वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास जी को ही झूठा साबित करने लगेंगी।*
कल को इसी गौर वर्ण एवं भूरी आंखों के दम पर भगवान राम को हिंदू धर्म विरोधियों के द्वारा विदेशी सिद्ध किया जाने लगेगा।

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