स्वामी विवेकानंद जयंती: युवा नेतृत्व के माध्यम से ही देश के सभी चुनौतियां का होगा समाधान
शहर में जगह जगह मनाई जा रही है जन्मजयंती, युवाओं में उत्साह
अशोक झा, सिलीगुड़ी: स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को 163वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है। स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और मानवता के प्रतीक थे। उनका जीवन और उनके विचार पूरी दुनिया में प्रेरणा का स्रोत बन गए।देश के समक्ष जो चुनौतियां हैं उनका समाधान युवा नेतृत्व के माध्यम से ही संभव है। भारत को एक बार फिर विश्व गुरु बनाने की कमान देश का युवा नेतृत्व ही संभाल सकता है। स्वामी विवेकानंद ने शिकागो के सम्मेलन में पूरे विश्व से भारतीय ज्ञान का लोहा मनवाया था और अब युवा नेतृत्व ही इस ज्ञान के प्रवाहक बन सकते हैं। यह विचार युवाओं ने अभ्यास मंडल के द्वारा युवा दिवस के उपलक्ष्य में युवा नेतृत्व विषय पर आयोजित परिचर्चा में व्यक्त किया जाता है। देशभर में स्कूल, विद्यालयों, कॉलेज सहित विभिन्न संस्थानों में इस दिन कई कार्यक्रम, भाषण प्रतियोगिता आदि को आयोजित किया जाता है। इतना ही नहीं इसके अलावा ही इस दिन शहरों में रैलियां आदि का भी आयोजन किया जाता है ताकी अधिक से अधिक विवेकानंद के विचारों को युवाओं तक आसानी से भेजा सा सके।क्या होगी इस साल की थीम और विषय: खबरों का कहना है कि इस साल राष्ट्रीय युवा दिवस का सब्जेक्ट “राष्ट्र निर्माण के लिए युवा सशक्तिकरण” है। इसके अलावा ही इस साल इसकी थीम “युवा एक स्थायी भविष्य के लिए: लचीलेपन और जिम्मेदारी के साथ राष्ट्र को आकार देना” बताया जा रहा है।राष्ट्रीय युवा दिवस क्यों है अहम्: खबरों का कहना है कि इस दिन को मानाने के लिए का मुख्य उद्देश्य स्वामी विवेकानंद की विचारों, मूल्यों और आदर्शों को बढ़ावा दिया जा रहा है और उनको विचारों को देश के हर युवा तक पहुंचाना है इससे वे देश की प्रगति में अपना योगदान भी सकेंगे। इतना ही नहीं इस दिन को इंडिया गवर्नमेंट की तरफ से वर्ष 1984 में मान्यता प्रदान की गई थी। इसके पश्चात प्रतिवर्ष स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।जानिए इतिहास, स्वामी विवेकानंद के बारें में खास बातें: खबरों की माने तो स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में 12 जनवरी 1863 के दिन ही हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त ही था। स्वामी विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। इतना ही नहीं स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाई कोर्ट के प्रसिद्ध वकील रहें। नरेंद्र बाल्यावस्था से प्रतिभा के धनी रहे। उन पर मां सरस्वती की असीम कृपा भी थी। स्वामी जी को ईश्वर से बहुत ही ज्यादा लगाव भी रहा। 16 साल की उम्र में वर्ष 1869 में स्वामी जी ने कलकत्ता विश्व विद्यालय के एंट्रेंस एग्जाम में बैठे और इस एग्जाम में उन्हें कामयाबी भी मिली है। इसके पश्चात इसी विश्वविद्यालय ने उन्होंने स्नातक की उपाधि भी प्राप्त कर ली थी। इस बीच उनकी मुलाकात परमहंस महाराज जी से हुई। इसके पश्चात स्वामी जी ब्रह्म समाज से जुड़ गए।वर्ष 1893 में अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने हिन्दुस्तान का प्रतिनिधित्व भी किया। इस सम्मेलन में स्वामी जी के भाषण की पूरे विश्व में प्रशंसा की गई। इससे इंडिया देश को एक नई पहचान भी हासिल हुई। वहीँ कुछ रिपोर्ट्स और रिसर्च में कहा गया है कि 4 जुलाई 1902 को बेलूर के रामकृष्ण मठ में ध्यानावस्था में महासमाधि धारण कर स्वामी जी पंचतत्व में विलीन हुए थे।इस मौके पर युवाओं को संकल्प लेना चाहिए कि समाज की व्यवस्था से, देश दुनिया की बुराइयों से, वर्ग के भेद से लड़कर वह नया रास्ता खोजेंगे। युवा नेतृत्व को अमीर – गरीब और छोटा – बड़ा की बुराई से बचना होगा। किसी बड़े नेता का पिछलग्गू बनने के बजाय युवाओं को अपने नेतृत्व को खुद विकसित करना चाहिए।