सिलीगुड़ी कॉरिडोर और पूर्वोत्तर की सीमाओं को सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र सरकार का मेगा प्लान
नया कॉरिडोर होगा तैयार , बनेगा वैकल्पिक हाइवे, 13 सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हाईवे को किया जाएगा चौड़ा
अशोक झा, सिलीगुड़ी: केंद्र सरकार पूर्वोत्तर और सिलीगुड़ी कॉरिडोर को लेकर काफी गंभीर है। केंद्र सरकार ने पुलों, सुरंगों और नेशनल हाईवे का जाल बिछाकर पूर्वोत्तर की सीमाओं को सुरक्षित बनाने का मेगा प्लान तैयार किया है। पूर्वोत्तर को देश से जोड़ने वाले एकमात्र सिलीगुड़ी कॉरिडोर के (चिकेन नेक) चोक को समाप्त करने के लिए नया कॉरिडोर बनेगा। पश्चिम बंगाल से असम तक मौजूदा नेशनल हाईवे के समानांतर नौ नए वैकल्पिक हाईवे बनेंगे। क्षैतिज (वर्टिकल) हाईवे बनाकर उनको आपस में जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, हाईवे के वर्तमान पुलों और वैकल्पिक पुलों के निर्माण एवं उनके नीचे सुरंगों को बनाने का प्रस्ताव है। इस नेटवर्क के तैयार होने से आपातस्थिति में भी पूर्वोत्तर से रोड कनेक्टिविटी बनी रहेगी। केंद्र सरकार के शीर्ष स्तर के एक सूत्र ने बताया कि पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी कॉरिडोर (70 किलोमीटर) पूर्वोत्तर को देश से जोड़ता है। इससे बांग्लादेश, नेपाल, चीन की सीमाएं काफी नजदीक हैं। सूत्रों का कहना है कि हाईवे नंबर 17 और 27 देश के पश्चिम हिस्से से पूर्व दिशा जाते हुए वाया सिलीगुड़ी कॉरिडोर पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं को जोड़ते हैं। योजना के मुताबिक, एनएच 27 के नीचे की ओर (दक्षिणी भाग) 100 किलोमीटर से अधिक लंबा चार नया फोर लेन हाईवे बनाया जाएगा। साथ ही सिलीगुड़ी कॉरिडोर के 23 चोक बिंदुओं को ठीक किया जाएगा। मौजूदा 13 सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हाईवे को चौड़ा किया जाएगा। सूत्र ने बताया कि एनएच 17 के सामानंतर सेवोके-हसीमोरा के बीच चार लेन का नया वैकल्पिक हाईवे (145 किमी) बनेगा। वहीं, कोरोनेशन पुल के अलावा नया पुल बनाने की योजना है। इस हाईवे पर पुराने पुल हैं, जिनके नीचे डबल ट्यूब 59 सुरंग बनाने की योजना है। सूत्र ने बताया कि एनएच-17 और 27 तथा नए कॉरिडोर को दो लेन पेव शोल्डर क्षैतिज हाईवे बनाकर आपस में जोड़ा जाएगा। इनकी लंबाई 200 किलोमीटर तक होगी। इस मेगा प्लान को अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजना बनाकर लागू किया जाएगा। इस पर लगभग 20-25 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। हालांकि, विभिन्न परियोजनाओं की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनने के बाद ही असल लागत का पता चलेगा। नए कॉरिडोर के फायदे:- पूर्वोत्तर को जोड़ने वाला तीसरा हाईवे होगा, तीनों हाईवे आपस में जुड़ेंगे जिससे आपातस्थिति में भी पूर्वोत्तर से संपर्क टूटेगा नहीं, रफ्तार तेज होगी, मौजूदा दो हाईवे पर वाहनों का बोझ कम होगा,सुरक्षा काफिले, वाहनों के लिए भी आवागमन तेज और आसान होगा