बीएचयू के प्रो. दिनेश चंद्र राय बने बाबासाहब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय मुज्जफरपुर के कुलपति

बीएचयू के प्रो. दिनेश चंद्र राय बने बाबासाहब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुज्जफरपुर के कुलपति

प्रोफेसर दिनेश चन्द्र राय कृषि विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग में प्रोफ़ेसर व विभाग के संस्थापक विभागाध्यक्ष हैं। इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ही दुग्ध विज्ञान में स्वर्ण पदक के साथ एम. एस. सी. और डेयरी टेक्नोलॉजी में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त किया। डॉ. राय एक वैष्णव परिवार से आते हैं । डॉ. राय की परवरिश भी इन्हीं संस्कारों के बीच हुयी। विश्वविद्यालय के अन्यान्य प्रकल्प एवं प्रयोजनों को मूर्त रूप देने में डॉ. राय सदैव तत्पर रहते हैं। एक जीवट एवं लगनशील व्यक्तित्व के धनी प्रोफेसर राय को दुनिया की सभी कॉमनवेल्थ अकादमिक फेलोशिप प्राप्त करने का गौरव भी प्राप्त है। प्रो. दिनेश चंद्र राय को अभी हाल ही में इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) का फेलो अवार्ड भी माननीय गृह मंत्री, भारत सरकार के हाथों मिला है। राष्ट्रीय स्तर का यह बहुप्रतिष्टित सम्मान प्राप्त होना विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है। प्रोफेसर राय ने अपनी कर्मठता, ईमानदारी और विषयक सौंदर्यबोध से विश्वविद्यालय की अकादमिक आभा का स्वर्णिम आख्यान लिखा है। उनकी यश कीर्ति विश्वविद्यालय परिवार की महत्त्वपूर्ण थाती है, जो अकादमिक जगत से जुड़े लोगों के लिए प्रेरणा का कार्य करेगी। अपनी कुशल अकादमिक व कौशयुक्त नवाचारी क्षमता के बूते उन्होंने तमाम अकादमिक प्रतिमान स्थापित किए हैं। विश्वविद्यालय क्रीड़ा परिषद के उपाध्यक्ष रहते हुए बीएचयू क्रीड़ा परिषद का जीर्णोधार, स्विमिंग पुल का नवसृजन, परिसर में ओपन जिम आदि विभिन्न कार्य किए। विभागीय स्तर पर आईआईटी बीएचयू के पश्चात विश्वविद्यालय का एक मात्र विभाग खाद्य प्रौद्योगिकी एवं दुग्ध विज्ञान में बीटेक और एम टेक का कोर्स शुरू कराने के साथ ही अत्याधुनिक लैब आदि की अंतरराष्ट्रीय स्तर की समुचित व्यवस्था की जो देश के किसी भी विश्वविद्यालय के लिए उदाहरण बना हुआ है। उनके मार्गदर्शन में पचास से अधिक शोध, सैकड़ों लघु शोध, दो सौ से ज्यादा राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में लेखों का प्रकाशन व दो दर्जन से ज्यादा पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है।
डॉ. राय ने जहां स्वदेशी जागरण मंच से जुड़ कर देशज सभ्यता- संस्कृति के विकास के लिए काम किया है वहीं अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के आजीवन सदस्य भी हैं। कृषक संस्कृति व गो-सेवा संवर्धन के प्रति इन्होंने भागीरथ प्रयास किया है। डॉ. राय देशी नस्ल की गायों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर न सिर्फ शोधरत हैं बल्कि लंबे समय से जनमानस में इसके प्रति चेतना जागृति की एक व्यापक मुहिम चला रहे हैं। महामना मालवीय जी की मूल संकल्पना से प्रेरित डॉ. राय का यह अभिनव संकल्प समाज के लिए अनुकरणीय है। शाकाहार और भोजन प्रवृत्ति को लेकर डॉ. राय के मार्गदर्शन में कई महत्त्वपूर्ण शोध कार्य भी हुए हैं।
डॉ. राय की विषय विशेषज्ञता व अकादमिक क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए विश्व के अनेक देशों ने अपने प्रतिष्ठित फ़ेलोशिप से इन्हें नवाजा है। महामना मालवीय मिशन से इनका गहरा जुड़ाव है। महामना के प्रति अगाध श्रद्धा एवं समर्पण ने ही इन्हें अपने ग्रामीण परिवेश में शैक्षिक उन्नयन के लिए अभिप्रेरित किया । डॉ. राय अपने गाँव में मूल्य आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु एक महाविद्यालय का संचालन कुशलतापूर्वक कर रहे हैं। सफाई और समय के पाबंद डॉ. राय अपने सौंदयबोध के लिए भी जाने जाते हैं। विभाग, विश्वविद्यालय और इनके तमाम आयोजनों में इनकी देशज सौंदर्यदृष्टि लोगों को सहज ही आकर्षित कर लेती है। डॉ. राय एक विद्वान शिक्षाविद होने के साथ-साथ सकारात्मक भावबोध लिए समर्पित समाजसेवी की भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं… ।

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