जेडीयू भाजपा का मणिपुर में करती रहेंगी समर्थन

राज्यपाल को पत्र लिखने वाला प्रदेश अध्यक्ष पद से किए विमुक्त

 

अशोक झा, नई दिल्ली: मीडिया में जेडीयू का मणिपुर में एनडीए से समर्थन लेने की बात प्रकाश में आने पर जेडीयू हरकत में आ गई। देखते ही देखते नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने मणिपुर के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह को उनके पद से हटा दिया है। यह कदम उनके द्वारा मणिपुर के राज्यपाल को लिखे गए पत्र के बाद उठाया गया, जिसमें उन्होंने मणिपुर में बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया था।इस पत्र में उन्होंने बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया था। वीरेंद्र सिंह को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बारे में जानकारी देते हुए जदयू प्रवक्ता के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने साफ-साफ कहा कि मणिपुर के अध्यक्ष ने बिना पार्टी आलाकमान की सहमति लिए प्रदेश की भाजपा सरकार से समर्थन लेने का फैसला कर लिया था। जेडीयू ने स्पष्ट कर दिया है कि पहले की तरह मणिपुर में बीजेपी सरकार को जदयू का समर्थन जारी है। इस मामले में राजीव रंजन ने कहा कि पूरी मजबूती के साथ एनडीए के साथ हैं और हम पूरे समन्वय के साथ हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है राज्य और देश के विकास का है और उसको हासिल करना है। आने वाले समय में भी बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में अगली सरकार बनेगी।
जेडीयू-बीजेपी गठबंधन है सदा के लिए…
राजीव रंजन ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में कल्पना से परे विकास हुआ है और आगे भी होगा। 2025 से 30 फिर से नीतीश… यह जन-जन का नारा है। एक ओर जहां नीतीश कुमार जी ने बिहार का विकास सुनिश्चित किया है, वहीं दूसरी और तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के यशस्वी नेतृत्व में देश के सभी हिस्सों का विकास संभव हो पाया है। सभी क्षेत्रों में विकास की रोशनी पहुंची है। इसलिए, यह गठबंधन अटूट है और लंबे समय तक हम लोग साथ रहे हैं और आगे भी रहेंगे।
जेडीयू ने सहयोगी बीजेपी को किया आश्वस्त
जाहिर तौर पर मणिपुर प्रदेश अध्यक्ष को पद से हटाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से अपने सहयोगी बीजेपी को आश्वस्त किया गया है और यह संकेत दिया गया है कि मणिपुर के समर्थन वापसी का निर्णय पार्टी के आलाकमान का नहीं था। यह पूरी तरह से प्रदेश नेतृत्व का फैसला था। हालांकि, इस फैसले को लेकर सियासी गलियारों में यह मायने भी निकल जा रहे थे कि संभव है कि जदयू आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए दबाव की राजनीति बना रही हो। लेकिन, जिस तेजी से नीतीश कुमार ने फैसला किया और तुरंत में मणिपुर अध्यक्ष को पदमुक्त कर दिया यह भाजपा नेताओं और एनडीए गठबंधन के लिए सुकून की खबर है।
जब जेडीयू ने मणिपुर में सबको चौंका दिया था…
यहां यह भी बता दें कि 3 साल पहले हुए चुनाव में मणिपुर विधानसभा चुनाव में जदयू के छह विधायक चुनकर आए थे जिसने सबको चौंका दिया था. लेकिन कुछ महीने बाद ही भाजपा ने जदयू में सेंधमारी कर ली थी और उनके पांच विधायकों को अपने साथ मिला लिया था। खास बात यह रही कि बिहार में जेडीयू बीजेपी का तब भी गठबंधन था, फिर भी बीजेपी ने अपनी सहयोगी पार्टी को तोड़ दिया था।बहरहाल, मणिपुर हिंसा के मुद्दे लेकर जिस तरह विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर रहता है, इसमें जेडीयू की समर्थन वापसी को अगर नीतीश कुमार की सहमति होती तो राजनीति की दिशा बदल सकती थी। लेकिन, नीतीश कुमार ने एक झटके में ही मोदी विरोध की साजिशों को खत्म कर दिया।

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