RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले-जब लोग खुद पूछे शाखा कहां लगती है..तभी कार्यकर्ता की तपस्या सफल
लाठी की कला साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक
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बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा : इन दिनों संघ प्रमुख मोहन भागवत बंगाल दौरे पर है। संघ से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि हम लाठी की कला केवल प्रदर्शन या झगड़े के लिए नहीं सीखते। इसका उद्देश्य साहस, आत्म-निर्भरता और वीरवृत्ति को विकसित करना है। लाठी का अभ्यास हमें यह सिखाता है कि एक साहसी व्यक्ति कभी डरता नहीं और किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है। यह केवल आत्मरक्षा का साधन है, न कि हिंसा फैलाने का। जब तक हम पर कोई हमला नहीं करता, तब तक हम इसे संघर्ष में नहीं लाते, लेकिन अगर सुरक्षा की जरूरत हो, तो यह हमारे आत्मविश्वास को और मजबूत करता है। लाठी का प्रशिक्षण हमें मानसिक और शारीरिक रूप से दृढ़ बनाता है, ताकि हम अपनी रक्षा कर सकें और किसी भी स्थिति में धैर्य बनाए रख सकें।इस दौरान उन्होंने एक किस्सा सुनाया जिसमें एक व्यक्ति ने लाठी के बूते डाकुओं को खदेड़ दिया था। कहा कि भारत पीछे रहने वाला देश नहीं, हम दुनिया को बता सकते है कि हमारे पास क्या है। भागवत ने कहा कि भारत पीछे रहने वाला देश नहीं है। हम दुनिया को बता सकते हैं कि हमारे पास क्या है? हम दरिद्र नहीं हैं। अब हम विश्व पटल पर खड़े हैं। संघ के कार्यक्रमों में मनुष्य में सद्गुणों की वृद्धि होती है। उन्होंने कहा हमारी रण- संगीत की परंपरा थी जो अब फिर लौट आई है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, यह तपस्या जब सफल होगी, जब आप लोग ऐसा पूछने लगेंगे कि संघ की शाखा कहां लगती है। मेरे लायक कोई कार्य तो नहीं। मेरा आह्वान है कि इस घोष वादन को देखने के बाद इस बार में सोचिए। आनंद लिजिए, स्मरण रखिए, यह तो अच्छी बात है।लेकिन स्मरण कीजिए कि इसकी जड़ कहां है। उस जड़ तक पहुंचें। अच्छे जीवन के साथ हमारे देश का जीवन और अच्छा बने इस दिशा में कार्य करें। ऐसा हुआ तो सारी दुनिया सुख-शांति से भरा नया युग देखेगी।100 वर्षों की रूपरेखा… भागवत बोले- घोष वादन कला प्रदर्शन नहीं, बल्कि इसका उद्देश्य राष्ट्र निर्माण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह 20-40 लोगों के बीच भी हो सकता था, लेकिन इसे सार्वजनिक रूप से करने का मकसद आप सभी राष्ट्र निर्माण के महा अभियान में सक्रिय हो सकते है।
ममता बनर्जी के खिलाफ करिश्माई चेहरा ढूंढने का निर्देश : केंद्र की ओर से शुरू किए गए भाजपा सदस्यता अभियान को भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई पूरा नहीं कर पाई है. ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भाजपा से साल 2026 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जोरदार टक्कर देने के लिए एक करिश्माई चेहरा ढूंढने को कहा है।भाजपा सदस्यता अभियान ने पश्चिम बंगाल और भाजपा के अंदरूनी कलह और कमजोरियों को सामने ला दिया है। वहीं RSS ने प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की विफलता पर अपनी नाराजगी भी व्यक्त की। RSS ने कहा कि उन्हें ममता बनर्जी के राजनीतिक करियर के सबक लेना चाहिए और उनके खिलाफ नया चेहरा पेश करना चाहिए। 2026 के पहले लेकर आए नया चेहरा: RSS के गैर आधिकारिक बंगाली मुखपत्र वाली पत्रिका ‘स्वस्तिक’ में छपे एक लेख मे कहा गया है कि ममता बनर्जी को वाम मोर्चे के खिलाफ एक विश्वसनीय चेहरा बनने में लगभग दो दशक लग गए, जिसने 1977 से राज्य पर शासन किया था। इसमें कहा गया है कि साल 2021 में भाजपा ने टीएमसी सुप्रीमो के खिलाफ अपना चेहरा- सुवेंदु अधिकारी को पेश किया था, जो अब तक चार साल पूरे कर चुके हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल के लोग ममता बनर्जी के खिलाफ एक विश्वसनीय चेहरा चाहते हैं। भाजपा को अपनी अग्नि परीक्षा- 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक चेहरा तो खोजना ही होगा।40 लाख को ही जोड़ पाई भाजपा:बीते शनिवार (4 जनवरी, 2025) तक पश्चिम बंगाल में सिर्फ 40 लाख लोगों को ही जोड़ पाई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 27 अक्टूबर को कोलकाता यात्रा के दौरान कम से कम एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा था।शमिक भट्टाचार्य को सौंपी गई थी सदस्यता अभियान की जिम्मेदारी: राज्यसभा में भाजपा के सदस्य शमिक भट्टाचार्य को पूरे पश्चिम बंगाल में सदस्यता अभियान के समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उन्होंने एक शादी के समारोह में भाग लेने के दौरान दुल्हन को भाजपा की सदस्यता दिलाकर सुर्खियां बटोरीं. वहीं सुकांत मजूमदार ने अभियान को लेकर कहा था कि पार्टी ने राज्य में 40 लाख सदस्य बनाए हैं और 10 जनवरी तक यह संख्या 50 लाख के आंकड़े को पार कर जाएगी।