विश्व हिंदू परिषद देशभर में सीएए सहायता केंद्र खोलेगा,हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता दिलाने में मदद का आह्ववान

कोलकाता: सीएए कानून आने के बाद हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता दिलाने में मदद के लिए सीएए सहायता केंद्र खोले जा रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद देशभर में सीएए सहायता केंद्र खोलेगा। बंगाल में भी
बड़ी संख्या में हिंदू शरणार्थियों को उनके अधिकार के लिए सहायता संगठन की ओर से दिया जाएगा। देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हो गया है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सीएए लागू होने पर सियासत शुरू हो गई है। इसे लेकर विपक्षी दलों ने सीएए का विरोध किया है, जबकि सत्ताधारी पार्टी ने इसे नागरिकता देने वाला कानून बताया। हालांकि सीएए में सिर्फ नागरिकता देने की बात कही गई है, लेकिन यह सिर्फ 3 देशों से आने वाले 6 धर्म के लोगों को ही दी जाएगी, जो कि उत्पीड़न का शिकार होकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए हैं।जिस तरह से देश के संविधान में नागरिकता देने की बात कही गई है, उसी तरह से नागरिकता को वापस लेने की जानकारी यहां पर दी गई है। हमारे देश के संविधान में 3 तरह से किसी को नागरिकता जा सकती है, जो कुछ इस तरह से है. देश के संविधान में नागरिकता समाप्ति के बारे में भी बताया गया है और इसको सिटीजनशिप एक्ट में सेक्शन 8, 9 और 10 में रखा गया है।
क्या कहते हैं नियम? सेक्शन 8 में बताया गया है कि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से नागरिकता छोड़ सकता है। सेक्शन 9 में टर्मिनेशन है और इसमें कहा गया है कि अगर किसी नागरिक ने दूसरे किसी देश में जाकर नागरिकता ली तो भारत में उसकी नागरिकता खत्म हो जाएगी। सेक्शन 10 में कहा गया है कि केंद्र सरकार किसी भी शख्स को नागरिकता से वंचित भी कर सकती है। इसमें कहा गया है कि जिस शख्स का जन्म भारत में हुआ है और उसके पास भारत की नागरिकता है तो उसमें कहा गया है कि उनकी नागरिकता को नहीं छीना जा सकता, लेकिन जिनकी नागरिकता जन्म से नहीं है और अन्य आधार पर उनको नागरिकता दी गई है, उसे भारत सरकार छीन सकती है. हालांकि इसमें कुछ शर्ते है, जैसे कि वो झूठ बोला हो तो ऐसी स्थिति में उसकी नागरिकता छीनी जा सकती है। इसके साथ ही वह भारत का नागरिक बनने के बाद लगातार अपराध में संलिप्त रहता है और जेल में है तो उसकी नागरिकता भी ली जा सकती है।हालांकि, सरकार जब भी ऐसा कोई कदम उठाएगी तो इससे पहले बकायदा नोटिस जारी किया जाएगा और पूछा जाएगा कि आपको नागरिकता से वंचित क्यों ना किया जाए? इसके बाद वह सरकार के आदेश को लेकर ट्रिब्यूनल में अपील करेगा और उसके आदेश के बाद ही उसकी नागरिकता ली जाएगी. सरकार अपने मन से उसको देश से भगा नहीं सकती।1950 से 1985 के दौरान कहां-कहां से भारत में आए अप्रवासी?1950 के दौरान अफगानिस्तान से हिंदू और सिख अप्रवासी आए थे, उनमें से कुछ लोगों ने भारत में नागरिकता के लिए गुहार लगाई. ऐसे लोगों की संख्या मुश्किल से 15000 से 20000 के आसपास थी।।अफगानिस्तान में इनका उत्पीड़न हो रहा था और उससे बचने के लिए भारत में आए थे तो उनको भारत ने कभी भी संकट के रूप में नहीं देखा. इसके बाद राजस्थान के बॉर्डर से पाकिस्तान की तरफ से 20 हजार के करीब में लोग भारत आए।1959 में तिब्बत में एक बड़ा संकट आया और 14वें दलाई लामा वहां से आए तो उनके साथ करीब 80 हजार लोग आएं. उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि जब तक स्थिति ना सुलझे तब तक हम आपको रिफ्यूजी का स्टेटस देंगे. यह लोग ज्यादातर हिमाचल के मैक्लोडगंज और कर्नाटक में बसे हुए हैं. इनकी संख्या भी एक लाख के आसपास है और यह भी भारत के लिए कोई बड़ा संकट नहीं बने।कई हजार रोहिंग्या भारत आए। 1982 में म्यांमार में बर्मा सिटीजनशिप एक्ट पारित हुआ, जिसकी वजह से वहां पर रहने वाले रोहिंग्या देश के नागरिक नहीं रहे. इनमें मुसलमान ही नहीं बल्कि हिंदू भी शामिल हैं. इसके बाद यहां से बहुत बड़े पैमाने पर बांग्लादेश चले गए. उस समय यह भारत में नहीं आए, लेकिन 2017 में एक बार फिर से म्यांमार में रोहिंग्याओं के साथ गृहयुद्ध जैसी स्थिति बन गई तो वहां से 20 से 30 हजार की तादाद में रोहिंग्या यहां से निकलकर भारत आ गए।श्रीलंका से भी बड़ी तादाद में भारत में अप्रवासी आए. 1948 में आजादी के बाद श्रीलंका ने एक कानून पास किया, जिसको सीलोन सिटीजनशिप एक्ट कहते हैं और तहत भारतीय मूल के तमिलों की नागरिकता छीन ली गई, इनकी तादाद करीब 7 लाख बताई जाती है. इसके बाद यहां पर तमिल और श्रीलंका के बीच लंबे समय तक युद्ध भी चला और इसी में उस समय के पीएम राजीव गांधी की जान भी गई। भारत और श्रीलंका के बीच भी हुए समझौते। हाल ही में भारत और श्रीलंका के बीच दो समझौते हुए, जिसमें भारत ने 7 लाख में से करीब 4.5 लोगों को नागरिकता दे दी है और करीब 1 लाख के आसपास रिफ्यूजी अभी भी भारत में रहते हैं. इनमें से अधिकांश तमिलनाडु में हैं और कुछ बाकी के आसपास के राज्यों में. पिछले 70 साल में जो असली संकट हमारे सामने है, वह केवल बांग्लादेश का है. यहां से देश में जो प्रवास हुआ है, उसने भारत के लिए बहुत बड़ा संकट पैदा किया।इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीएए के आवेदकों के लिए मोबाइल ऐप लॉन्च किया है।नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को भारत की नागरिकता पाने वाले लोगों के लिए एक मोबाइल ऐप लाया है। योग्य आवेदक मोबाइल पर गूगल प्ले स्टोर से इस ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। इसके बाद जिसे भी भारतीय नागरिकता चाहिए, वो इस ऐप के जरिए भी आवेदन कर सकते हैं।
पोर्टल भी हो चुका है लॉन्च : इससे पहले भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून 2019 के तहत नागरिकता के लिए एक पोर्टल भी लॉन्च किया था। इसके तहत योग्य व्यक्ति भारत की नागरिकता के लिए Indiancitizenshiponline.nic.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इस कानून के तहत सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोग ही आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए वही अल्पसंख्यक लोग पात्र हैं, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे।देश में कहीं जश्न का माहौल तो कहीं बढ़ी सुरक्षा व्यवस्था: आपको बता दें कि सीएए की अधिसूचना जारी होते ही देश के कुछ हिस्सों में लोग जश्न मना रहे हैं, जबकि केंद्र ने कई जगहों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। दिल्ली के शाहीनबाग में पुलिस ने फ्लैग मार्च निकाला था तो वहीं यूपी के कुछ शहरों में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है। रिपोर्ट अशोक झा

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