पहली अप्रैल को नहाए खाए के साथ शुरू होगा लोक आस्था का महापर्व चैती छठ

सिलीगुड़ी सहित सीमांचल में तैयारी हुई तेज, कमेटी गठित

अशोक झा, सिलीगुड़ी: लोकआस्था का महापर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है. पहला चैत्र माह में और दूसरा कार्तिक माह में और चैत्र माह में मनाए जाने वाले छठ को चैती छठ भी कहते हैं। चैती छठ, जिसे छठ महापर्व भी कहा जाता है, भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह विशेष रूप से बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश,झारखंड और असम में मनाया जाता है, लेकिन अब यह पर्व देशभर में ही नहीं, विदेशों में भी बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। कार्तिक छठ के मुकाबले चैती छठ को कम लोग करते हैं, लेकिन इसका धार्मिक महत्व उतना ही खास है। इसमें व्रती महिलाएं और पुरुष 36 घंटे का कठिन उपवास रखते हैं और डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी मईया की पूजा करते हैं। यूं तो इस पर्व को देश भर में मनाया जाता है, लेकिन विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और बंगाल में इसे पुरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल चैती छठ कब मनाई जाएगी। जानिए नहाय खाय, खरना से लेकर सूर्य अर्घ्य तक की तारीख और महत्व।चैती छठ 2025 कब है?: इस साल चैती छठ 3 अप्रैल 2025, दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। इस व्रत की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और चार दिनों तक चलती है। व्रत रखने वाले भक्त इस दौरान पूरी तरह सात्विक जीवन जीते हैं। खासतौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में यह पर्व बड़े भक्ति भाव से मनाया जाता है।
चैती छठ 2025 कैलेंडर: 1 अप्रैल 2025 – नहाय-खाय
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती पवित्र जल में स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। परंपरा के अनुसार, इस दिन चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी बनाई जाती है। बता दें कि चैत्र नवरात्रि में ये त्योहार आता है और नहाय खाय के दिन देवी के कूष्मांडा रूप की पूजा की जाती है।
2 अप्रैल 2025 – खरना
खरना का दिन बहुत खास होता है। इस दिन व्रती पूरा दिन बिना कुछ खाए-पिए उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और केले का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसी के साथ 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
3 अप्रैल 2025 – संध्या अर्घ्य
इस दिन व्रती शाम के समय छठ घाट या तालाब के किनारे जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दौरान ठेकुआ, फल, नारियल और गन्ने का प्रसाद चढ़ाया जाता है। छठ पूजा के गीत गाए जाते हैं और पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।
4 अप्रैल 2025 – उषा अर्घ्य और पारण
छठ पर्व के आखिरी दिन व्रती सुबह जल्दी उठकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है और प्रसाद बांटा जाता है। मान्यता है कि इस दिन छठी मईया की पूजा करने से संतान सुख, परिवार की खुशहाली और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। चैती छठ का महत्व छठ महापर्व को लोक आस्था का पर्व कहा जाता है। मान्यता है कि सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने यह व्रत किया था। छठी मईया को संतान सुख देने वाली देवी माना जाता है, इसलिए खासकर महिलाएं यह व्रत पूरी श्रद्धा से करती हैं। छठ पूजा सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का पर्व है। इसे पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करने से भगवान सूर्य और छठी मईया की कृपा प्राप्त होती है।

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