वाराणसी के ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे जारी, रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे शुरू हो गया। हाइकोर्ट की तरफ से निर्धारित समय से एक घंटे देर से यह सर्वे शुरू हो गया है। हिंदू पक्ष मौजूद। मुस्लिम पक्ष ने किया बहिष्कार। उधर ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार।

सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी (उत्तर प्रदेश) की ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर के एएसआई सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा सर्वे की अनुमति दिए जाने के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इससे पहले हाईकोर्ट की अनुमति के बाद शुक्रवार सुबह मस्जिद परिसर का सर्वे शुरू कर दिया गया

गौरतलब है ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सर्वे को हरी झंडी दे दी है। जिलाधिकारी ने कहा शुक्रवार से ज्ञानवापी का सर्वे प्रारंभ होगा।
किन सवालों के जवाब मिल सकते हैं?
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि देश की जनता को ज्ञानवापी से जुड़े इन सवालों के जवाब मिलने जरूरी हैं। ज्ञानवापी में मिली शिवलिंगनुमा आकृति कितनी प्राचीन है? शिवलिंग स्वयंभू है या कहीं और से लाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई थी? विवादित स्थल की वास्तविकता क्या है? विवादित स्थल के नीचे जमीन में क्या सच दबा हुआ है? मंदिर को ध्वस्त कर उसके ऊपर तीन कथित गुंबद कब बनाए गए? तीनों कथित गुंबद कितने पुराने हैं?
क्या होती है कार्बन डेटिंग?
कार्बन डेटिंग उस विधि का नाम है जिसका इस्तेमाल कर के किसी भी वस्तु की उम्र का पता लगाया जा सकता है। कार्बन डेटिंग के विधि की खोज 1949 में अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी के विलियर्ड फ्रैंक लिबी और उनके साथियों ने की थी। इस विधि के माध्यम से लकड़ी, बीजाणु, चमड़ी, बाल, कंकाल आदि की आयु पता की जा सकती है। यानी की ऐसी हर वो चीज जिसमें कार्बनिक अवशेष होते हैं, उनकी करीब-करीब आयु इस विधि के माध्यम से पता की जा सकती है। इसी कारण वादी पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे में कार्बन डेटिंग या किसी अन्य आधुनिक विधि से जांच की मांग की थी।

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