श्रीमद्भागवत को कहते है समस्त पुराणो में श्रेष्ठ-महापुराण

आज गाजे बाजे के साथ निकलेगी शोभायात्रा, अपराह्न को कथा का होगा आगाज

अशोक झा, सिलीगुड़ी: 25 जुलाई से सिलीगुड़ी अग्रसेन भवन में संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का सुबह गाजे बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली जाएगी। यह शोभायात्रा श्री घाटाजी मंदिर से निकलकर शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरकर अग्रसेन भवन कथा स्थल पर पहुंचेंगी। कथा व्यास पर विराजमान होने वाले श्री केशव कृष्ण जी महाराज सभी कार्यक्रम में भगवती डालमिया परिवार के साथ मौजूद रहेंगे। श्री केशव कृष्ण जी महाराज कहते है की श्रीमद्भागवत को समस्त पुराणो में श्रेष्ठ-महापुराण कहते हैं । स्वयं भागवत में ही इसकी महिमा का सुन्दर निरूपण हुआ है। ‘सर्ववेदान्तसार’ हि श्रीभागवतमिष्यते। तद्रसामृततृप्स्य नान्यत्र स्याद्रति: क्वचित् ।’ – ‘श्रीमद्भागवत वेदान्त का सार है । जो व्यक्ति इसके रसामृत का पान करके परितृप्त हो जाता है, उसकी अन्यत्र कहीं भी आसक्ति नही रह जाती।’ श्रीरामकृष्ण के जीवन की एक घटना भी इस ग्रन्थ की महिमा को प्रकट करती है। एक बार वे भागवत की कथा सुनते-सुनते भावाविष्ट हो गए। तभी उन्हें श्रीकृष्ण की ज्योतिर्मय मूर्ति के दर्शन हुए। मूर्ति के चरणों से रस्सी की भाँति एक ज्योति निकली । सर्वप्रथम उसने भागवत को स्पर्श किया और उसके बाद श्रीरामकृष्ण के सीने से लगकर उन तीनों को कुछ देर के लिए एक साथ जोड़े रखा । इससे श्रीरामकृष्ण के मन में दृढ़ धारणा हो गई कि भागवत, भक्त और भगवान-तीनों एक हैं तथा एक के ही तीन रूप हैं । श्री केशव कृष्ण महाराज का कहना है की बंगाल के लोगों को जानना जरूरी है की भागवत की कुछ कथाओं का संक्षिप्त तथा सरल बँगला भाषा में पुनर्लेखन किया था, जो बेलघरिया के रामकृष्ण मिशन कोलकाता विद्यार्थी भवन द्वारा 1985 ई. में पहली बार प्रकाशित हुआ। अद्वैत आश्रम के अनुरोध पर छपरा के डॉ. केदारनाथ लाभ, डी. लिट् ने इस पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद किया और तदुपरान्त यह हमारे रायपुर के रामकृष्ण मिशन विवेकानन्द आश्रम के स्वामी विदेहात्मानन्द द्वारा सम्पादित होकर, उसी आश्रम से प्रकाशित होनेवाली मासिक पत्रिका ‘विवेक ज्योति’ के सितम्बर 2007 से नवम्बर 2008 तक के 15 अंकों में धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुई । बताया गया की श्रीमद भागवत कथा में कई रोचक और ज्ञानवर्धक प्रसंग है। 26 जुलाई को ध्रुव चरित्र, शिव विवाह का आयोजन होगा। 27 जुलाई को नृसिंग अवतार वावन महत्व का वर्णन होगा। 28 जुलाई को नंद उत्सव बधाई मनाई जाएगी। 29 जुलाई को श्री कृष्ण के बाल लीला का आयोजन होगा। 30 जुलाई को रुक्मणि विवाह का आयोजन होगा। 31 जुलाई को कृष्ण सुदामा मिलन, शुक जी की विदाई के साथ संगीतमय कथा का समापन होगा। पहली अगस्त को हवन के साथ महाप्रसाद वितरण किया जाएगा।

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