सोना तस्करों की गिरफ्तारी ने खोली बंगाल -बिहार पुलिस सुरक्षा की पोल

-जमानत के लिए एक बार फिर सोमवार को होगी जोर आजमाइश
– लोकसभा चुनाव को लेकर की जा रही नाका चेकिंग साबित हुई फिसड्डी
सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी डीआरआई की टीम द्वारा करोड़ों के विदेशी सोना और 82 लाख की नगदी के साथ पकड़े गए तीन गोल्ड स्मगलर इन दिनों बिहार बंगाल में चर्चा का विषय बने हुए है। शनिवार को अस्थाई न्यायाधीश ने आरोपितों को जमानत नहीं दी थी। सोमवार को एक बार फिर आरोपितों के जमानत के लिए कोलकाता उच्च न्यायालय के वकीलों की टीम सिलीगुड़ी पहुंचेंगी। किशनगंज के दोनों आरोपित किसी भी तरह जमानत लेकर अपनी शाख बचाने की कोशिश में ऐड़ी चोटी लगा रहे है। वही सोना तस्करी गिरोह की गिरफ्तारी ने बिहार बंगाल पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया है। लोकसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण में कूचबिहार, जलपाइगुड़ी, दार्जिलिंग, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर और किशनगंज लोकसभा का चुनाव संपन्न होना है। इसको लेकर नाका चेकिंग के साथ पुलिस की पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। सवाल उठता है की सोना की बड़ी खेप लेकर कूचबिहार से सिलीगुड़ी और किशनगंज से इतनी बड़ी रकम लेकर सिलीगुड़ी तक पहुंच गया पर कोई इसको पकड़ा क्यों नही? क्या इसके पीछे भी कोई सेटिंग का खेल है। क्या जॉच के नाम पर खाना पूर्ति की जा रही है। आम लोग 1लाख रुपया लेकर चुनाव के दौरान नहीं चल सकते फिर 82 लाख कैसे सड़कों पर आ रहे थे।
यह था पूरा मामला : 11 अप्रैल को गोल्ड का वजन 1 किलों 450 ग्राम है जिसका अनुमानित मूल्य (एक करोड़ दो लाख 92 हजार रुपए है ) के साथ कूचबिहार के निवासी बिदुभूषण राय को पकड़ा। पूछताछ में बताया कि गोल्ड बिस्किट को बांग्लादेश से तस्करी कर सिलीगुड़ी लाया था। किशनगंज के दोनों तस्करों को रुपया लेकर गोल्ड देना था। दोनों तस्कर नगदी के साथ गोल्ड की डिलेवरी लेने आ रहे है। सटीक जानकारी के आधार पर किशनगंज के बिहार के किशनगंज के रहने वाला है और दोनों एक मारुति वैगनर कार नंबर डब्ल्यू बी 74 एएच 4737 से सिलीगुड़ी रुपया लेकर सोना लेने आ रहा है।जिसके बाद डीआरआई की टीम ने गिरफ्तार तस्कर को लेकर डिलीवरी के स्थान सिलीगुड़ी के जलपाईगुड़ी मोड पर पहुंचे वहीं कार में बैठे किशनगंज के दिनेश पारीक और मनोज सिन्हा को डीआरआई की टीम ने दबोच लिया और कार की तलाशी लेने लगे लेकिन गोल्ड तस्कर दिनेश पारीक की शातिर दिमाग के कारण मौके पर रुपया बरामद नहीं हुआ लेकिन टीम ने दोनों को हिरासत में लेकर डीआरआई कार्यालय ले आए और गाड़ी के मैकेनिक को बुलाकर गाड़ी का बारीकी से जांच करवाया जांच के दौरान गाड़ी के डिक्की के नीचे बनाए गए विशेष चेंबर से 82 लाख रुपए बरामद हुआ। जॉच में कई चौकाने वाले सुराग डीआरआई को हाथ लग रहे है। कैसे साड़ी दुकानदार, हवाला के माध्यम से सोना तस्कर बना आदि।
संगठित आकार ले लिया है सोना तस्करी गिरोह : गिरोह के रूप में अब ये काम किया जा रहा है, जो धीरे-धीरे संगठित आकार ले रहा है। कस्टम विभाग पासपोर्ट और ट्रैवल डिटेल्स डाटा के आधार पर यात्रियों से अलग पूछताछ और जांच कर रहा है।।कैरियर को बचते हैं केवल 25 हजार, मास्टरमाइंड को सात लाख: अंतरराष्ट्रीय सोना तस्कर म्यांमार, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और दुबई से जोखिम मोल लेकर सोना लाने वाले ‘कैरियर’ को एक राउंड में केवल 20 से 25 हजार रुपये मिलते हैं। जबकि मास्टरमाइंड को एक किलोग्राम सोने की तस्करी में करीब सात लाख रुपये का मुनाफा होता है। कैरियर पकड़ा गया तो दो से तीन महीने जेल में रहकर बाहर आ जाता है।
दुबई में 10 लाख रुपये किलो सस्ता सोना
सोने की तस्करी में तेजी की बड़ी वजह भारी भरकम कस्टम ड्यूटी है। सोने पर करीब 16 फीसदी ड्यूटी है। दुबई में सोना ड्यूटी फ्री है, इसलिए भारत की तुलना में वहां करीब 10 लाख रुपये प्रति किलोग्राम सस्ता है। इसी बड़े अंतर ने सोने की तस्करी को बढ़ावा दिया है। पिछले साल देश में करीब 2000 किलोग्राम सोना जब्त किया गया था।
तस्करी में लिप्त कई ज्वेलर्स निशाने पर: सीमांचल में
तस्करी का सोना सराफा कारोबारियों के यहां बड़ी मात्रा में खप रहा है, इसीलिए राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने पिछले एक साल में कई बड़े सराफा कारोबारियों के यहां छापे मारे हैं। पूछताछ की है। सूत्रों के मुताबिक तस्करी के सोने की खरीद-फरोख्त कैश में होती है। इससे तैयार ज्वेलरी भी कैश भी बेची जाती है। यानी कालाधन खपाने का बड़ा जरिया तस्करी का सोना है। इसी इनपुट के बाद डीआरआई ने सिलीगुड़ी, कोलकोता समेत बिहार के कई शहरों में छापे मारे। अभी भी किशनगंज समेत बिहार बंगाल और बांग्लादेश नेपाल सीमांत के कारोबारी जांच की जद में हैं। रिपोर्ट अशोक झा

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